tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post6302269712323158251..comments2024-03-25T12:20:31.912+05:30Comments on लो क सं घ र्ष !: मुक्तकRandhir Singh Sumanhttp://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-35796743902556959682009-04-22T01:39:00.000+05:302009-04-22T01:39:00.000+05:30आदमी तोलों में बंटता जा रहा है ।
सांस का व्यापार घ...आदमी तोलों में बंटता जा रहा है ।<br />सांस का व्यापार घटता जा रहा है ।<br /><br />सुन्दर कविता <br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-27468625585529362042009-04-21T20:22:00.000+05:302009-04-21T20:22:00.000+05:30सुमन जी,सभी मुक्तक बहुत सुन्दर हैं।बधाई स्वीकारें।...सुमन जी,सभी मुक्तक बहुत सुन्दर हैं।बधाई स्वीकारें।<br /><br />कल्पना मात्र से काम बनते नहीं<br />साधना भावः से साधू बनते नहीं।<br />त्याग ,त़प , धैर्य मनुजत्व भी चाहिए -<br />मात्र वनवास से राम बनते नहीं॥परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com