tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post7609733180399366726..comments2024-03-25T12:20:31.912+05:30Comments on लो क सं घ र्ष !: मस्जिद विध्वंस को जायज़ ठहराने वाला फैसलाRandhir Singh Sumanhttp://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-22500860238701659012010-10-07T12:26:36.015+05:302010-10-07T12:26:36.015+05:30मै नहीं जनता की विवाद की जड़ क्या है और क्या हुआ थ...मै नहीं जनता की विवाद की जड़ क्या है और क्या हुआ था पैर इस विवाद का जिक्र करने वालो के अंदर एक जहर भरा हुआ है, जो ये जानते हुए भी की इस का जिक्र जिस जिस के शामने होगा वो सभी इस जहर से प्रभवित होते जायेंगे,ये बात प्राक्रतिक है की जहर कोई नहीं पचाना चाहता , पर अगर इसके बदले कुछ मीठा मिल जाये तो सारा कुछ हज़म हो जायेगा, मेरे भाइयो समय बदल रहा है आपका घर ही आपका मंदिर मस्जिद है आप इसको चलाने के लिए मेहनत और ईमानदारी से इसका भरन पोसढ़ करिए जिससे एक नए समाज का विकास होगा जो चरित्रवान , मेहनती , इमानदार होगी .....हाँ एक और बात १०० आने सत्य है की आपके घर से बड़ा न कोई मंदिर है न कोई मस्जिद और आप इसके सबसे बड़े पुजारी इसमें न किसी हिन्दू का अधिकार है न मुस्लिम का केवल आपका है और दिखा दीजिये की आप कितने बड़े पुजारी है अगर आपके घर का एक भी सदस्य बेगार है या ईमानदारी का नहीं खाता तब तक आपकी पूजा अधूरी होगी ....कोई भी धर्म कमजोर नहीं हर एक धर्म किसी भी मानव समाज के लिए जिन्दगी जीने के सम्पूर्ण नियमो कर्मो का समावेश रखता है ,धर्मो की तुलना करने से अच्छा है की आप उनको केवल जानने और समझने की इच्छा रखो ...<br />और इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए की इन्शानियत से बड़ी चीज कुछ नहीं ...जय हिंद जय भारत (बालेन्द्र सिंह )Balendra Singhhttps://www.blogger.com/profile/02935088876790709561noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-38333988283111675082010-10-07T08:56:05.394+05:302010-10-07T08:56:05.394+05:30आपने बिलकुल सही कहा. सुलह समझौता करवाना न्यायलय का...आपने बिलकुल सही कहा. सुलह समझौता करवाना न्यायलय का काम हो सकता है, लेकिन सुलह के हिसाब से फैसला देना उसका काम नहीं है. न्यायलय को तो साक्ष्यों के एतबार से ही फैसला देना चाहिए.<br /><br />लेकिन खासतौर पर इस फैसले पर राजनीति बहुत अधिक हो चुकी है, बल्कि हद से ज्यादा हो चुकी है. और सब जानते हैं कि राजनीति किसने की? इसलिए अदालत के इस फैसले को नजीर मानते हुए इस मसले का पटापेक्ष अब हो जाना चाहिए. मेरे विचार में भी किसी भी मंदिर-मस्जिद से अधिक कीमती किसी इंसान की जान होती है. और यहाँ ईंट-गारे के बने आस्था स्थल के कारण हजारों जाने चली गईं, पानी की तरह खून को बहा दिया गया, कहीं-कहीं तो गहरी दोस्ती के रिश्तों को भी शर्मसार कर गया यह मसला. इसलिए देश की शांति और सद्भाव को बरकरार रखने के लिए इस मसले का अब समाप्त हो जाना ही देश हित और हर समुदाय के हित मैं.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-87757769441242754252010-10-07T08:55:57.144+05:302010-10-07T08:55:57.144+05:30आपने बिलकुल सही कहा. सुलह समझौता करवाना न्यायलय का...आपने बिलकुल सही कहा. सुलह समझौता करवाना न्यायलय का काम हो सकता है, लेकिन सुलह के हिसाब से फैसला देना उसका काम नहीं है. न्यायलय को तो साक्ष्यों के एतबार से ही फैसला देना चाहिए.<br /><br />लेकिन खासतौर पर इस फैसले पर राजनीति बहुत अधिक हो चुकी है, बल्कि हद से ज्यादा हो चुकी है. और सब जानते हैं कि राजनीति किसने की? इसलिए अदालत के इस फैसले को नजीर मानते हुए इस मसले का पटापेक्ष अब हो जाना चाहिए. मेरे विचार में भी किसी भी मंदिर-मस्जिद से अधिक कीमती किसी इंसान की जान होती है. और यहाँ ईंट-गारे के बने आस्था स्थल के कारण हजारों जाने चली गईं, पानी की तरह खून को बहा दिया गया, कहीं-कहीं तो गहरी दोस्ती के रिश्तों को भी शर्मसार कर गया यह मसला. इसलिए देश की शांति और सद्भाव को बरकरार रखने के लिए इस मसले का अब समाप्त हो जाना ही देश हित और हर समुदाय के हित मैं.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-25119150892313071162010-10-07T08:44:06.485+05:302010-10-07T08:44:06.485+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.com