tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post8244088723014483538..comments2024-03-25T12:20:31.912+05:30Comments on लो क सं घ र्ष !: तालिबानी हिन्दू बनाने की मुहिम --9Randhir Singh Sumanhttp://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-21202166641117639922015-09-03T04:29:04.820+05:302015-09-03T04:29:04.820+05:30छुआछूत संघ में बहुत कम होता ह ये काफी प्रसंसनीय है...छुआछूत संघ में बहुत कम होता ह ये काफी प्रसंसनीय है।<br />मुझे तो लगता था संघ ब्राहण बनियो का ह पर दलितों का संघ में भागीदारी देखकर हिन्दू एकता का अनुमान सहज लगाया जा सकता ह। संघ को और भी छुआछुत समाप्त करना चाहिए जिससे हम जैसे हिन्दू दलित इसमें आसानी से भाग लेकर हिन्दू सौहाद्र को बढ़ाने का प्रयत्न कर सकें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-89198813619664080612014-08-01T15:48:10.954+05:302014-08-01T15:48:10.954+05:30सही कहा भाई लेकिन इसमें भी संघ का दोष नहीं है दरअस...सही कहा भाई लेकिन इसमें भी संघ का दोष नहीं है दरअसल संघ में छद्दम वेश में जातिवादी घुस आए है जो बात तो करते है हिंदुत्व कि, बात तो करते है हिन्दुओं की एकता की लेकिन अपनी रुढ़िवादी और जातिवादी मानसिकता को छोड़ने को तैयार नहीं होते, और सही कहा आपने ये एक पाखंड ही है कि कहते दुसरे है करते दुसरे है। और ये अपने इस पाखंड के कारण संघ का या समाज का भला करने के स्थान पर नुकसान ही कर रहे है। और अगर संघ अब भी इन तत्वों को लेकर चलता रहा तो हुआ उसका उद्देश्य सफल?<br />हालांकि मैं संघ की उद्देश्यों को लेकर असहमत नहीं हूँ। परन्तु उसके प्राप्त करने के उपायों को लेकर असहमत हूँ। संघ का उद्देश्य है हिंदु राष्ट्र और यह कल्पना में अच्छा भी लगता है लेकिन धरातल पर यथार्थ कुछ और ही है। सबसे पहले जो हमारे समाज में विभाजन के असंख्य लाइने खीच गई है उसको समाप्त करना होगा। जब सभी को समान दर्जा मिलेगा, जब समाज से सभी भेद-भाव मिट जाएगा और एक ब्राम्हण भी एक दलित के थाली में एक साथ बिना संकोच किए हुए खाएगा तब अपने आप हमारा पूरा हिंदु समाज एकजुट हो जाएगा और उसके लिए किसी राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ जैसे संगठन की आवश्यकता ही नहीं होगी, और हमारा पूरा हिंदु समाज किसी भी राष्ट्रिय आपदा के समय हमेशा एकजुट खड़ा तैयार मिलेगा। तो हमारा कहना है कि सबसे पहले हमे इस जातिव्यवस्था को ही ध्वस्त करने का प्रयास करना चाहिए हिंदु अपने आप एक जुट हो जाएगा। हमारा मानना है कि संघ का प्रयास इस दिशा में अधुरा चल रहा है, वह हिंदुओ की एकजुटता की तो बात करता है लेकिन इसमें व्याप्त जाति व्यस्था के बारे में भूल जाता है।अतः संघ को हिंदुओ की एकजुटता को प्राथमिकता न देकर सीधे समाज में व्याप्त इस जातिवाद के खिलाफ मोर्चा खोल देना चाहिए इससे ये होगा कि संघ में मौजूद जितने भी जातिवादी तत्व है वो संघ से अलग हो जाएँगे इससे प्रारंभ में संघ को अपनी ताकत भले ही कमजोर प्रतीत होगी लेकिन इससे संघ में नए जातिवादी विरोधी तत्व प्रवेश करेंगे इससे संघ की ताकत दुगना हो जाएगी।<br />और यह मान भी लिया जाए कि इस मौजूदा विधि से हिंदु राष्ट्र बना भी लिया जाए तो क्या हिंदुओ में सबको बराबर का अधिकार मिल जाएगा। निश्चित है जो इस प्रयत्न में भागीदार होगा वही राज्य पर शाशन करने का अपना हक मानेगा और फ़िलहाल संघ में इस समय जातिवादी तत्वों का प्रभाव अवश्य है जो भले ही इस समय चुप है या अपनी जातिवादी मानसिकता का प्रयोग ज्यादा नहीं कर रहा। लेकिन उस समय वह चुप नहीं रहेगा। और फिर समाज वैसा का वैसा ही रह जाएगा। और इस आँदोलन का कोई फायदा नहीं रह जाएगा जब तक कि उस हिन्दुराष्ट्र का प्रत्येक नागरिक अपने को उस हिन्दुराष्ट्र का एक अंग मानने में गर्व अनुभूति करने लगे। और जब तक हमारे समाज का बहुत बड़ा भाग वंचित रहेगा ऐसा होना संभव नहीं है।<br />अतः हमारा प्रयास समाजिक आंदोलनों के माध्यम से सबसे पहले उन वंचितों को समाजिक अधिकार दिलाने का होना चाहिए, और जब एक बार समाजिक अधिकार मिल गया तो आर्थिक अधिकार भी स्वतः धीरे-धीरे मिल जाएगा।Alok deshhttps://www.blogger.com/profile/09833191033293676079noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-8080803906532951882014-07-31T09:46:40.870+05:302014-07-31T09:46:40.870+05:30संघ का चेहरा उजागर करता आलेख . पढ कर हैरानी हुयी अ...संघ का चेहरा उजागर करता आलेख . पढ कर हैरानी हुयी अइसे चेहरे को और शर्म भी आयी . ़ आभारनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com