tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post8500276108824748762..comments2024-03-25T12:20:31.912+05:30Comments on लो क सं घ र्ष !: आस्था के खजानेRandhir Singh Sumanhttp://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-83822516235036494872011-07-21T17:16:58.590+05:302011-07-21T17:16:58.590+05:30आस्था के केन्द्रो और बाबाओं के आश्रम से हजारों करो...आस्था के केन्द्रो और बाबाओं के आश्रम से हजारों करोड़ की सम्पत्ति मिलने के बाद पूरा देश चकित है। हमारे यहां ऐसे और भी धार्मिक संस्थान है जहां विशाल सम्पदाएं हो सकती हैं। यह संपदा अचानक तो इनके पास नहीं आई, मूल मे जायें तो ये कहना कहना गलत नहीं होगा कि ये सारा धन जनता का ही है। हमारे देश में गराबी, भूखमरी बेरोजगारी जैसी समस्यायं हैं तो क्यों नहीं इस अकूत सम्पत्ति को राष्ट्र की संपत्ति मानकर आम जीवन सुधरा जाय<br /><br />भगवान और इन बाबाओं का काम तो बिना पैसों के भी चल जायेगाpushpa mauryanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-64308039474546715252011-07-15T09:49:50.781+05:302011-07-15T09:49:50.781+05:30यदि कहीं गडा खजाना मिलता है तो वह सरकारी संपत्ति म...यदि कहीं गडा खजाना मिलता है तो वह सरकारी संपत्ति माना जाता है तो यह खजाना क्यों सरकारी संपत्ति नहीं हुआ?सम्पूर्ण खजाना सार्वजानिक संपत्ति ही है एयर जन-हित में खर्च होना चाहिए उसे ट्रस्ट के अधीन नहीं रखा जाना चाहिए.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-88667315169104053792011-07-14T21:11:01.510+05:302011-07-14T21:11:01.510+05:30बाँछे खिलती जा रही है गजनवी की |
आँखे खुलती...बाँछे खिलती जा रही है गजनवी की |<br />आँखे खुलती जा रही हैं हम सभी की ||<br /><br />अंग्रेजों ने कल वहाँ अफ़सोस मनाया,<br />उनकी बड़ी यही गलती है, तीन सदी की ||<br /><br />कोहिनूर सरीखे कई काम अंजाम दिए पर<br />व्यर्थ हुआ जो छोटी-मोटी बड़ी ठगी की ||<br /><br />उधर गजनवी नरकवास में मुहं को ढापे-<br />सोचे मन में, सोमनाथ से व्यर्थ घटी की ||<br /><br />नादिरशाह सरीखे कितने मन के लंगड़े -<br />उत्तर-भारत की जनता पर चोट बड़ी की |<br /><br />दक्खिन के मठ-मंदिर का संकल्प तेज था<br />पाई-पाई संरक्षित कर बात बड़ी की ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8216241735171433424.post-87882965037857914602011-07-14T21:08:00.685+05:302011-07-14T21:08:00.685+05:30गहन विचार की जरुरत है ||गहन विचार की जरुरत है ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com