मंगलवार, 21 सितंबर 2010

कच्ची दारु, कच्चा वोट - पक्की दारु, पक्का वोट - दारु, मुर्गा, औरत खुल्ला वोट

उत्तर प्रदेश में देश के सबसे बड़े त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका हैसदस्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के सदस्यों का चुनाव होना हैगाँव-गाँव में सूबे से ही कच्ची दारु, देशी दारु अंग्रेजी शराब की मांग मतदाताओं द्वारा आम तौर पर की जा रही हैजिसकी पूर्ति प्रत्याशी कर रहे हैंचुनाव के पूर्व से ही प्रत्याशियों ने लोगों के खेत जोतने से लेकर फसल कटाई तक निशुल्क की हैबरसात के इस मौसम में हो रहे चुनाव में दारु, मुर्गा, पैसा जम कर खर्च किया जा रहा हैछोटे-छोटे बच्चे नारा भी लगा रहे हैंजो इस पोस्ट की हेडिंग है, प्रत्याशी भी आपूर्ति करने में पीछे नहीं हैंवहीँ मतदाता पीने और खाने में कमजोर नहीं हैंकुछ बस्तियों में एक प्रत्याशी खिला-पिला कर जाता हैउसके जाते ही दूसरा प्रत्याशी जाता है और मतदाता उसकी दारु पीने लगते हैं और खाने लगते हैं
इस चुनाव में देवर-भौजाई, पिता-पुत्र, भाई-भाई, देवरानी-जेठानी सहित सभी रिश्तों को भूल कर एक दूसरे के मुकाबले प्रत्याशी खड़े हुए हैंइस चुनाव में एक बात यह भी उभर कर रही है कि 24 सितम्बर को आने वाले फैसले का ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर नहीं पड़ेगामत प्राप्त करने के लिए दोनों धर्मों के लोग एक दूसरे के प्रति अत्यधिक उदार हैं जिसकी कोई सीमा नहीं है
वहीँ भ्रष्टाचार के गंगा स्नान में पंचायत चुनाव से जुड़े हुए सरकारी कर्मचारी भी जम कर स्नान कर रहे हैंजिला पंचायत नोडुस प्रमाण पत्र लेने के लिए 150 रुपये की रसीद दी जाती है और प्रत्याशी से 200 रुपये लिए जाते हैं और इस तरह से पंचायत क्षेत्र पंचायत तहसील नोडुस प्रमाण पत्र की अलग-अलग फीस हैं और सहयोग राशि अलग-अलग हैनामांकन फार्म भी ब्लैक में बेचा जा रहा हैवहीँ नोटरी अधिवक्ताओं को भी लाभ हो रहा है वह भी मनमाने तरीके से अपनी-अपनी फीस वसूल रहे हैं
यह उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव की एक तस्वीर हैआगे और भी तस्वीरें आएँगी

सुमन
लो क सं घ र्ष !

6 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

Kamobesh sab jagah yahi sthiti hai.
desha ke prajatantra ke khilvad ho raha hai.
murga-daru aur paise me vot kharida ja raha hai.
durbhagya purn sthiti hai.

Arvind Mishra ने कहा…

एक एक शब्द सच है ....

समयचक्र ने कहा…

बताइये सब दारू मुर्गा में जुटे हैं ... .. इसे nice तो नहीं कह सकता ... परन्तु खेदजनक है ...

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

पोस्टर!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut sahi likha hai ,sundar prastuti.

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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