रविवार, 15 जनवरी 2012

मार्क्सवाद और नई चुनौतियाँ-2

माध्यम साम्राज्यवाद-

बुर्जुआ विचारक कहते हैं कि मीडिया सिंपल, नेचुरल, डेमोक्रेटिक, कल्चरल एंड सिविलाइजिंग उद्यम है। यह धारणा विभ्रम पैदा करती है। गैट वार्ताओं के पहले मीडिया को संस्कृति के अंग के रूप में देखा जाता था, किंतु गैट वार्ताओं के बाद मीडिया को सेवाक्षेत्र का अंग माना जाता है। उल्लेखनीय है कि बहुराष्ट्रीय माध्यमों का अमरीकी विदेशी नीति से गहरा संबंध है। इनके समूचे समाचार और विचार संप्रेषण की धुरी है अमरीकी विदेशनीति। वे अहर्निश अमरीकी विदेशनीति का प्रचार करते रहते हैं और उसके हितों की सब समय रक्षा करते हैं। बहुराष्ट्रीय मीडिया का मूल काम है सामाजिक-राजनैतिक वर्चस्व स्थापित करना औरविभिन्न किस्म के सामाजिक विखंडन को हवा देना। साम्राज्य विस्तार, ‘प्रभुत्व’ और ‘‘निर्भरता’’ इसकी धुरी हैं। बुर्जुआ चिंतन में ग्लोबलाइजेशन का अर्थ है जिम्मेदारी और जबावदेही से मुक्ति। सामाजिक तौर पर बहिष्कार के रूपों का विस्तार, अन्तर्निर्भरता।
दूर से देखना, सत्ता की चाटुकारिता करना। बुर्जुआ विचारकों के अनुसार ग्लोबल वह है जो स्व-संचालित है। ग्लोबल व्यक्ति की मानसिकता है कि वह उपलब्ध वस्तु को ठुकराता है। आलोचनात्मक विचारों और अभिव्यक्ति के आलोचनात्मक रूपों का संभावित जगत से बहिष्कार करता है, जो विचार केन्द्र में होता है उसका ही अवमूल्यन करता है, बाजार के तर्क को सार्वजनिक जीवन पर थोपता है, बाजार के तर्क का गुलाम बनाता है, वैविध्य के बजाय इकसार वस्तुओं की बाढ़ पैदा करता है।
माध्यम साम्राज्यवाद कभी भी सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के बिना अपना प्रसार नहीं करता, इन दोनों का बहुराष्ट्रीय सैन्य उद्योग से गहरा संबंध है। सैन्य हितों को विस्तार देना इसका केन्द्रीय लक्ष्य है, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सांस्कृतिक मालों की खपत में इजाफा करके, सांस्कृतिक मालों की सामान्य जीवन में बाढ़ पैदा करके वह हमें कृत्रिम सांस्कृतिक सवालों में उलझा देता है और अपने बुनियादी काम में सफल हो जाता है। माध्यम साम्राज्यवाद अनुदार विचारधाराओं का प्रचार करता है ,उनके लिए सामाजिक परिवेश बनाता है। इसका स्वभावतः उदारतावादी विचारों के साथ बुनियादी अन्तर्विरोध है। यह साधारण लोगों में अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, देशी मीडिया, देशी जीवनशैली आदि के प्रति घृणा पैदा करता है। साधारण लोग अपनी संस्कृति से आज जितना घृणा करते हैं उतना पहले कभी नहीं करते थे। माध्यम साम्राज्वाद की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि वह घृणा और डाह को केन्द्रीय फिनोमिना बना देता है। यह भी कह सकते हैं कि वह पुरानी और नई सभी किस्म के घृणा रूपों को संजीवनी प्रदान करता है। माध्यम साम्राज्यवाद की सात सूत्रीय रणनीति है -

1. प्रतिबंधात्मक उपायों को नए किस्म के कम्युनिकेशन रूपों पर लागू न किया जाय।
2. बहुराष्ट्रीय फर्मों के निवेश के लिए माहौल बनाया जाय।
3. साझा क्षेत्र तय किए जाएँ और अस्मिता के सवालों को हाशिए पर डाल दिया जाय।
4. नई कम्युनिकेशन तकनीक, ऑडियो-वीडियो तकनीक के ऊपर लगी कानूनी पाबंदियाँ हटाई जाएँ।
5. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति के जो मानक प्रचलन में हैं ,वे महत्वहीन हैं, अप्रासंगिक हैं, वे हमारे मानक नहीं हो सकते।
6. विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक समझौते किए जाएँ।
7. बहुराष्ट्रीय फर्मो, खासकर अमरीकी कंपनियों से सीधे समझौते किए जाएँ।

-जगदीश्वर चतुर्वेदी
क्रमश:

कोई टिप्पणी नहीं:

Share |