सोमवार, 16 जून 2025

गर्मी, लू, युद्ध, अस्तित्व पर संकट और इस महान देश में अंड भक्तों का नाच ! __________

गर्मी, लू, युद्ध, अस्तित्व पर संकट और इस महान देश में अंड भक्तों का नाच ! __________ पिछले कुछ दिन मैं भीषण गर्मी से परेशान रहा. ऊपर के मेरे कमरे में गर्मी और विकराल रूप ले लेती है, नतीजा लू लग गया. नीचे के कमरे में शिफ्ट हो गया. अब जाकर रिकवर कर पाया. *** हाँ तो इस बीच इजराइल और ईरान में सैन्य झड़प शुरू हो गयी. हमने इस झड़प और इससे पहले भारत पाकिस्तान के झड़प में देखा कि मिलिट्री mobilisation नहीं हुआ और यहाँ भी नहीं हो रहा. जितने दिन भारत पाकिस्तान लड़ते रहे, हमने देखा ड्रोन्स का सहारा लेकर लड़े और बीच बीच में एयर स्ट्राइक. दोनों की सीमायें मिलती हैं इसलिए. *** पर ईरान और इजराइल के बीच 2400 किमी की दूरी है तो ऐसे में समुद्र में खड़े विमान वाहक पोत से एयर स्ट्राइक ईरान पर कर सकता है और साथ ही पनडुब्बी से मिसाइल हमले. बैलिस्टिक मिसाइल तो खैर अब पूरा महादेश लांघ सकते हैं. पूरी धरती भी. *** इजराइल लगभग दो साल से ग़ज़ा में सैन्य कार्यवाही कर रहा है जो जघन्य, निंदनीय, मानवता के खिलाफ, एक शब्द में जेनोसाइड कहा जायेगा. दुनिया खामोश थी. ग़ज़ा में अब तक 50000 से अधिक लोग मारे गए हैं. ऐसा कोई परिवार नहीं जिसने अपना सगा नहीं खोया. पीने को पानी नहीं, खाने को भोजन नहीं, सर पर छत नहीं, इज़्ज़त से जीने को रोज़गार नहीं. इस हमले पर इस देश के भी अंड भक्त लहालोट हो रहे थे, हो रहे हैं. ये कोई अलग ट्राइब नहीं है, ये पिछले दस सालों में बेहद मुखर हुई प्रजाति है, और ये लोग अजनबी नहीं. ये हमारे दोस्त हैं, रिश्तेदार हैं. जो अपनी घृणा और मानव सभ्यता और संस्कृति को लेकर नासमझी में अर्ध मानव हो गए हैं. हम इनसे बहस नहीं करते. ये बहस के लायक नहीं। *** तो इस बार इजराइल ने आगे बढ़कर ईरान पर हमला कर दिया. फिर जो हुआ उसके लिए इजराइल तैयार नहीं था. उसे उम्मीद ही नहीं थी कि ईरान कोई एक्शन भी लेगा. पर उसकी उम्मीद के विपरीत ईरान ने ईंट का जवाब पत्थर से देना शुरू किया. जिस इजराइल को आदत थी विद्रोही गुटों के छिटपुट हमलों की, वहां मिसाइल गिरने लगे. आसमानी आग के गोले. फिर तो इजराइल का प्रधानमंत्री देश छोड़कर भागता नज़र आया. वैसे भी इजराइल को आदत है कि थोड़ी सी गर्दन मुसीबत में फंसे, तुरंत पापा को याद करो. और ये पापा का इतना लाडला है कि वो पापा के जहाज़ी बड़े पर हमला कर सकता है, वो पापा के व्यवसायिक हितों को चोट पहुंचा सकता है और पापा को बताएगा कि देखो ये काम ईरान का है. और पापा कहेगा, हाँ. फिर ब्रिटैन कहेगा हाँ, थोड़ा रुकिएगा तो फ्रांस कहेगा हाँ. फिर जर्मनी फिर कनाडा फिर और आगे. *** और अरब राष्ट्र क्या करेंगे? अरब राष्ट्रों को कमजोर ना समझिये. उन्होंने अमेरिका की एक तिहाई सम्पति खरीद रखी है. आप समझते हैं अमेरिका अरब राष्ट्रों को चला रहा है पर अमेरिका एक भिखमंगा है जो अरब राष्ट्रों, चीन रूस सबकी संपत्ति से चल रहा है. न्यूयोर्क में सिर्फ वहां की बिल्डिंग्स के मालिकों के नाम की लिस्ट देखिएगा, तो एक तिहाई पर अरब के शेखों के नाम लिखे मिलेंगे. अब ऐसे में दो बातें हो सकती हैं, अपनी हैसियत का धौंस अरब देश भी दिखाएँ और अमेरिका को घुटने पर लाएं, पर उन्हें डर है कि अगर ऐसा करेंगे तो वो जो अरबों खरबों डॉलर की प्रॉपर्टी अमेरिका में खरीद रखी है उसे एनिमी प्रॉपर्टी घोषित करके एक झटके में अमेरिका ज़ब्त न कर ले. तो ये अरब राष्ट्र जो हर साल अमरीका, फ़्रांस, ब्रिटैन जैसी सम्रज्य्वादी ताकतों के हथियार- विमान, टैंक, गोले, गन्स, खरीदकर खरबों डॉलर्स का अनुदान देते हैं और इनके आर्म्स इंडस्ट्री को खड़ा रखते हैं. फिर उन आर्म्स इंडस्ट्री के मालिक ऐश करते हैं और उन फैक्ट्रीज में काम करने वाले अमेरिकियों के घर चूल्हे जलते हैं. एक वक़्त की रोटी तोड़ते हैं और इसा मशीह से पहले अल्लाह को याद करते हैं. *** तो ये अरब राष्ट्र एक जुट होने के बजाय देखते हैं हमारी चमड़ी बची है तो जाने दो ईरान को भाड़ में.और इजराइल और उसका पापा और उसके चाचा, फूफा क्या करते हैं, वे अपने आप को डेमोक्रेसी, प्रगतिशीलता, तरक्की, अमन पसंदी, आधुनिक विचार, फ़्लान फलां के पैयम्बर मानते हुए उन तमाम राष्ट्रों को एक्सिस ऑफ़ ईविल घोषित करते हैं जो उनके सामने घुटने नहीं टेक ता और 56 इंची का सीना और रीढ़ की हड्डी रखता है. ईरान वही देश है और जाहिर है वो इन देवदूतों के निशाने पर है. *** ये सब महीन बातें इस देश में अंड भक्तों को समझ नहीं आतीं. उनकी बुद्धि मोटी है. चीन के नाम से उनका पैंट गीला होता है ये तो पता ही है. पाकिस्तान पाकिस्तान करके देश को आज पाकिस्तान से भी नीचे ले आये. *** तो ये जो युद्ध चल पड़ा है, इसमें ईरान ने तीखा और माकूल जवाब दिया है. मिडिल ईस्ट में ईरान का मिसाइल डेवेलपमेंट प्रोग्राम सबसे विशाल है ये सब जानते हैं. हज़ारों की संख्या में उसके पास मिसाइल हैं. और एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईरान ने अभी अपने जिन मिसाइल्स से इजराइल के डिफेन्स सिस्टम की कमियों को उजागर किया है, वे दरअसल पुराने मिसाइल हैं. अभी तो उसके पास मारक बैलिस्टिक मिसाइल्स का जखीरा है. और इन मिसाइल की मदद से वे कुछ सप्ताह युद्ध को खींच सकता है. *** पर मामला इतना ही नहीं है. सच यह है कि अगर लड़ाई लम्बी खींचेगी तो ईरान का पलड़ा हल्का होता जाएगा. एक तो वो अलग थलग है, दशकों से उसने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में निर्वासन की स्थिति झेली है और साथ ही इकनोमिक सैंक्शंस भी. आपको याद होगा अमेरिकी दबाव के चलते भारत ईरान के साथ गैस पाइपलाइन के प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर सका. अपने आप को अलग कर लिया. नुक्सान भारत और ईरान दोनों का हुआ. *** दूसरे, ईरान का पापुलेशन इजराइल से कई गुना ज्यादा जरूर है पर अब तो ट्रेडिशनल वारफेयर है नहीं कि अधिक से अधिक युवा देश की रक्षा के नाम पर आगे आएंगे. युद्ध का रूप बदल चूका है. युद्ध अब शुद्ध टेक्नोलॉजी और धन से लड़ा जा रहा है. इस मामले में इजराइल का पलड़ा भारी है. वो बहुत आसानी से पापा और उसके दोस्तों से जितनी मर्ज़ी हथियार और आर्थिक संसाधन मांग सकता है. उसके पास ईरान को घेरे अरब राष्ट्र के मिलिट्री बेस, एयर स्पेस के इस्तेमाल की छूट है. ईरान को घेरे समुद्रों में खड़े अमेरिकी विमान वाहक पोत, पनडुब्बी के इस्तेमाल की सुविधा, पापा का ब्लेंक चेक को भुनाने की सुविधा. ईरान इतनी आसानी से आर्म्स नहीं मंगवा सकता. चीन, रूस समर्थन में हैं, पर आर्म्स समय पर हासिल कर पाना युद्ध के आगे बढ़ते जाने की स्थिति में मुश्किल होता जाएगा- ये तय है. *** ऐसे में युद्ध कुछेक सप्ताह चल सकता है और एक चीज इजराइल और उसके समर्थक राष्ट्रों को परेशां किये रहेगी, वो है ईरान के परमाणु बम से लैस बैलिस्टिक मिसाइल. एक भी ऐसा मिसाइल ईरान ने चला दिया तो इजराइल का नामोनिशान इस धरती से मिट जाएगा. छोटा सा देश है, एक ही बम काफी होगा. हालाँकि इसके बाद जाहिर है ईरान पर भी परमाणु हमले होंगे. और ईरान की भी वही स्थिति होगी. ईरान भी बहुत बड़ा नहीं। एक पश्चिमी विक्षोभ की हवा पच्छम से बहेगी और सारा नुक्लेअर रेडिएशन पूरब में पसर जाएगा. और अगर ऐसा हुआ तो इसका असर अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत सब पर पड़ेगा. लंगड़ी लूली प्रजातियां पैदा होती रहेंगी. इसमें अंड़भक्त भी शामिल रहेंगे. वे भी तो कोई दूसरी दुनिया से आये नहीं हैं. मिडिल ईस्ट तबाह होगा, इधर एशिया के ये देश तबाह होंगे. बचेगा कौन? हमेशा की तरह हथियारों के सौदागर. *** इजराइल इस खतरे को समझता है इसलिए वो बार बार ईरान के नुक्लिएर साइट्स पर हमले करता है और ईरान भी इस बात को समझता है कि इस कठिन दुनिया में सर्वाइवल के लिए आणविक हथियार तुरुप का इक्का है. इसलिए इसे बनाये रखना है और जितनी तेजी से संभव हो, एक stockpile तैयार रखना है. नहीं तो परम्परागत युद्ध में तो ये हमारा नामोनिशान मिटा देंगे. *** अब देखते जाईये आगे आगे होता है क्या ! -बालेन्दु शेखर मंगलमूर्ति

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कुल मिलाकर बाप की तरह ही विचारक हो

Randhir Singh Suman ने कहा…

धन्यवाद

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