सोमवार, 16 जून 2025

गजेंद्र प्रियांशु को बधाई उनकी सुप्रसिद्ध कविता 'भीष्म की व्यथा' अब महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर स्थित डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में स्नातक द्वितीय वर्ष में पढ़ाई जाएगी.

गजेंद्र प्रियांशु को बधाई उनकी सुप्रसिद्ध कविता 'भीष्म की व्यथा' अब महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर स्थित डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में स्नातक द्वितीय वर्ष में पढ़ाई जाएगी. 'भीष्म की व्यथा'- शरशैय्या पर लगे पूछने भीष्म पितामह कहो युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ कैसा लगता है। कहो युधिष्ठिर पतझर सा सूना सूना लगता है उपवन, या फिर गीत सुनाती हैं अलमस्त हवाएं, छमछम नूपुर बजते रहते राजभवन में या फिर करती हैं विलाप व्याकुल विधवाएं. कहो युधिष्ठिर कौरव कुल के लाल रक्त से, धुला हुआ यह राजवस्त्र कैसा लगता है? कहो युधिष्ठिर धर्म युद्ध है धर्मराज यह कहकर तुमने, कौरव के समान ही की है भागीदारी, धर्मयुद्ध था या अधर्म यह ईश्वर जाने, पर समानतम थी दोनों की हिस्सेदारी. कहो युधिष्ठिर धर्म युद्ध या केवल हठ में, मानवता हो गयी ध्वस्त कैसा लगता है? कहो युधिष्ठिर गली गली में लाखों प्रश्न खड़े हैं लेकिन, प्रश्न सभी यदि युद्धों से ही हल हो जाते, तो राधा के नयन प्रलय के आंसू लाते, और सुदामा के तंदुल असफल हो जाते, कहो युधिष्ठिर यह कैसा है धर्म जगत का , जीवन ही हो रहा नष्ट कैसा लगता है. कहो युधिष्ठिर धर्मराज धर्मावतार सत्पथ अनुगामी, तुमसे बढ़कर कौन जानता मर्म हमारा, धर्म अगर संकट बन जाए राष्ट्रधर्म पर, तो अधर्म के साथ रहूं था धर्म हमारा. कहो युधिष्ठिर क्या था मेरा धर्म कि जिससे जीवन भर मैं रहा त्रस्त कैसा लगता है? कहो युधिष्ठिर.... क्या अब कर्ण नहीं बहते हैं गंगाजल में, क्या निश्चिन्त हो गयी जग में कुन्ती मायें, सर्वनाश हो गए कहो कुल दुशासनों के, या लुटती रहती हैं अब भी द्रुपद सुताएँ. कहो युधिष्ठिर भोर हो गयी क्या भारत में, या सूरज हो रहा अस्त कैसा लगता है? कहो युधिष्ठिर

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