लो क सं घ र्ष !
लोकसंघर्ष पत्रिका
शनिवार, 6 दिसंबर 2025
मोदी का नया चमत्कार -एअरोड्रोम यात्री कपड़े उतार कर प्रदर्शन कर रहे हैं
जो भी राज्य सत्ता में बने रहने के लिए धर्म, जाति और झूठ का सहारा लेता है, वह पीछे हट जाएगा। समकालीन विश्व और इतिहास, दोनों ही इसका गवाह हैं।
• स्वास्थ्य सेवा से लेकर शिक्षा तक, हर सार्वजनिक सेवा चरमरा गई है।
• पुलिस, सरकार, न्यायपालिका और अन्य क्षेत्रों में रिकॉर्ड भ्रष्टाचार।
• यहाँ तक कि बुनियादी परिवहन भी चरमरा रहा है, चाहे वह सड़क हो, रेल हो या विमानन।
• सशस्त्र बल नियमित रूप से अपमानित हो रहे हैं।
• कूटनीति गर्त में है।
• अर्थव्यवस्था गड्ढे में जा रही है।
म्यांमार अब फेल्ड स्टेट बनने की राह पर है।
एक थी बाबरी मस्जिद
*एक थी बाबरी मस्जिद*
पागल हुज़ूम था
सरकार थी
अदालत थी
सुरक्षा धरी रह गयी
ईंट ईंट ढह गयी
चक्रव्यूह में अकेली निहत्थी
एक थी बाबरी मस्जिद
आदियोग
शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025
संघ का प्रभाव संघी इसका विरोध नही करेगे सिर्फ इस्लामिक फोबिया के शिकार
संघ का प्रभाव
संघी इसका विरोध नही करेगे
सिर्फ इस्लामिक फोबिया के शिकार
भारत कजिन विवाह के दो सर्वे हैं National Family Health Survey (NFHS) 1992-93 और 2015-16 का जो बताता है कि मात्र 10% मुसलमान ही फर्स्ट कज़िन और सेकंड कज़िन से विवाह करते हैं।
वही हिंदुओं में कज़िन से विवाह का प्रतिशत भी उत्तर भारत में लगभग इतना ही 10% है मगर दक्षिण भारत में यह प्रतिशत लगभग 30% तक तो मंगलोर जैसी जगहों पर हिंदुओं का कजिन से विवाह लगभग 48% है.. मतलब हर दूसरी शादी कजिन से है
ऐ शब्बास .जंगली शेर
ऐ शब्बास ....
बाबर का जन्म: 14-02-1483
मृत्यु: 26-12-1530
महाराणा प्रताप का जन्म: 09-05-1540
मृत्यु: 19-01-1597
सौ - sanjay महिंद्रा
गुरुवार, 4 दिसंबर 2025
पीएम का नरक कुंड- प्रमोद पाहवा
पीएम का नरक कुंड
प्रमोद पाहवा
तीन दिन पहले पोस्ट की थी कि एस्प्रीन टेबलेट के अतिरिक्त करप्शन के तीर भी चल सकते हैं।
Ruby Arun साहिबा की सूचनात्मक पोस्ट....
कुछ बड़ा वाला बखेड़ा होने वाला है...
16 मार्च को प्रसार भारती के चेयरमैन बने #NavneetSehgal का इस्तीफा "With Immediate Effect" से ले लिया गया है.
पहले हिरेन के मित्र हितेश जैन से लॉ कमीशन के मेंबर के पद से इस्तीफा ले लिया गया. उनका बंगला तक खाली कर लिया गया. फिर हिरेन भाई को भी बाहर कर दिया गया.
और अब ये नवनीत सहगल....
सुधीर चौधरी को भी नवनीत सहगल ही करोड़ों के पैकेज पर दूरदर्शन में लाए थे.
सब "बहुत अंदर" की सूचनाओं के "आदान प्रदान" "संयोग प्रयोग" और "खाने खिलाने डकारने " सत्ता पाने का खेल है जिसमें अभी और लोगों की बलि चढ़नी है.
क्योंकि #डर बादशाहों को भी लगता है.
बुधवार, 3 दिसंबर 2025
पवन कल्याण को आंध्र मंत्रीमंडल से तुरंत हटाने की मांग की-के नारायणा
पवन कल्याण को आंध्र मंत्रीमंडल से तुरंत हटाने की मांग की-के नारायणा
कामरेड नारायणा ने कहा- डिप्टी सीएम इस पद को संभालने के लायक नहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण को राज्य कैबिनेट से तुरंत हटाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि वह यह पद संभालने के लायक नहीं हैं By - एजेंसी 3 Dec 2025 11:30 AM भाकपा ने विवादित बयानों को लेकर आंध्र के डिप्टी सीएम पवन कल्याण को हटाने की मांग की हैदराबाद। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण को राज्य कैबिनेट से तुरंत हटाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि वह यह पद संभालने के लायक नहीं हैं। बुधवार को जारी एक वीडियो बयान में पार्टी के नेशनल कंट्रोल कमीशन चेयरमैन डॉ.के नारायण ने कल्याण के हालिया बयानों पर दो तेलुगु राज्यों के लोगों के बीच फूट डालने और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बंटवारे के बावजूद बनी एकता को बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को जोड़ते रहते हैं। Also Read - पवन कल्याण “तेलंगाना के खिलाफ अपमानजनक” बयान पर माफी नहीं मांगते तो उनकी फिल्मों की रिलीज रोक दी जाएगी : तेलंगाना मंत्री रेड्डी कल्याण पर निशाना साधते हुए, भाकपा नेता ने कहा कि एक्टर से नेता बने कल्याण ने कभी चे ग्वेरा को अपनी प्रेरणा बताया था, लेकिन अब विनायक सावरकर को एक आदर्श के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की वकालत करने के लिए कोई भी आज़ाद है, लेकिन जो नेता इसे "बदनाम" कहता है, उसे राजनीति में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
हमजा अलवी (1921-2003) की स्मृति: पाकिस्तान की व्याख्या, दुनिया में बदलाव
हमजा अलवी (1921-2003) की स्मृति: पाकिस्तान की व्याख्या, दुनिया में बदलाव
पाकिस्तान के सबसे प्रसिद्ध मार्क्सवादी, विद्वान, लेखक और कार्यकर्ता को व्यक्तिगत श्रद्धांजलि।
-रज़ा नईम
सभी घड़ियाँ बंद कर दो...शोक मनाने वालों को आने दो।
- डब्ल्यूएच ऑडेन
10 अप्रैल, दिवंगत हमज़ा अलवी की जन्मशती है। हालाँकि विश्व-प्रसिद्ध मार्क्सवादी समाजशास्त्री को दक्षिण एशिया में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है, फिर भी यहाँ मेरे विचार मुख्यतः उनके जीवन के अंतिम वर्षों में उनसे हुई मेरी एकमात्र मुलाकात की यादों पर आधारित होंगे, और फिर इस बात पर भी विचार करेंगे कि उस मुलाकात ने मुझे पेशेवर और राजनीतिक रूप से कैसे बदल दिया, और अंत में हमारे समय, खासकर पाकिस्तान के लिए उनके काम की प्रासंगिकता पर चर्चा करेंगे।
मैं हमज़ा अलवी की विरासत की तुलना एक और प्रखर बुद्धिजीवी से करने से खुद को नहीं रोक पा रहा हूँ, जो अलवी की तरह ही एक जड़विहीन महानगरीय व्यक्ति थे, जिन्हें अपने जन्मस्थान से उखाड़ फेंका गया था, जिन्होंने पश्चिम में एक प्रतिष्ठित विद्वान और एक कार्यकर्ता, दोनों के रूप में अपनी पेशेवर पहचान बनाई, जिन्हें रूढ़िवादियों ने तिरस्कृत और तिरस्कृत किया, लेकिन अलवी के विपरीत, उन्हें अपनी मातृभूमि में निधन का संतोष नहीं मिला। मैं निश्चित रूप से दिवंगत फ़िलिस्तीनी बुद्धिजीवी एडवर्ड सईद की बात कर रहा हूँ, जिनका भी अलवी की तरह 2003 में निधन हो गया।
सईद और अलवी दोनों ने अपने-अपने अलग-अलग तरीकों से, एक साहित्यिक आलोचक के रूप में और दूसरा मानवविज्ञानी/समाजशास्त्री के रूप में, उत्पीड़ितों और हाशिए पर पड़े लोगों की रक्षा करने और ऐसे उत्पीड़न को जन्म देने वाली सांस्कृतिक संरचनाओं की जांच करने और उन्हें चुनौती देने का प्रयास किया। दोनों के जीवन में मौलिक घटनाएं घटीं: सईद के लिए 1967 में इजरायल के हाथों अरबों की हार, और अलवी के लिए बांग्लादेश की मुक्ति, जिसने कुछ साल बाद, 1971 में पाकिस्तान को विभाजित कर दिया। फिर भी कोई इस विडंबना को नोटिस करने में मदद नहीं कर सकता है कि जबकि सईद की विरासत रामल्लाह और बेरूत से लेकर न्यूयॉर्क और लंदन तक दुनिया भर में मनाई जाती है, तो कौन से कुछ प्रमुख भक्त (पूर्व में) अलवी - हमारे अपने एडवर्ड सईद - के योगदान पर ध्यान देना चुनते हैं, लेकिन पश्चिम में नहीं, सौ साल बाद?
हमज़ा अलवी को उनके जन्म के सौ साल बाद याद करते हुए, अक्सर यह सवाल उठता है कि अपनी मृत्यु के बाद से दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में उन्होंने क्या महसूस किया होगा और क्या लिखा होगा? वे 9/11 के मूक गवाह नहीं थे, लेकिन उदाहरण के लिए, अफ़ग़ानिस्तान, इराक, लीबिया में इस्लामोफ़ोबिया और पश्चिमी साम्राज्यवादी अभियानों के तेज़ी से बढ़ते उभार और सीरिया में जारी विखंडन के बारे में उनकी क्या राय रही होगी? या फिर बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता और धार्मिक कट्टरवाद, जो पाकिस्तान की विशेषता रही है - और अब तेज़ी से भारत और बांग्लादेश की भी - और उसे निगलने पर आमादा है? या फिर एक समान रूप से अपूर्ण सैन्य तानाशाही के बाद पाकिस्तान का लोकतंत्र की ओर अपूर्ण संक्रमण?
इससे भी ज़्यादा मार्मिक बात यह है कि जब मैं यह लिख रहा हूँ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने संकेत दिया है कि वे दूसरे राहत पैकेज के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से संपर्क करेंगे, जो 2019 में IMF से 6 अरब डॉलर का ऋण मिलने के बाद आ रहा है; क्या अलवी ने 1960 के दशक में ही अमेरिकी सहायता और सैन्य सहयोग पर पाकिस्तान की निर्भरता पर लिखे अपने निबंधों की श्रृंखला में इसकी भविष्यवाणी की थी? या यह कि माओवादी नेतृत्व में एक बेहद अनुशासित किसान सेना सदियों पुरानी हिंदू राजशाही को उखाड़ फेंकेगी और चीन के ठीक बगल वाले छोटे से नेपाल में एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की स्थापना करेगी, जहाँ पूंजीवादी पुनर्स्थापना और उसके बाद पैदा हुई व्यापक असमानता और भ्रष्टाचार का मुकाबला माओ के वशीभूत एक नए वामपंथी बुद्धिजीवियों द्वारा किया जाने लगा है? या फिर पितृसत्ता और रूढ़िवादी धर्म में निहित पाकिस्तानी महिलाओं के खिलाफ सम्मान से संबंधित अपराधों की बढ़ती लहर और मलाला यूसुफजई नामक एक किशोरी का उदय, जो ड्रोन हमलों के समय में धीरे-धीरे बढ़ते तालिबानीकरण के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गई और नोबेल शांति पुरस्कार भी जीत चुकी है; और यहां तक कि एक नवजात मध्य वर्ग का उदय, जिसके कुछ हिस्सों ने अपने स्वयं के कारणों से परवेज मुशर्रफ, फिर सफल वकीलों के आंदोलन और बाद में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, और पाकिस्तानी वामपंथ की कमजोरी का समर्थन किया?
साम्राज्यवाद, समाजवाद, उत्तर-औपनिवेशिक राज्य की रूपरेखा, क्रांति में किसानों की भूमिका, पाकिस्तान में राज्य और वर्ग, हरित क्रांति के अंतर्विरोध, अमेरिकी सहायता पर पाकिस्तान की निर्भरता और बिरादरी के मानवशास्त्र पर अपने मौलिक निबंधों में हमज़ा ने कई मायनों में इन और अन्य सवालों के जवाब दिए हैं। आज भी इन निबंधों को बार-बार पढ़ना इन कठिन समय में ध्यान को काफी हद तक ताज़ा करता है, जबकि अन्य लोगों के लिए, जिस नए समय में हम रह रहे हैं, साथ ही विकासशील देशों में साम्राज्यवाद और राज्य और समाज की बदलती प्रकृति, उनके काम के पुनर्मूल्यांकन और रचनात्मक आलोचना की मांग करती है।
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मंगलवार, 2 दिसंबर 2025
ईडी 'कागजी साँप' है -बिनॉय विश्वम
ईडी 'कागजी साँप'है -बिनॉय विश्वम
तिरुवनंतपुरम। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की केरल इकाई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने तंज कसते हुए कहा है राज्य में चुनावी मौसम पूरे ज़ोरों पर है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का नया नोटिस बिल्कुल सही समय पर आया है। इसे उन्होंने लोगों को डराने के मकसद से बनाया गया महज़ एक "कागजी साँप" बताया।
वह ईडी के केआईआईएफबी मसाला बॉन्ड मुद्दे के संबंध में मुख्यमंत्री, पूर्व वित्त मंत्री डॉ. टीएम थॉमस आइजैक और केआईआईएफबी के सीईओ को नोटिस पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
एक दरख्त लगाओ - श्री सन्तोष कुमार झा,
एक दरख्त लगाओ
- श्री सन्तोष कुमार झा,
मोबाइल नं.9004447000
एक दरख्त लगाओ
कि तमाम परिन्दों का घर होगा
कड़ी धूप में राहगीरों का बसर होगा।
एक दरख्त लगाओ
कि बारिश आएगी
तपती जमीन को राहत, आबादी लहलहाएगी।
एक दरख्त लगाओ
कि फूल खिलेंगे, फल भी आएंगे
बच्चे खेलेंगे, गुलशन भी महक जाएंगे।
एक दरख्त लगाओ
कि थके मांदों को छांव मिल जाए
बस्तियां बसें, शहरों को गांव मिल जाए।
एक दरख्त लगाओ
कि धुएं को कौन पिएगा
नीलकण्ठ बन तुम्हारे लिए कौन जिएगा।
एक दरख्त लगाओ
कि मोहब्बत गुनगुनाएगी
मोर नाचेंगे भंवरे गाएंगे, राधा मुस्कुराएगी।
एक दरख्त लगाओ
कि कोयल कूकेगी, पपीहे गीत गाएंगे।
गोपियां नाचेंगी, कान्हा बांसुरी बजाएंगे।
एक दरख्त लगाओ
कि कुदरत का कहर न हो
सूखा पड़े न बाढ़ आए, आंधियों का डर न हो।
एक दरख्त लगाओ
कि देर न हो जाए
आग की बारिश हो हिमालय ही पिघल जाए।
एक दरख्त लगाओ
कि धरती पे हरा रंग रहे
पशु-पक्षी, पहाड़, नदियां आदमी के संग रहे।
एक दरख्त कटा तो मानो
एक बच्चा मर गया
एक दरख्त जिया तो समझो
कई पीढियां जी गईं।
एक दरख्त हर कोई लगाएगा
अपने हाथों से कई पीढ़ियां बचाएगा।
पाकिस्तानी जासूस प्रकाश सिंह गिरफ्तार संघ कनेक्शन हो सकता है इसलिए छोटी धारा लगाई गई है
पाकिस्तानी जासूस प्रकाश सिंह गिरफ्तार
संघ कनेक्शन हो सकता है इसलिए छोटी धारा लगाई गई है
पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा प्रकाश सिंह राजस्थान से गिरफ्तार, ISI के लिए करता था काम
राजस्थान CID ने पंजाब के प्रकाश सिंह उर्फ बादल को ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में श्रीगंगानगर से पकड़ा. वह सेना की मूवमेंट, सैन्य ठिकानों और बॉर्डर निर्माण की फोटो-वीडियो पाकिस्तान भेजता था. दूसरों के मोबाइल OTP से व्हाट्सएप अकाउंट बनवाकर नेटवर्क चलाता था. ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में केस दर्ज हुआ.
राजस्थान पुलिस की CID इंटेलिजेंस विंग ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. सीआईडी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने वाले पंजाब के युवक प्रकाश सिंह उर्फ बादल (34) को श्रीगंगानगर से गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक, जासूस प्रकाश सिंह, पंजाब के फिरोजपुर का रहने वाला है. वह श्रीगंगानगर में सैन्य क्षेत्र के आस-पास घूमते पकड़ा गया. यह जासूस भारतीय सेना की हर मूमेंट पर नजर रखकर फोटो-वीडियो पाकिस्तान भेज रहा था.
सोमवार, 1 दिसंबर 2025
योगी बुलडोजर खराब यूपी में रिश्वत लेकर प्राइवेट स्कूलों को दे रहे मान्यता:DIOS का रेट 1 लाख, SDM 50 हजार ले रहे
योगी बुलडोजर खराब
यूपी में रिश्वत लेकर प्राइवेट स्कूलों को दे रहे मान्यता:DIOS का रेट 1 लाख, SDM 50 हजार ले रहे
'प्राइवेट स्कूल में 12वीं की मान्यता चाहिए… 5 लाख खर्च होंगे। DIOS को 1 लाख… SDM, AE और GIC के प्रिंसिपल को 50-50 हजार जाते हैं। इलाहाबाद (यूपी माध्यमिक शिक्षा मंडल) में 1 से डेढ़ लाख लगेंगे… फिर शासन भी 1 लाख लेगा।'
DIOS ऑफिसों के बाबुओं की इन बातों से साफ है कि यूपी के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। यहां प्राइवेट स्कूलों की मान्यता के लिए मोटी रकम लगती है। इसमें सभी की हिस्सेदारी है। प्राइवेट स्कूल संचालक रिश्वत की इस राशि की भरपाई बच्चों की फीस बढ़ाकर कर रहे।
यही वजह है कि यूपी में प्राइवेट स्कूलों ने 2024 में 11% और 2025 में 12% तक फीस बढ़ाई। अब फिर नए सत्र के लिए फीस बढ़ाने की तैयारी है। अखिल भारतीय प्राइवेट स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन के यूपी अध्यक्ष ह्रदयनारायण जायसवाल का तर्क है कि यूपी के शिक्षा विभाग में हर लेवल पर पैसा देना पड़ता है। जो 10 करोड़ रुपए लगाकर स्कूल खोलेगा, वह कमाएगा भी।
ये पैसा पेरेंट्स से वसूला जा रहा। ह्रदयनारायण के इस तर्क की हकीकत जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने सीतापुर, बाराबंकी के DIOS और बेसिक शिक्षा विभाग में 10 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। पढ़िए, पूरा खुलासा…
पहले जानिए प्राइवेट स्कूलों का फीस बढ़ाने का तर्क ह्रदयनारायण जायसवाल का कहना है- इस बात में सच्चाई है कि बगैर पैसा दिए मान्यता नहीं होती। शिक्षा विभाग में हर लेवल पर पैसा देना पड़ रहा। इसे लेकर सरकार को ध्यान देना चाहिए, क्योंकि विद्यालय चलाना पुण्य का काम है। लेकिन, आज की तारीख में स्कूल खोलना बड़े लोगों का काम हो गया है। अब कम से कम 10 करोड़ रुपए के बिना स्कूल नहीं खोल सकते। अब अगर कोई 10 करोड़ रुपए लगाएगा, तो कमाई भी करेगा। क्योंकि उसे बैंक का लोन देना होगा। वो ये खर्च कहां से उठाएगा?
अब जानिए मान्यता के लिए शिक्षा विभाग में क्या खेल चल रहा? हमने एक प्राइवेट स्कूल से ऐसी फाइल का जुगाड़ किया, जिसे 8वीं (जूनियर हाईस्कूल) और 12वीं (इंटर कॉलेज) की मान्यता चाहिए। हम लखनऊ से 90 किमी दूर सीतापुर के DIOS ऑफिस पहुंचे। यहां DIOS बाहर कुर्सी डालकर बैठे थे। भीतर हमारी मुलाकात मान्यता का काम देख रहे सुभाष बाबू से हुई। उसने पहले तो फॉर्म देकर प्रक्रिया समझाई। इसके बाद खुलकर बताया कि मान्यता के लिए कितने रुपए देने होंगे? इसमें किसकी, कितनी हिस्सेदारी है…
रिपोर्टर: सुभाष भाई… एक स्कूल की मान्यता कराना है।
सुभाष बाबू: कहां का है?
रिपोर्टर: नैमिष वाले रोड पर।
सुभाष बाबू: वहां… किधर…?
रिपोर्टर: सिधौली से नैमिष को जाती है… उसी पर 5 किलोमीटर पर।
सुभाष बाबू: ठीक है… हो जाएगा। ये प्रोफार्मा है… इसमें विज्ञान और कला का लिख दे रहे हैं।
रिपोर्टर: ठीक है दीजिए… और बताइए।
सुभाष बाबू: यहां का खर्चा ढाई लाख रुपए आएगा।
रिपोर्टर: इसमें कौन-कौन लेता है?
सुभाष बाबू: इसमें DIOS (जिला विद्यालय निरीक्षक), SDM (उप-जिलाधिकारी), AE (असिस्टेंट इंजीनियर) और GIC (गवर्नमेंट इंटर कॉलेज) का प्रिंसिपल।
रिपोर्टर: …तो आप ही डील करेंगे?
सुभाष बाबू: हां, हो जाएगा… 4 अफसरों की कमेटी है।
रिपोर्टर: …तो DIOS का क्या रहता है?
सुभाष बाबू: सब उसी में है।
बाबू सुभाष ने ये साफ कर दिया कि DIOS में मान्यता की फाइल आगे बढ़ाने और जांच रिपोर्ट स्कूल के पक्ष में देने के लिए कमेटी को ढाई लाख रुपए देने होंगे। इसके बाद सुभाष ने इलाहाबाद में यूपी माध्यमिक शिक्षा मंडल और शासन में फाइल पास कराने का तरीका और रेट भी बताए।
सीतापुर में सुभाष बाबू का कहना है कि सब मैनेज हो जाता है।
इलाहाबाद में डेढ़ लाख और शासन में 1 लाख खर्च होंगे
सुभाष बाबू: जब फाइल इलाहाबाद (यूपी माध्यमिक शिक्षा मंडल) चली जाएगी तो वहां भी करना है।
रिपोर्टर: वहां… क्या खर्च आएगा?
सुभाष बाबू: एक से डेढ़ लाख रुपए।
रिपोर्टर: अच्छा… यानी 4-5 लाख रुपए खर्च करने होंगे।
सुभाष बाबू: …और वहां से फाइल जब शासन (विभाग) को जाएगी, तो वहां भी देने होंगे।
रिपोर्टर: वहां कितना देना होगा?
सुभाष बाबू: वहां भी लगभग 1 लाख रुपए खर्च होंगे।
रिपोर्टर: मतलब टोटल 5 लाख रुपए मानकर चला जाए।
सुभाष बाबू: हां, ऐसा ही।
रिपोर्टर: यहां वाला तो सब आप करा देंगे न?
सुभाष बाबू: हां, यहां वाला तो हम करा ही लेंगे। इलाहाबाद के लिए आपको नंबर दे देंगे।
रिपोर्टर: स्कूल की जांच करने कौन-कौन आता है?
सुभाष बाबू: जांच में DIOS साहब भी जाते हैं, GIC प्रिंसिपल जाते हैं, बाकी सबका मैनेज हो जाता है।
रिपोर्टर: PWD का कोई अधिकारी जाता है क्या?
सुभाष बाबू: जाते नहीं, सब मैनेज हो जाता है।
रिपोर्टर: SDM…?
सुभाष बाबू: वो भी नहीं जाते, वो सब उसी में मैनेज हो जाता है। जब ले रहे हैं… तब जांच क्या करेंगे…?
रिपोर्टर: DIOS कितना लेते हैं?
सुभाष बाबू: पूरे 1 लाख रुपए।
रिपोर्टर: …और SDM…?
सुभाष बाबू: 50 हजार रुपए।
अब चलिए बाराबंकी…
बाबू सुभाष ने पूरे 5 लाख रुपए की रिश्वत का हिसाब-किताब दे दिया। अब हमारे सामने सवाल था कि क्या यूपी के बाकी जिलाें में भी ऐसा हो रहा। इसकी इन्वेस्टिगेशन के लिए हम अगले दिन लखनऊ से 40 किमी दूर बाराबंकी के DIOS ऑफिस पहुंचे। यहां हमारी हमारी मुलाकात बाबू मनोज कश्यप से हुई। हमने उनसे स्कूल की मान्यता के बारे में बात की…
रिपोर्टर: मान्यता कराना है, काम में थोड़ी कमी हो तो हो जाएगा न?
मनोज बाबू: हां, थोड़ा-बहुत तो चलेगा ही।
रिपोर्टर: जैसे क्या…?
मनोज बाबू: जैसे- मान लो… पल्ले (दरवाजे) नहीं लगे हैं, तो बाद में लग जाएंगे। प्लास्टर नहीं हुआ हो, तो बाद में भी हो जाएगा।
रिपोर्टर: और क्या करना होगा?
मनोज बाबू: असल में साहब ऊपर (पहली मंजिल पर अपने केबिन में) लेते हैं… क्या लेते हैं…? क्या करते हैं…? वही बताएंगे… जो भी आता है… ऊपर चला जाता है। जो उनको देना होता है… दे देता है। जो हमको देना होता है… हमको दे देता है।
रिपोर्टर: आप ही के जिम्मे कर देते हैं… जो होगा देखिएगा।
मनोज बाबू: वो हमारे जिम्मे करने से नहीं लेंगे… वो डायरेक्ट ही आपसे बात करेंगे।
बाराबंकी के DIOS ऑफिस के बाबू मनोज कश्यप ने भरोसा दिलाया कि आपका काम हो जाएगा।
रिपोर्टर: …तो क्या क्राइटेरिया है?
मनोज बाबू: (इशारा करते हुए) थोड़ा-सा उससे ऊपर है… यानी 1 (एक लाख रुपए) से ऊपर है।
रिपोर्टर: ठीक है… फाइल तैयार कर लेते हैं।
मनोज बाबू: हां, फाइल तैयार करके किसी को भेजिएगा… आप न आइएगा। जो थोड़ा-बहुत 19-20 होगा… वह चलेगा… ऐसा नहीं है कि 19-20 नहीं चलेगा।
रिपोर्टर: …लेकिन आप ही को सब कुछ करना है।
मनोज बाबू: हां, 19-20 चलाना पड़ेगा।
रिपोर्टर: ठीक है।
मनोज बाबू: इसको (आवेदन की फाइल) तब तक ऑनलाइन करा दीजिए… जो भी सत्यापन कराना है… अपने स्तर से करा लीजिए।
रिपोर्टर: ठीक है, ये सब करा लेंगे।
मनोज बाबू: फाइल मेंटेन करा लीजिए… फिर जब यहां आएगी फाइल… तो तहसील स्तर से हम लोग जांच करा लेंगे… इसके बाद समिति का समय ले लिया जाएगा… बात हो जाएगा… फिर आपका काम हो जाएगा।
अब पढ़िए, DIOS ने क्या कहा?
बाराबंकी के बाबू मनोज से हुई बातचीत से साफ हो गया कि यहां भी रुपए दिए बगैर मान्यता की फाइल आगे नहीं बढ़ती। अब हमारे सामने सवाल था कि क्या DIOS पैसा लेते हैं? यह जानने के लिए हम DIOS ओपी त्रिपाठी से मिलने पहुंचे। उन्होंने इशारों में रिश्वत लेकर काम करने की सारे बातें समझा दीं।
रिपोर्टर: स्कूल खोल रहे हैं, मान्यता चाहिए?
DIOS ओपी त्रिपाठी: किस नाम से खोल रहे हैं?
रिपोर्टर: एमजी कॉन्वेंट इंटर कॉलेज।
DIOS ओपी त्रिपाठी: क्या सीबीएसई…?
रिपोर्टर: नहीं… यूपी बोर्ड।
DIOS ओपी त्रिपाठी: ऑनलाइन अप्लाई किया है क्या…?
रिपोर्टर: अभी किया नहीं… सोचा, एक बार आपसे बात कर लें।
DIOS ओपी त्रिपाठी: इस बार ऑनलाइन में जो मानक चेंज हुए हैं, उसे जरूर देख लीजिए।
रिपोर्टर: सर देखिए… ये सही है ना…? (हमने स्कूल की जानकारी का कागज आगे बढ़ाया)
DIOS ओपी त्रिपाठी: (कागज देखते हुए) ग्रामीण में आएगा ना…? हां, ठीक है ये। इसमें जितनी क्लास होगी, उतने कमरे होना चाहिए। प्लस… हाईस्कूल लेवल पर 2 प्रैक्टिकल लैब। प्लस… इंटर यदि ले रहे हैं तो फिजिक्स, केमिस्ट्री और बॉयो लैब होगा। अगर आर्ट सब्जेक्ट ले रहे हैं, जैसे- होम साइंस या भूगोल तो इसका अलग से एक-एक लैब होगा।
इसके अलावा एक स्मार्ट क्लास अनिवार्य है, एक कम्प्यूटर लैब जरूरी है। उसमें 10 या जितने भी लिखे हैं… नियमानुसार उतने कम्प्यूटर होना चाहिए। इतना सब तो मस्ट है। इसके अलावा वैकल्पिक कक्ष… स्टाफ रूम… प्रिंसिपल रूम… कॉमन रूम… ये 4 रूम होते हैं। सबसे जरूरी जो है, वो लाइब्रेरी…। अब ये आपके ऊपर है कि किस विषय की मान्यता ले रहे- साइंस, आर्ट्स… जो भी सब्जेक्ट ले रहे हैं, उसके हिसाब से होगा।
DIOS ओपी त्रिपाठी ने कहा कि पहले फॉर्म भरिए, बाकी बात बाद में हो जाएगी।
रिपोर्टर: दोनों सब्जेक्ट का एक साथ हो जाएगा या एक-एक का लेना पड़ेगा… मतलब कला वर्ग अलग और विज्ञान वर्ग का अलग…?
DIOS ओपी त्रिपाठी: दोनों का एक साथ हो जाएगा… लेकिन जैसी स्थिति रहेगी… उसी हिसाब से कमरों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। जो कॉमन कमरे हैं, वो सब रहेंगे… जैसे- पुस्तकालय, स्मार्ट रूम, कम्प्यूटर रूम… ये सब रहेंगे। चाहे हाईस्कूल लीजिए… चाहे इंटर लीजिए… चाहे आर्ट्स लीजिए… या साइंस लीजिए।
केवल इंटर का प्रैक्टिकल रूम वरी (Worry) करता है। अगर आप आर्ट्स लेते हैं, तो आपको 3 लैब की जरूरत नहीं पड़ेगी- फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉयो की। आर्ट्स है तो 2 लैब में काम चल जाता है। गृह विज्ञान विषय है तो एक लैब उसकी हो जाती है और जियोग्राफी सब्जेक्ट है तो एक लैब उसकी हो जाती है… तो सब्जेक्ट के ऊपर वरी करेगा… कराइए… अप्लाई कराइए।
रिपोर्टर: थोड़ा 19-20 चलेगा…?
DIOS ओपी त्रिपाठी: हां, 19-20 ही चलेगा, जो प्लान करके बिल्डिंग बनाएगा तो अच्छा स्कूल बनेगा… आर्किटेक्ट को बोलिए कि हमको इतना चाहिए… आप इतना प्लान करके दो। फर्स्ट फ्लोर पर नहीं है तो सेकेंड फ्लोर पर कीजिए। अप्लाई हो जाए तो फिर बताइए… ठीक है ना…?
रिपोर्टर: बाकी सर फिर आप बताइएगा…?
DIOS ओपी त्रिपाठी: हां, बिल्कुल… पहले आप इसको कम्प्लीट कर लीजिए… फिर आवेदन जब आप करेंगे तो हम (DIOS) , SDM और वो (GIC के प्रिंसिपल और AE) लोग आएंगे।
रिपोर्टर: कमेटी में 4 लोग हैं ना…?
DIOS ओपी त्रिपाठी: हां, पहले 3 थे, अब AE बढ़ गए ना… इंजीनियरिंग (PWD विभाग) वाले।
रिपोर्टर: …तो कमेटी के सभी लोगों से मिलना भी पड़ेगा हमको क्या…?
DIOS ओपी त्रिपाठी: वो कोई इश्यू नहीं… वो सब देख लेंगे यार… पहले आवेदन करें… वो सब कर देंगे हम।
रिपोर्टर: क्या खर्चा आएगा?
DIOS ओपी त्रिपाठी: अभी कुछ नहीं बता सकते… पहले आप कम्प्लीट कीजिए… इसमें तब बात होगी… ठीक है।
रिपोर्टर: हमें बाबू ने बताया था… इसलिए पूछ रहे हैं।
DIOS ओपी त्रिपाठी: चलिए…पहले कम्प्लीट कीजिए…।
रिपोर्टर: फिर आप ही के जिम्मे रहेगा सब।
DIOS ओपी त्रिपाठी: (सिर हिलाते हुए) ठीक है… पहले ऑनलाइन अप्लाई कीजिए… फिर उसी का प्रिंट निकालकर… पूरी फाइल… दो सेट में बनती है… दे दीजिए।
DIOS ने खर्च की बात को नहीं नकारा…
DIOS की बातों से साफ हो गया कि बगैर पैसा दिए जांच रिपोर्ट ओके नहीं होगी और मान्यता अटक भी सकती है। उन्होंने खर्च की बात पर इनकार नहीं किया। सिर हिलाकर सहमति जता दी। अब हमारे सामने सवाल था कि क्या SDM, AE और GIC के प्रिंसिपल भी मान्यता के इस खेल में शामिल हैं?
इसके जवाब के लिए हम बाराबंकी के पीएमश्री राजकीय इंटर कॉलेज पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात प्रिंसिपल राधेश्याम कुमार से हुई। पहले तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आज तक मुझे मान्यता की कमेटी में नहीं रखा, जबकि नियम पुराना है। जिले में GIC तो बहुत हैं, लेकिन मुझे ही रखना चाहिए। इसके बाद जब लेन-देन की बात की, तो उन्होंने इससे इनकार नहीं किया।
प्रिंसिपल राधेश्याम: जब हम जाएंगे (आपके स्कूल की जांच करने) तो अपने पैरामीटर देखेंगे… तब आप बोलेंगे कि ये तो हमने कर (रुपए दे दिए) दिया है… बहुत सारी चीजें हैं।
रिपोर्टर: …तो हम सर आपसे डायरेक्ट ही मिल लेंगे।
प्रिंसिपल राधेश्याम: हां, चलेगा…।
रिपोर्टर: आप जैसा-जो कहेंगे… वैसा कर देंगे… ठीक है।
प्रिंसिपल राधेश्याम: अरे… हां, ठीक है… ठीक… ठीक है।
ये बाराबंकी के पीएमश्री राजकीय इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल राधेश्याम हैं।
यानी बगैर पैसों के फाइल आगे नहीं बढ़ सकती GIC के प्रिंसिपल से हुई बातचीत से ये साफ हो गया कि यहां भी पैसा दिए बगैर स्कूल मान्यता की फाइल आगे नहीं बढ़ सकती। प्रिंसिपल ने डायरेक्ट पैसा लेने से कोई परहेज नहीं किया। इसके बाद सवाल था कि क्या 8वीं (जूनियर हाईस्कूल) की मान्यता के लिए भी पैसा देना होता है? इसके जवाब के लिए हम बाराबंकी के ही बेसिक शिक्षा विभाग के ऑफिस पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात मान्यता का कामकाज देख रहे बड़े बाबू गोपाल मिश्रा से हुई। गोपाल ने इस ऑफिस में रिश्वतखोरी की पूरी प्रक्रिया समझाई…
गोपाल बाबू: अरे… BEO (खंड शिक्षा अधिकारी) बहुत बड़े खिलाड़ी हैं भैया।
रिपोर्टर: ठीक है… उनसे हम मिल लेंगे… यहां (बेसिक शिक्षा अधिकारी) वाला आप देख लीजिएगा।
गोपाल बाबू: ठीक है… प्राइमरी स्कूल की मान्यता यहां से होगी और जूनियर की एडी बेसिक, अयोध्या से होगी।
रिपोर्टर: ठीक है करा दीजिएगा।
गोपाल बाबू: हमसे लोग कहते हैं कि एडी के यहां से करा दो… हम तुमसे कह दें कि एक लाख रुपए लगेंगे… तुम हमको एक लाख रुपए दे दो… मगर हम उनको (एडी को) एक लाख दें तो उन्हें लगेगा कि 1 लाख 25 हजार रुपए लिए होंगे।
रिपोर्टर: अच्छा…?
गोपाल बाबू: मेरा फंडा ये है कि अगर फाइल हमारी गई है तो हम स्वयं चले जाएं… उनसे बोलें- अरे सरकार… 50 हजार रुपए में निपटाओ… छुट्टी करो।
रिपोर्टर: अगर वहां का भी आपके ही जिम्मे कर दें तो…?
गोपाल बाबू: वहां आप ही चले जाओ… यहां पेमेंट कर दोगे तो हम काम कर देंगे।
हमारी इन्वेस्टिगेशन में ये निकला
प्राइवेट स्कूलों की क्लासेस के हिसाब से अफसरों ने रिश्वत के रेट तय किए हैं।
अफसरों ने रिश्वत खुद न लेकर इसकी जिम्मेदारी बाबुओं को दे रखी है।
प्राइवेट स्कूल की मान्यता के लिए स्कूल प्रबंधक रिश्वत के पैसों का कई गुना पेरेंट्स से फीस के रूप में वसूल रहे।
रिश्वत देने के बाद अफसरों की कमेटी जांच के लिए नहीं जा रही, सीधे मान्यता दे रही।
रिश्वत के बाद उन स्कूलों को भी मान्यता मिल रही, जिन्होंने मापदंड पूरे नहीं किए हैं।
जानिए जिम्मेदार क्या बोले?
भास्कर से आभार सहित
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