मंगलवार, 24 सितंबर 2024
केजरीवाल भी गोडसे के साथ है गांधी की फोटो हटवाया
निहायत घटिया और असंवैधानिक कृत्य! चाटुकारिता ने संविधान को अपने नीचे दबा दिया। यह खाली कुर्सी इस अरविंद केजरीवाल की है जिस पर उसकी आत्मा बैठी है। देह तो नहीं है क्योंकि बिना कुर्सी के उसकी आत्मा जीवित नहीं रह सकती। यह वही केजरीवाल है जिसने पंजाब की सरकार के इसी कक्ष में मुख्यमंत्री के गांधी जी की तस्वीर को बेशर्मी से हटा दिया था और जब मुसीबत आती है तो राजघाट जाकर गांधी जी की समाधि के सामने सिर झुकाकर रियायत मांगता है। गांधी के लिए अपनी नफरत को सार्वजनिक करने वाले केजरीवाल की है जिद है कि आम आदमी पार्टी के सरकारी दफ्तरों में तो गांधी जी नहीं ही दिखाई देंगे । चतुर केजरीवाल जानते हैं कि गांधी की फोटो दोबारा लगाओ का आदेश न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देगा ।न भारतीय जनता पार्टी और न नरेंद्र मोदी और शायद ना दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर जो उनके चाकर हैं। यह सुरंग है केजरीवाल की संघ और भाजपा की गोद में बैठने की। यह महिला उनकी उत्तराधिकारी है। कर्नाटक के चुनाव में जब सब हथियार खत्म हो गए तब मोदी ने सीधे बजरंगबली हनुमान जी की भूमिका करते हुए वोट मांगे थे केजरीवाल जब भी जेल से बाहर आते हैं। सीधे हनुमान मंदिर जाते हैं। यह दोनों नेता और उनकी दोनों पार्टियांं सेक्युलर नहीं हैं। जो संविधान की मंशा के खिलाफहै। एक बौद्ध नेता राजेंद्र पाल गौतम को केजरीवाल ने क्यों निकाला था क्योंकि वह हिंदुत्व के समर्थक हैं। केजरीवाल मोहन भागवत से क्यों सवाल पूछ रहे हैं? क्यों नहीं कहते कि वह इंडिया गठबंधन में रहेंगे मजबूती के साथ! नहीं कह सकते।यही तो इन दोनों की मिली जुली कुश्ती है। ।ऐसे में तो केजरीवाल ने देश के सामने यह अप्रत्यक्ष ऐलान कर ही दिया है कि वह गोडसे के बारे में सवाल पूछने के नैतिक अधिकारी तक नहीं हैं । महात्मा गांधी की अमर किताब हिंद स्वराज के लगभग शीर्षक की नकल करते केजरीवाल ने " स्वराज" शीर्षक से एक बहुत घटिया किताब लिखी है। उसमें दूर-दूर तक किसी पॉलीटिकल आईडियोलॉजी का नाम तक नहीं है।
यह भी केजरीवाल ने अपनी सनक में कहा है कि दिल्ली के सरकारी दफ्तरों में केवल बाबा साहब अंबेडकर और भगत सिंह की फोटो लगेगी और किसी की नहीं। यह नहीं बताया पहले किसकी फोटो लगती रही है और उन्हें हटाने का अधिकार केजरीवाल को कैसे है। या केजरीवाल और उनकी पार्टी अनंत काल तक दिल्ली में सरकार की कुर्सी पर बैठेगी। और अगर बैठेगी भी तो परंपरा स्थापित करने की उसकी अधिकारिकता क्या है। वह अंबेडकर और भगत सिंह की महानता को भुगताने को अपने वोट बैंक का प्रचारक क्यों बना रही है। इन दो महान भारतीयों के यश को केजरीवाल अपनी और अपनी पार्टी के लिए पेटेंट कर रहे हैं?। यदि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर आज की तारीख पर आदेश निकाल दें क किसकी किसकी फोटो लगेगी तो आम आदमी पार्टी की लंगड़ी सरकार क्या करेगी?मुख्यमंत्री का दफ्तर एक संवैधानिक स्थल है और मुख्यमंत्री की कुर्सी ही संवैधानिक पद की प्रतीक है। उसके आसपास कोई कुर्सी रखना? मुख्यमंत्री का दफ्तर है कि किराया भंडार है। इनके माता-पिता तो उसे कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक कहे जाते हैं जहां व्यक्ति को महत्व नहीं होता है। संस्था को होता है समूह को होता है। उस संस्कार को भी भुला दिया। लोकतंत्रिकता को बर्बाद करने की केजरीवाल की नादान हविश से भी देश परिचित है। यह उसका एक नमूना है। बहुत ही घिनौना नमूना। इसकी क्या गारंटी है कि चार महीने बाद जब चुनाव होंगे दिल्ली विधानसभा के तब केजरीवाल के ऊपर लगातार अदालतों में हाजिर रहने का फरमान निकल जाएगा? जिस ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से आतिशी ने डिग्री ली है। वह लोकतंत्र का देश इंग्लैंड है। वहां इस तरह की मर्यादाओं का ख्याल रखा जाता है ।वहां से भारत ने संविधान और लोकतंत्र एक तरह से आयात किया है कुछ परिवर्तनों के साथ कुछ संभावनाओं के साथ। इतना घिनौना आचरण करते अपनी डिग्री की याद नहीं आई? यह किसी तरह संवैधानिक आदेश देने का मामला नहीं बनता लेकिन राज्य के राज्यपाल संविधान प्रमुख होते हैं ।वह इस तरह के कृत्य के लिए अपने संवैधानिक मातहत चल रही सरकार के आचरण के लिए अप्रसन्नता व्यक्त कर सकते हैं। यहां राज्यपाल से अर्थ लेफ्टिनेंट गवर्नर से है। यह सब कुछ केजरीवाल के निर्देशन में हो रहा है। उन्हें शर्म नहीं आती।और आम आदमी पार्टी के विधायक बंधुआ मजदूर हैं ?सांस नहीं ले सकते? आवाज़ उठाने की बात तो दूर है। वैसे भी यह फोटो सरकारी खर्चे से जारी हुई है। ऐसे गंदे कामों के लिए सरकार को खर्च नहीं करना चाहिए। बल्कि सलाह देनी चाहिए कि इसे ऑफीशियली डिलीट कर दिया जाए। इन्हें राज्य के प्रथम जन सेवक की गरिमा का ध्यान रखते हुए चेहरे पर कुछ तो गंभीरता लीपनी चाहिए थी बजाय इसके कि वह अहसानमंद विनयशीलता को लीप रही हैं। इसको ही संस्कृति के नीति वाक्य में कहा गया है प्रथम ग्रासे मक्षिका पात:! इन्हें तो भोजन करने के पहले ही मक्खी छूकर चली गई है !
-कनक तिवारी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 सितंबर 2024 को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमोदी की फ़ोटो होनी चाहिए थी वैसे भी गांधी की तसवीर से वोट नहीं मिला करती है अब |
जवाब देंहटाएं