सोमवार, 28 अक्टूबर 2024
संघ हिन्दुवत्व की प्रयोगशाला क्या लोगों को पीट पीट कर मार डालने की अनुमति देती है?
संघ हिन्दुवत्व की प्रयोगशाला क्या लोगों को पीट पीट कर मार डालने की अनुमति देती है?
संघ नियंत्रित और प्रशिक्षित भाजपा सरकार के मुखिया योगी की नीतियां पुलिस हिरासत में हो रही हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं एक समुदाय विशेष के लोगों का उत्पीड़न और दमन की नीतियों का प्रभाव बहुसंख्यक समुदाय के ऊपर भी पड रहा है। आपरेशन लंगड़ा और जेल में बंद आरोपियों की हत्याओं के इस दौर में निर्दोष लोगों की हत्याएं हो रही है कानून का राज समाप्त हो है ऐसे में जंगल राज और खून मे डूबी वर्दी खौफनाक मंजर को प्रदर्शित कर रही है।
लोकतंत्र की ईमारत के नजदीक गोमती नगर मे मात्र छह सौ रुपए के लिए मोहित की हिरासत में हत्या का को जवाब संत महात्माओं के पास नहीं है। अब तो संत महात्मा आशाराम और राम रहीम के प्रतिरुप ही है।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब यूपी पुलिस की कस्टडी में किसी की जान गई हो. साल 2018 से 2019 के बीच 12 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी. 2019 से 2020 के बीच 3 लोगों की जान पुलिस हिरासत में गई. 2020 से 2021 के बीच 8 लोगों ने पुलिस कस्टडी में दम तोड़ा. 2021 से 2022 के बीच भी पुलिस कस्टडी में 8 लोगों की जान गई. 2022 से 2023 के बीच 10 लोगों की जान पुलिस कस्टडी में गई. बात अगर इसी साल यानी 2024 की करें, तो अबतक 4 से ज्यादा लोगों की जान पुलिस हिरासत में जा चुकी है. अब कस्टडी में होने वाली इन मौतों पर यूपी की सियासत सुलग रही है, सरकार को घेरा जा रहा है.
'लखनऊ पुलिस ने लॉकअप में पीटकर मार डाला':भाई बोला- मौत के बाद अस्पताल ले गए; वह चिल्लाता रहा, पुलिस मारती रही।
लखनऊ में कपड़ा व्यापारी की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। पता चलते ही परिजन लोहिया अस्पताल पहुंचे। यहां रोड जाम कर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के दौरान पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस ने जबरन जाम खुलवाया और प्रदर्शन कर रहे परिजनों को अस्पताल के अंदर भेजा।
रात करीब 9.15 बजे परिजन फिर से अस्पताल के बाहर आ गए। सड़क जाम कर हंगामा करने लगे। पुलिस-प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए। परिजनों का कहना था कि अभी तक आरोपियों के खिलाफ न तो FIR दर्ज की गई है, न ही कोई कार्रवाई हुई। परिजनों का आक्रोश देखकर मृतक की मां तपेश्वरी देवी की शिकायत पर इंस्पेक्टर अश्विनी चतुर्वेदी सहित अन्य के खिलाफ चिनहट थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
लॉकअप में इतना पीटा की दम तोड़ दिया युवक के घर वालों के मुताबिक, पुलिस ने लॉकअप में इतनी पिटाई की, जिससे मोहित पांडेय (32) की मौत हो गई। वह स्कूल ड्रेस बेचने का काम करता था। शुक्रवार को चिनहट पुलिस ने मोहित और उसके भाई शोभाराम को लड़ाई-झगड़े के मामले में हिरासत में लिया था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मामला चिनहट कोतवाली का है।
रात करीब 9.15 बजे परिजन फिर से अस्पताल के बाहर आ गए। सड़क जाम कर हंगामा करने लगे।
भाई बोला- लॉकअप में ही भाई की मौत हो गई थी मोहित पांडे की मौत के बाद उसके साथ हिरासत में लिए गए भाई शोभाराम को पुलिस ने छोड़ दिया। शोभाराम का कहना है कि पुलिस ने मुझे और मोहित को शुक्रवार रात 9 बजे साथी से झगड़े के बाद गिरफ्तार किया था। रात में पुलिस ने जब हिरासत में लिया, तभी से जमकर मारपीट शुरू कर दी।
मेरे सामने भाई को पीटा जा रहा था। मैं देख कर भी उसे नहीं बचा सका। वह तेज-तेज चीख रहा था। बोल रहा था, दरवाजा खोल दो नहीं तो मैं मर जाऊंगा। फिर भी पुलिस वाले कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। भाई ने लॉकअप में ही दम तोड़ दिया था। इसके बाद पुलिस उसे हॉस्पिटल ले गई।
मोहित चिनहट के देवा रोड स्थित अपट्रान इलाके में नई बस्ती जैनाबाद गांव का रहने वाला था। वहीं, पुलिस के मुताबिक, शनिवार सुबह चिनहट कोतवाली में मोहित की तबीयत बिगड़ी। उसे लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान मौत हो गई।
लोहिया हॉस्पिटल के बाहर हंगामा लखनऊ में स्कूल ड्रेस का काम करने वाले मोहित और उसके भाई शोभा को चोरी के आरोप के बाद पुलिस ने हिरासत में लिया था। घटना के मुताबिक, मोहित और उसके दोस्त आदेश के बीच झगड़ा हो गया था। इसके बाद आदेश ने मोहित पर चोरी का आरोप लगाते हुए अपने घर से बाहर निकाल दिया था। इतना ही नहीं, आदेश ने पुलिस भी बुला ली। इसके बाद पुलिस मोहित और उसके भाई को थाने ले गई थी।
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सुमन
लोकसंघर्ष