रविवार, 15 दिसंबर 2024
माफी वीर सावरकर - राहुल गांधी
आज नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी Rahul Gandhi ने संसद के भाषण में विनायक दामोदर सावरकर की सच्चाई खोल कर रख दी।
सावरकर से जुड़ी कुछ और बातें आप भी जान लीजिए:
1.सावरकर जब अंडमान की जेल में बंद थे तो उन्होंने लगातार माफीनामे लिखकर भेजे, लेकिन उनकी माफ़ी पर सुनवाई नहीं हो रही थी। इधर महात्मा गांधी ने उन्हें 1919 की विशाल हड़ताल कराई जिसके बाद अंग्रेज़ दबाव में आ गए और बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता सेनानियों की रिहाई की तैयारी करने लगे। लेकिन इसके बावजूद सावरकर को नहीं छोड़ा गया क्योंकि उनके ऊपर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में नहीं बल्कि एक अपराधी के रूप में मुक़दमा चल रहा था।
2.अब महात्मा गांधी ने अंग्रेज़ सरकार से आग्रह किया कि जब सावरकर लिखकर दे रहे हैं कि मैं अंग्रेज़ सरकार से माफ़ी माँगता हूँ और कभी भी आज़ादी की लड़ाई में शामिल नहीं होगा। अंग्रेजों का वफ़ादार बनकर रहूंगा तो इन्हें भी माफ़ कर दिया जाए।
3.गांधीजी ने ख़ुद कभी अंग्रेजों से माफ़ी नहीं माँगी लेकिन माफ़ी माँगने वाले सावरकर को माफ़ी देने की सिफ़ारिश की तब सावरकर काला पानी से छूटे।
4.उसके बाद सावरकर भारत में रत्नागिरी जेल में नज़रबंद थे। जब 1937 के आम चुनावों के बाद कांग्रेस की राज्य सरकारें बनी तो उन्होंने बहुत से कैदियों को आज़ाद किया और उसी में सावरकर को आज़ाद किया गया।
5.यह सावरकर के ऊपर महात्मा गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी का दूसरा अहसान था।
6.जब महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी ने 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया जो भारत की आज़ादी के लिए सबसे बड़ा आंदोलन साबित हुआ तो सावरकर ने उस आंदोलन का विरोध किया।
7.जब महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी अखंड भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे तब सावरकर ने हिंदू राष्ट्र की माँग उठायी और उसके जवाब में जिन्ना ने मुस्लिम राष्ट्र की माँग उठायी।
8.अगर सावरकर हिंदू राष्ट्र की मांग नहीं उठाते तो भारत का विभाजन कभी नहीं होता।
9.30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या की गई। तब उनका हत्यारा नाथूराम गोडसे विनायक दामोदर सावरकर से विजयी भव का आशीर्वाद देकर हत्या करने के लिए दिल्ली आया था। यह तथ्य फ्रीडम एट मिडनाइट किताब में लिखा हुआ है।
10.अंत में विनायक सावरकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के आरोपी बनाए गए। उनके ऊपर गांधीजी की हत्या का मुक़दमा चला। उस मुक़दमे में उन्हें संदेह का लाभ मिला जिससे वे बरी हो गए, लेकिन देश की आत्मा ने उन्हें कभी मन से माफ़ नहीं किया।म
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सुमन
लोकसंघर्ष