गुरुवार, 12 जून 2025
महाकुंभ में गोविंदाचार्य का भाई भी कुचल कर मर गया था गिनती में नहीं है
बीबीसी की कुंभ भगदड़ पर रिपोर्ट से पता चला कि मारे जानेवालों में कभी भाजपा और संघ के सबसे प्रतापी चेहरा रहे के एन गोविंदाचार्य के भाई के एन वासुदेवाचार्य भी थे। उन्हें भी लावारिस समझ लिया गया था!
इस बात की गंभीरता को ऐसे समझें कि मृतकों की संख्या छिपाने के चक्कर में भाजपा की डबल इंजन सरकार ने गोविंदाचार्य के भाई की मौत को भी खबर बनने नहीं दिया! गोविंदाचार्य का भाजपा और संघ में कभी कितना प्रभाव था, इसका एक बार मैं चश्मदीद गवाह हूं। उन दिनों भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। मैं भाजपा के केंद्रीय दफ्तर में उनके एक मित्र के आग्रह पर गोविंदाचार्य से बातचीत कर रहा था। उन्होंने मेरे कुछ लेखों को पढ़कर और हमारे साझा मित्र से सुनकर मुझे कम्युनिस्ट जानकर ही मुझसे बातचीत की उत्सुकता प्रकट की थी। इसलिए, मैं चला गया। अभी उनके कमरे में बातचीत शुरु ही हुई थी कि किसी ने उनके कान में आकर कुछ कहा। वे हाथ जोड़ते उठ खड़े हुए कि माफ कीजिए, अभी जाना पड़ेगा, लौटकर फिर बात होगी। बाहर निकलकर उन्होंने अपनी ओमनी मारुति खुद स्टार्ट करते हुए फिर वही बात दुहरायी। उनका यह शिष्टाचार और सादगी- सरलता किसी को प्रभावित कर सकती थी। उन्होंने जाते-जाते यह भी कहा कि इस विभाग का बनाना था किसको मंत्री ,बना दिया किसी और को, और गाड़ी तेजी से फाटक से बाहर हो निकल गई। जाहिर है, मामला सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ा था! पर हुआ वही जो गोविंदाचार्य ने चाहा! अब यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री वाजपेयी जी ने "मुखौटा प्रकरण" के बहाने सारी कसर निकाल ली! ये बातें इसलिए बतानी पड़ीं कि बहुत सारे लोग शायद अब जानते भी न हों कि गोविंदाचार्य क्या थे!
कुलमिलाकर बात यह है कि जिस अपनों के राज में इन गोविंदाचार्य के भाई की मौत गुमनाम हो जाए, लाश लावारिस हो जाए, बाद में पता भी चले तो कोई खबर भी न बने, उस राज में दूसरों की क्या पूछ और हैसियत- जीने में या मरने में! सच पूछिए तो इस राज में पूरा देश ही एक लावारिस लाश बनकर पड़ा है...
*रामसुजान अमर*
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बीबीसी की रिपोर्ट विश्वास योग्य नहीं होती है
जवाब देंहटाएंऐसा नहीं है श्रीमान जी
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