छवि आ जायेगी
प्यार है ,गीत है, साज है जिंदगी ।
खुशी गुन से लबरेज है जिंदगी।
मानता हूँ की तू बेवफा है मगर-
फिर भी तुम पर बहुत नाज है जिंदगी॥
एक विश्वास का सागर है जिंदगी ।
आंसुओ की सुधा धार है जिंदगी ।
दर्द की बाँसुरी पर मचलती गजल-
टूटे सपनो का अभिसार है जिंदगी ॥
रूप की चांदिनी कुछ निखर जायेगी ।
लालिमा भी सिमटकर सँवर जायेगी ।
आप पलकों का परदा हटायें जरा-
पुतलियों में मेरी छवि आ जायेगी ॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
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