रविवार, 4 अक्तूबर 2009

पिया पैंजनियां

अन्नु भरि- भरि गे धानन की बाली मा ,
पिया पैंजनिया लैदे दीवाली मां ।

खैहैं मोहनभोग सोने की थाली मां ,
मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां ।

तुम तो खुरपी - कुदरिनि मां ढ़ूंढ़ौ खुशी,
रोजु हमका चिढ़ौती है हमरी सखी,
चाव रहिगा न तनिकौ घरवाली मां ,
पिया पैंजनिया लैदे दीवाली मां ।

हाय जियरा दुखावौ न मोरी धनी,
जड़वाय लियौ मुंदरी मां हीरा कनी,
जगमगाय उठौ बखरी मां गाली मां,
मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां ।

झूमि-झूमि उठै धरती मगन आसमां,
खूब फूलै फलै देश आपन जहाँ,
प्रेम के फल लदै डाली-डाली मां ।

अन्नु भरि- भरि गे धानन की बाली मां,
मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां।

-डॉक्टर सुरेश प्रकाश शुक्ल
लखनऊ

6 टिप्‍पणियां:

Urmi ने कहा…

वाह बहत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!

shyam gupta ने कहा…

डा शुक्ला, स्वागत है अंतर्जाल पर, गीत तो गोष्ठी में सुना ही है। पुनः बधाई।

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

सुमन जी,

आपका आभार एक बहुत ही भाव भरा मनुहार गीत को प्रस्तुत करने के लिये जो मुझे भी अपने देस की मिट्टी तक खींच ले गया।

श्री डॉ. सुरेश प्रसाद जी शुक्ल क्प इस बेहतरीन गीत रचना के लिये बधाईयाँ।

यदि संभव हो तो श्री शुक्ल जी का संपर्क सूत्र दीजियेगा?

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

अन्नु भरि- भरि गे धानन की बाली मां,
मोरी लक्ष्मिनियां चमकै दिवाली मां।

डाक्टर साहब, आपने उपरोक्त पंक्तियों के इर्द-गिर्द रस-बसे इस सुमधुर गीत से तो आने वाली दीपावली का बहुत जोरदार समां बांध दिया.
हार्दिक बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर

Mishra Pankaj ने कहा…

bahut khoob !

Devi Nangrani ने कहा…

bahut Hi anukool avastha ke liye yeh positiveness ati uttam !!
झूमि-झूमि उठै धरती मगन आसमां,
खूब फूलै फलै देश आपन जहाँ,
प्रेम के फल लदै डाली-डाली मां ।
Devi nangrani

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