....गतांक से आगे .....
वर्ष-२०१० की शुरुआत में जिस ब्लॉग पर मेरी नज़र सबसे पहले ठिठकी वह है शब्द शिखर , जिस पर हरिवंशराय बच्चन का नव-वर्ष बधाई पत्र !! प्रस्तुत किया गया ।हिन्दी ब्लॉगिंग का कोई भी लम्हा कहीं नहीं गया है। सब स्मृतियों में है। ब्लॉगिंग के इस 'ठंडा ठंडा कूल कूल' को बिल्कुल मत भूलें और न किसी को भूलने दें। ब्लॉगिंग के झूले में सदा ही झूलें। पोस्टों और टिप्पणियों के हिंडोले में डोलें। ब्लॉग बो लें। पोस्टों को सींचें और टिप्पणियों को भी मत भींचें। इन तीनों का होना विश्वास का प्रतीक है। इसे जीवन में रचने बसने दें।ऐसा बताया की-बोर्ड के खटरागी ने अपने पोस्ट हिन्दी ब्लॉगिंग का आने वाला हर पल हर बरस मंगलमय हो (अविनाश वाचस्पति)।मुर्दा पीटना बन्द कर कुछ अच्छा सोचें नये साल में… कुछ ऐसा ही कहा सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी ने सत्यार्थ मित्र पर अपने इस पोस्ट में । विगत वर्ष परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण -२००९ में एक महत्वपूर्ण ब्लॉग हिंदी टेक ब्लॉग की चर्चा नहीं की जा सकी थी कारण था वर्ष के आखिरी महीनो में उस ब्लॉग का आना । इसलिए परिकल्पना पर पहली चर्चा मैंने इसी ब्लॉग से शुरू की । इस वर्ष की शुरुआत में ममता टी वी का स्थानान्तरण हो गया गोवा से इटानगर ।
१५ जनवरी को हिंदी टेक ब्लॉग पर एक महत्वपूर्ण जानकारी इंटरनेट पर हिंदी पत्रिकाओं के संबंध में दी गयी ।उल्लास की संभावनायें लेकर आता है नववर्ष । न जाने कितनी शुभाकांक्षायें, स्वप्न, छवियाँ हम सँजोते हैं मन में नये वर्ष के लिये । अनगिन मधु-कटु संघात समोये अन्तस्तल में विगत वर्ष का विहंग उड़ जाता है शून्य-गगन में । हम नये फलक के लिये उत्सुक हो उठते हैं । क्या-क्या चाहते हैं, क्या-क्या सोचते हैं, क्या फरियाद है हमारी हमारे राम से - अपने प्रिय कवि ’कैलाश गौतम’ की रचना से रूबरू कराया हिमांशु ने - "नये साल में रामजी..." । कुछ मेरी कलम से पर रंजना (रंजू भाटिया ) ने कहा " झूमता हुआ नया साल फिर आया " । गत्यात्मक ज्योतिष पर संगीता पुरी ने कहा कि वर्ष-२०१० ही क्यों उसके बाद आने बाले वर्ष भी मंगलमय हो ।यदि ब्लॉग पर बसंत की बात की जाए तो सबसे पहले मैं चर्चा करना चाहूंगा घुघूती बासूती का जिन्होंने एक प्यारी सी कविता के माध्यम से यह प्रश्न किया कि क्या यही है बसंत ? । वहीं दफ अतन पर अपूर्व ने एक प्यारा सा गीत प्रस्तुत किया जो पूर्व में हिंद युग्म पर प्रकाशित किया जा चुका है । महाकवि निराला को याद करते हुए परिकल्पना पर शुरू हुआ "बसंतोत्सव " जिसके अंतर्गत हिंदी के कालजयी साहित्यकारों के साथ- साथ आज के कुछ महत्वपूर्ण कवियों की वसंत पर आधारित कवितायें प्रस्तुत लगभग महीने भर की गयी और फगुनाहट की यह बयार थमी होली की मस्ती के साथ . इसमें कवितायें भी थी , व्यंग्य भी , ग़ज़ल भी , दोहे भी और वसंत की मादकता से सराबोर गीत भी और अंत में फगुनाहट सम्मान की उद्घोषणा । स्वप्न मञ्जूषा "अदा" ने काव्य मंजूषा पर अनोखे अंदाज़ में प्रस्तुत किया ब्लॉग में फाग । ताऊ ने कहा कि मेरा गधा राम प्यारे अभी भी होली की तरंग में है । इसी दौरान संजीव तिवारी ने आरंभ में फगुनाहट सम्मान के अंतर्गत वोटिंग में छत्तीसगढ़ के ब्लोगरों की सहभागिता पर प्रश्न उठाते बहुत सुन्दर पोस्ट लिखा "आभासी दुनिया के दिबाने और भूगोल के परवाने " । etips blog ने कुछ ब्लॉग जो सचमुच कर रहे है हिंदी और ब्लॉग की सेवा से अवगत कराया ।
जिस प्रकार जीवन के चार आयाम होते हैं उसी प्रकार हिंदी चिट्ठाकारी की भी चार सीढियां है जिससे गुजरकर हिंदी चिट्ठाकारी संपूर्ण होता है ।प्रथम सीढ़ी – भावना ....जिससे दिखती है लक्ष्य की संभावना ,संभावना से प्रष्फुटित होता है विश्वास ,विश्वास से दृढ़ता , दृढ़ता से प्रयास ....!यानी दूसरी सीढ़ी – प्रयास ....प्रयास परिणाम कम शोध है...यह तभी सार्थक है जब कर्त्तव्य बोध है । यानी तीसरी सीढ़ी – कर्त्तव्य....कर्त्तव्य से होता है समन्वय आसान...और यही है उत्तरदायित्व का प्रत्यक्ष प्रमाण ।
यानी चौथी सीढ़ी है – उत्तरदायित्व.....जिसमें न भय , न भ्रम , न भ्रान्ति होती है.....केवल स्वावलंबन के साथ जीवन में शांति होती है.....तो -
आईये अब आगे बढ़ते हुए वर्ष के कुछ उपयोगी और सार्थक पोस्ट पर नज़र डालते हैं , क्योंकि ब्लॉग लिखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है अपने सामाजिक सरोकार के प्रति सजग रहना और ब्लोगिंग के माध्यम से दूसरों को उत्प्रेरित करना , ऐसा ही कारनामा कर दिखाया ब्लोगर राजकुमार सोनी ने । राजकुमार सोनी ने अपने ब्लाग बिगुल पर बड़ी बेबाकी से अनाथ आश्रम के बच्चों और संचालक के साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाया , उन्होंने कहा कि "जीवन में पहली बार ऐसे कमीनों से मुलाकात हो रही है जिन्हें देखकर मैं क्या कोई भी यह कहने का मजबूर हो जाएगा कि बस अब इस धरती का अंत निकट है।" वहीँ अनिल पुसदकर ने एक ब्लोगर की हिम्मत और ताक़त से समाज और राजनीति के कथित ठेकेदारों को अवगत कराते हुए अपने ब्लॉग आमिर धरती गरीब लोग पर कहा कि -"थानेदारों को भ्रष्ट कहना आपकी ईमानदारी नही बेबसी का सबूत है गृहमंत्री जी!" वहीं डॉ.कुमारेन्द्र सिंह ने वित्त मंत्री को माफ़ करिए कहते हुए कहा है कि उनकी नादानी को नजर अंदाज किया जाये...... ।
इस वर्ष महिला आरक्षण को लेकर भी बहुत सारे पोस्ट आये, जिसमें से एक है ललित डोट कौम पर ललित शर्मा का यह पोस्ट -गांव बसा नहीं डकैत पहले पहुंचे........महिला आरक्षण । अपने इस पोस्ट में ललित शर्मा का कहना है कि "अभी अभी ही महिला आरक्षण विधेयक पास हुआ है राज्य सभा से और इसे कानून बनने में कुछ समय और लगेगा ....... लेकिन इसमें मिले महिला आरक्षण अधिकारों पर सेंध लगाने की क्या कहें........ सीधे सीधे डाका डालने ने मनसूबे बान्धे जाने लगे हैं...... !" इसी दौरान अजित गुप्ता का कोना पर डॉ. श्रीमती अजित गुप्ता के एक संस्मरण पर मेरी नज़र पड़ी , शीर्षक है - ना मेल है और ना ही फिमेल है.........
२४ जनवरी को पंकज मिश्रा ने हिंदी चिट्ठों की चर्चा के क्रम में अत्यंत उपयोगी प्रश्न उठाये कि "मुंबई बम कांड का अपराधी आजकल मराठी भाषा का बहुत प्रयोग कर रहा है ,अदालत के सवाल जवाब मे भी वह मराठी भाषा का प्रयोग करता है..राज साहब ठाकरे तो बहुत खुश होगे कि कोई तो उनकी पीडा समझता है :)न्युज चैनल अखबार समाचार सभी जगह कसाब के इस भाषा प्रयोग का चर्चा हो रहा है और उन खबरिया बाजार मे कोई भी माई का लाल ये पुछने की जुर्रत नही कर रहा है कि ऐसे अपराधी से जेल मे दोस्ती कौन किया है जो उसको मराठी भाषा और सभ्यता सिखा रहा है ..क्या यह एक नेक काम है कि आप जेल के समय मे उस्का टाईम पास कर रहे है भाषा सिखाकर ?
हिंदी ब्लॉग जगत में इस वर्ष कई अजीबो गरीब घटनाएँ हुई , जिसमें से एक ऐसी घटना हुई कि ब्लोगरों को काफी दिनों तक बेनामी टिप्पणियों से संबंधित खतरों पर चर्चा के लिए मजबूर होना पडा । वह घटना थी किसी छद्म नामधारी कुमार जलजला की व्यथित कर देने वाली टिप्पणियों को लेकर । अपनी,उनकी,सबकी बातें पर रश्मि रविजा ने जलजला को एक खुला पत्र लिखा , जिसमें उन्होंने कहा कि -"कोई मिस्टर जलजला एकाध दिन से स्वयम्भू चुनावाधिकारी बनकर.श्रेष्ठ महिला ब्लोगर के लिए, कुछ महिलाओं के नाम प्रस्तावित कर रहें हैं. (उनके द्वारा दिया गया शब्द, उच्चारित करना भी हमें स्वीकार्य नहीं है) पर ये मिस्टर जलजला एक बरसाती बुलबुला से ज्यादा कुछ नहीं हैं, पर हैं तो कोई छद्मनाम धारी ब्लोगर ही ,जिन्हें हम बताना चाहते हैं कि हम इस तरह के किसी चुनाव की सम्भावना से ही इनकार करते हैं।"
१७ मई २०१० को छतीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने पहली बार यात्री बस को बारुदी सुरंग से उडा दिया। बस मे यात्रियों के साथ कुछ जवान भी सवार थे। इसमें लगभग ५० लोगों की मौत हो गयी ।देश में एक इतनी बड़ी घटना हो गई जिसको सारा मीडिया चीख-चीख कर बता रहा था , किन्तु अपने को मीडिया के समकक्ष समझने वाला ब्लाग जगत में कुछ विशेष खलबली नहीं देखी गयी , फिर भी नक्सली समस्या पर एक आध ब्लॉग जो बोला उसमें पहला नाम आता है डा सत्यजित साहू का जिन्होंने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि "मेरे देश में अशांति लानें वालों ,यहाँ की जमीं को खुनी रंग से संगने वालों ,इंसानों की इस बेरहमी से जन लेने वालों ,कातिल ,हत्यारे ,जालिम हो हो तुम , तुम्हारा अंत अब नजदीक ही है ,इस तरह से तुमने जनता और जवानों का क़त्ल किया है ,की क़त्ल ही तुमसे अब अपना हिसाब लेगा ,अवाम की ताकत को तुमने पहचना नहीं है ,इस धरती की नियत को जाना नहीं है ,इस धरती को अब उठकर खड़ा होना होगा, जम्हूरियत को ही अब तुम्हारा हिसाब करना होगा,अपराधियों ,हत्यारे नक्सलियों ,तुम्हारा अंत अब निकट ही है ......! कलम बंद में शशांक शुक्ला ने कहा आखिर नक्सलियों को क्या चाहिए ?सद्भावना दर्पण में गिरीश पंकज ने पूछा किसुन्दर-प्यारे बस्तर में ये हिंसा भरे नज़ारे कब तक ॥? छतीसगढ़ पर उदय ने कहा कौन कहता है कि नस्लवाद एक विचारधारा है ?
२६ जून २०१० को माईकल जैक्सन को याद करते हुए कुमायूनी चिली में शेफाली पाण्डेय ने कहा कि "दुःख से भरा , देखा जब चेहरा ....बोल उठे यमराज .....मत हो विकल , बेटा माईकल ! मरने के बाद , कौन सा दुःख.....सता रहा है तुझको ,सब पता है मुझको ...!" संवेदनाओं के पंख पर २६ जून को डा महेश परिमल का एक आलेख आया जिसमें उन्होंने अंदेशा व्यक्त किया कि ...हम सब अघोषित आपातकाल की ओर... अब पेट्रोल-डीजल और केरोसीन के दाम बढ़ गए। रसोई गैस भी महँगी हो गई। सरकार ने अपना रंग अब दिखाना शुरू कर दिया है। पहले भी यही कहा जाता रहा है कि कांग्रेस व्यापारियों की सरकार है,इसका गरीबों से कोई लेना-देना नहीं है। महँगाई काँग्रेस शासन में ही बेलगाम हो जाती है। एक तो मानसून आने में देर हो रही है। दूध, बिजली के दाम अभी-अभी बढ़े हैं। उस पर सरकार का यह रवैया, आम आदमी को बुरी तरह से त्रस्त करके रख देगा। २५ जून १९७५ को देश में आपातकाल की घोषणा हुई थी। उसी तारीख को इस बार पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और केरोसीन के दाम बढ़ाकर सरकार ने हम सबको एक अघोषित आपातकाल की तरफ धकेल दिया हैलोकसंघर्ष-परिकल्पना द्वारा आयोजित ब्लागोत्सव-2010 में वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा का ख़िताब अक्षिता (पाखी) को मिलाने पर आकांक्षा यादव का कहना था कि आजकल के बच्चे हमसे आगे है ।
सृजन ही वह माध्यम है जिससे समाज समृद्ध होता है, किन्तु सृजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है कार्टून्स । यदि ब्लॉग जगत में सक्रिय कार्टूनिस्टों की बात की जाए तो इस वर्ष लोकसंघर्ष- परिकल्पना ने काजल कुमार को ब्लोगोत्सव-2010 के आधार पर वर्ष के श्रेष्ठ कार्टूनिस्ट का खिताब दिया । वैसे ब्लॉग जगत में इस वर्ष जिन कार्टूनिस्टो की सार्थक उपस्थिति देखी गयी उसमें से प्रमुख हैं काजल कुमार, इरफ़ान खान,अनुराग चतुर्वेदी , कीर्तिश भट्ट , अजय सक्सेना , कार्टूनिस्ट चंदर , राजेश कुमार दुबे, अभिषेक आदि ।
जब सृजन की बात चली है तो सबसे पहले आपको मैं बता दूं कि वेब पत्रिका तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित, साहित्य, संस्कृति, विचार और भाषा की मासिक पोर्टल सृजनगाथा डॉट कॉम के चार वर्ष पूर्ण होने पर चौंथे सृजनगाथा व्याख्यानमाला का आयोजन ६ जुलाई, को स्थानीय प्रेस क्लब, रायपुर में किया गया था। इसमें कविता के सफ़र पर अच्छी चर्चा हुई । इस अवसर पर संजीत त्रिपाठी का सम्मान सृजनगाथा टीम ने किया।
आईये उन ब्लोग्स की ओर रुख करते हैं जहां बसती है साहित्य की आत्मा । इस दिशा में पहला ब्लॉग है जाकिर अली रजनीश के हमराही जिसमें उन्होंने अदम गोंडवी की ग़ज़ल प्रकाशित की "सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसे, मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है। साधना वैद्य ने कहा - अनगाये रह गए गीत! राजतन्त्र में खुशबू फूलों की.... । सूर्यकान्त गुप्ता के कुछ अटपटे कुछ चटपटे दोहे ,शानू शुक्ला की- कुछ हाइकु कवितायेँ ,बग़ावत के कमल खिलते हैं.. ,गिरीश पंकज का-”गीतालेख”./ अबला गैया हाय तुम्हारी है यह दुखद कहानी.., संजीव तिवारी का - छत्तीसगढ़ की संस्कृति से संबंधित महत्वपूर्ण लिंक,ई-साहित्य और हिन्दी ब्लॉग : सार्थक अभिव्यक्ति का एक झरोखा - ब्लॉग जगत पर एक विहंगम दृष्टि वशिनी शर्मा की। अन्तर सोहिल की कविता - आशिकी म्है तेज घनी छोरां सै भी छोरी सैं ,राजकुमार सोनी की - पोस्टर कविताएं,जी.के. अवधिया ने कहा - इक समुन्दर ने आवाज दी मुझको पानी पिला दीजिये...........!,
आज की चर्चा को विराम देने से पूर्व चलिए उन ब्लॉग पर एक नज़र डालते हैं , जिनकी वर्ष-२००९ में भी सार्थक गतिविधियाँ रही और वर्ष-२०१० में भी इनकी गतिविधियाँ चरमोत्कर्ष पर देखी गयी ।
वर्ष-२०१० में सार्थक उपस्थिति दर्ज कराने वाले ब्लोग्स की सूची में उड़न तश्तरी, ताऊ डाट इन, मानसिक हलचल, लो क सं घ र्ष!, ज्ञान दर्पण, दीपक भारतदीप का चिंतन, दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका, हिन्द-युग्म, ललितडॉटकॉम, Hindi Blog Tips, दीपक भारतदीप की शब्द- पत्रिका, चिट्ठा चर्चा, फुरसतिया, काव्य मंजूषा, शब्दों का सफर, नुक्कड़, उच्चारण, देशनामा, रचनाकार, मेरा पन्ना, ओशो - सिर्फ एक, भड़ास blog, ब्लॉगोत्सव २०१०, परिकल्पना, कस्बा, कबाड़खाना, अनवरत, राजतन्त्र, दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका, अमीर धरती गरीब लोग, प्रवक्ता, तीसरा खंबा, क्वचिदन्यतोअपि, छींटें और बौछारें, आरंभ, कुछ इधर की कुछ उधर की, दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका, नारी, दीपक भारतदीप की शब्दलेख सारथी-पत्रिका, मेरी शेखावाटी,मेरी दुनिया मेरे सपने,सारथी हिन्दी चिट्ठा, आम जन, अदालत, अग्निमन, Vyom ke Paar...व्योम के पार, अमृता प्रीतम की याद में.....,TSALIIM,चर्चा हिन्दी चिट्ठों की !!!,अनसुनी आवाज,अर्पित ‘सुमन’,स्व प्न रं जि ता,चक्रधर की चकल्लस,अविनाश वाचस्पति,अज़दक,जिंदगी : जियो हर पल, उन्मुक्त,चोखेर बाली,महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar),ब्लॉग मदद,आरंभ Aarambha,चिट्ठे सम्बंधित कार्टून,ब्लाग चर्चा "मुन्ना भाई" की,ITNI SI BAAT,चैतन्य का कोना,डॉ. चन्द्रकुमार जैन,चराग़े-दिल,चर्चा पान की दुकान पर,वटवृक्ष,क्रिएटिव मंच-Creative Manch,Hindi Tech Blog,दालान,दाल रोटी चावल,डाकिया डाक लाया,मानवीय सरोकार,Darvaar दरबार,DHAI AKHAR ढाई आखर,एक हिंदुस्तानी की डायरी,स्वप्नलोक,संवेदनाओं के पंख,आइये करें गपशप,एक लोहार की, ghaur bati,गत्यात्मक चिंतन,पाल ले इक रोग नादां...,गीत कलश,ग़ज़लों के खिलते गुलाब,घुघूतीबासूती,एक आलसी का चिठ्ठा,सद्भावना दर्पण,हँसते रहो Hanste Raho,आदिवासी जगत,हाशिया,"हिन्दी भारत",Hasya Kavi Albela Khatri,HIndi Jokes,हा र मो नि य म,इंडियन बाइस्कोप,साईब्लाग [sciblog],ब्लॉगरों के जनमदिन,janshabd,झा जी कहिन,Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून,कल्पनाओं का वृक्ष,कोसी खबर..,खेत खलियान KHET KHALIYAN,सुदर्शन,मेरी रचनाएँ ,मेरी भावनायें...,Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन,महाशक्ति,मंथन,महावीर,स म य च क्र,प्रत्येक वाणी में महाकाव्य...,मैत्री,mamta t .v.,मनोरमा,मसिजीवी,खिलौने वाला घर,mehek,परवाज़.....शब्दों के पंख,नीरज,निरन्तर,मौन के खाली घर में... ओम आर्य,******दिशाएं******,…पारूल…चाँद पुखराज का……,गुलाबी कोंपलें,पिताजी,An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय,चाँद, बादल और शाम,पुण्य प्रसून बाजपेयी,प्रत्यक्षा,प्राइमरी का मास्टर," अर्श ",रेडियोनामा,रेडियो वाणी,सफर - राजीव रंजन प्रसाद,अनुभूति कलश,सच्चा शरणम्,कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **,,...,रेखा की दुनिया,आशियाना,इक शायर अंजाना सा…,शब्द सभागार,समाजवादी जनपरिषद,जिंदगी के रंग,Science Bloggers' Association,शब्द-शब्द अनमोल,शस्वरं,पास पड़ोस,सुबीर संवाद सेवा,बावरा मन,कार्टून धमाका...!,सुर-पेटी,तीखी नज़र,तेताला,ठुमरी,टूटी हुई बिखरी हुई,मेरी कलम से,वीर बहुटी,विज्ञान» चर्चा,लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`,जोगलिखी:संजयबेंगाणीकाहिन्दी ब्लॉग,TheNetPress.Com,व्यंग्यलोक,ना जादू ना टोना, युग-विमर्श (YUG -VIMARSH), गत्यात्मक ज्योतिष, ब्लॉग परिक्रमा आदि !
इसमें से कुछ ब्लॉग ऐसे हैं जो वर्ष-२०१० में आये हैं किन्तु इससे जुड़े हुए मूल ब्लॉग की चर्चा वर्ष-२००९ में की जा चुकी है और विस्तार के अंतर्गत उन्हें विषय से जुड़े अन्य ब्लॉग इस वर्ष लाने पड़े, ऐसे ब्लॉग की संख्या एक दर्जन के आसपास है ।
रवीन्द्र प्रभात
परिकल्पना से साभार
रवीन्द्र प्रभात
परिकल्पना से साभार
........अभीजारी है .....शेष अगले भाग में
1 टिप्पणी:
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
---
परावर्तन: पूजा प्रजापति
गुलाबी कोंपलें
एक टिप्पणी भेजें