.........गतांक से आगे
विगत वर्ष कतिपय तकनिकी ब्लोग्स के द्वारा हिंदी ब्लोगिंग की सेहत को दुरुस्त करने में अहम् भूमिका अदा की गयी , कुछ समय के साथ अनियमित भी हुए और कुछ काल कलवित भी, किन्तु कुछ ब्लोग्स की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रही लगातार , उसमें प्रमुख है श्री रवि रतलामी का ब्लॉग छीटें और बौछारें, आशीष खंडेलवाल का ब्लॉग हिंदी ब्लॉग टिप्स, विनय प्रजापति नज़र का ब्लॉग TECH PREVUE यानी तकनीकी द्रष्टा आदि । इन ब्लोग्स को हिन्दी चिट्ठाजगत में तकनीकी चिट्ठाकारी को लोकप्रिय बनाने हेतु जाना जाता है।
इस वर्ष जनवरी के उत्तरार्द्ध में कई वर्षों की अनियमितता के बाद अचानक श्रीश शर्मा यानी "epandit" का आगमन हुआ । उल्लेखनीय है कि ‘ई-पण्डित’ का आरम्भ २००६ में अधिक से अधिक अन्तर्जाल प्रयोक्ताओं को हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रति आकर्षित करने, नए लोगों की सहायता करने तथा हिन्दी में तकनीकी ब्लॉगिंग को प्रमोट करने (और चिट्ठाकार की गीकी खुजली मिटाने) के लिए किया गया। ‘ई-पण्डित’ तकनीक, हिन्दी कम्प्यूटिंग, हिन्दी टाइपिंग, इनपुट विधियों पर बहुत से लेख लाया। विशेषकर कम्प्यूटर पर यूनिकोड हिन्दी टाइपिंग नामक लेख बहुत ही सराहा गया एवं विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ। य़ह पहला लेख था जिसमें कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग के विभिन्न तरीकों को सुव्यवस्थित तरीके से डॉक्यूमेंट किया गया।
‘ई-पण्डित’ महज एक ब्लॉग नहीं एक विचार था, एक दृष्टिकोण, एक स्वप्न कि हिन्दी को भी इण्टरनेट पर अपना उपयुक्त स्थान मिले। हिन्दी की स्थिति तब भी और अब भी अन्य देशों की भाषाओं यथा चीनी, अरबी आदि से बहुत पीछे थी और है। चिट्ठाकारों का स्वप्न था कि इण्टरनेट पर अपनी भाषा हिन्दी की भी अलग दुनियाँ हो। ‘ई-पण्डित’ इसी दिशा में एक अदना सा प्रयास था। दूसरा मुख्य उद्देश्य था कि आम हिन्दी भाषी जिसकी अंग्रेजी तक किञ्चित कारणों से पहुँच नहीं है उसे अपनी भाषा में सरल रुप से तकनीकी जानकारी मिले।
दूसरे उस समय हिन्दी में कोई भी तकनीकी ब्लॉग नहीं था। कुछ चिट्ठाकार यदा-कदा तकनीकी पोस्टें लिखते रहते थे परन्तु कोई सम्पूर्ण, संगठित और विषय आधारित चिट्ठा नहीं था। कुछेक चिट्ठे तकनीकी विषयों पर शुरु हुए पर दो-चार पोस्टें लिखकर गायब भी हो गए। कारण था कि उस समय हिन्दी में तकनीकी पोस्टों को विशेष पढ़ा नहीं जाता था, न तो पर्याप्त हिट्स मिलते थे और न पर्याप्त टिप्पणियाँ। इस कारण कोई भी तकनीकी विषयों पर लिखता न था। यद्यपि इससे कई बार मनोबल गिरता था परन्तु कुछ साथियों के हौसला बढ़ाने और कुछ ही सही लेकिन अच्छी फीडबैक के चलते लेखन जारी रहा। साथ ही एक उम्मीद थी की शायद इससे से प्रेरित होकर भविष्य में कुछ अन्य लोग भी तकनीकी ब्लॉग लिखने लगें। खैर धीरे-धीरे समय के साथ बदलाव आया और ‘ई-पण्डित’ प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय होता गया। इनके अज्ञातवास पर जाने के समय ‘ई-पण्डित’ की लोकप्रियता चरम पर थी और रविरतलामी जी के बाद ‘ई-पण्डित’ के सबसे ज्यादा फीड सबस्क्राइबर थे।
नवम्बर २००७ के दौरान ‘ई-पण्डित’ किञ्चित कारणों से अवकाश (या अज्ञातवास) पर चले गए तथा दो वर्ष पश्चात २७ जनवरी २०१० को वापस आये । खैर हार्दिक खुशी की बात है कि हिन्दी चिट्ठाजगत अब भाषाई अल्पसंख्यक ब्लॉगरों का कुनबा न रहकर विशाल कॉम बन गया है। पुराने समय तकनीक सम्बन्धी अपडेट्स जानने के लिए अंग्रेजी चिट्ठों का रुख करना पड़ता था पर अब बहुत सी खबरें हिन्दी चिट्ठों से ही मिल जाती हैं। उम्मीद है यह स्थिति धीरे-धीरे और सुधरेगी।
मेरी जानकारी में कई तकनीकी चिट्ठे हैं जो वर्ष-२०१० में धमाल मचाते रहे मगर सबकी चर्चा करना संभव नही । तो आईये कुछ चिट्ठों पर प्रकाशित तकनीकी पोस्ट जो मुझे अत्यन्त उपयोगी लगे उसी की चर्चा करते हैं -
पहला चिट्ठा है "Raviratlami Ka Hindi Blog " इस ब्लॉग पर इस वर्ष प्रकाशित १४३ पोस्ट्स में से कुछ पोस्ट जो सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ उनमें प्रमुख है - हिंदी पी डी एफ फाईलों को यूनिकोड वर्ड डाक्यूमेंट में कैसे जोड़ें ?, ५० मजेदार कम्प्यूटिंग कहावतें , सावधान ऊर्जा वचत के लिए अर्थ आवर बन सकता है'डिजास्टर आवर' , अपने हिंदी ऑफिस में जोडीये एक लाख शब्दों की कस्टम डिक्सनरी , बच्चों के लिए ख़ास -लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम -क्विमो लिनक्स-तथा ऑफिस सूट ....., ये कम्फर्ट स्टेशन क्या होता है ?, ब्लॉग : आईये आचार संहिता को मारे गोली आदि ।
इस वर्ष सर्वाधिक चर्चित तकनीकी ब्लॉग की श्रेणी में रवि रतलामी के ब्लॉग बाद जिस ब्लॉग का नाम शीर्ष फलक पर दिखाई दिया उसमें पहला नाम आता है आशीष खंडेलवाल का , जिनके ब्लॉग का नाम है हिंदी ब्लॉग टिप्स । इसपर प्रकाशित कुछ पोस्ट काफी लोकप्रिय हुए, जिनमें से प्रमुख है - ब्लोग्स पर कॉमेंट से जुडी दो नयी सुविधाएं , सौ से ज्यादा फौलोवर वाले हिंदी चिट्ठों का शतक , एक घंटे में गूगल से ३४९७.६२ रुपये कमाने का मौक़ा आदि ।
इस वर्ष उन्मुक्त पर तकनीकी बातें कम देखने को मिली, किन्तु इसके एक पोस्ट ने मुझे आकर्षित किया वह है हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गए ...! तकनीकी दस्तक पर इस वर्ष मात्र एक पोस्ट प्रकाशित हुआ । इस बार दस्तक ने चार साल पूरे किये , दस्तक पर एक सार्गाभित पोस्ट देखने को मिला यथा IRCTC अब नए अंदाज़ में । अंकुर गुप्ता के हिंदी ब्लॉग पर इस वर्ष कुछ सार्थक और सारगर्भित पोस्ट देखने को मिले यथा -फायरफौक्स अब नए रूप में, फेसबुक को जी मेल से जोड़ें , अंतरजाल.इन , तकनीकी चिट्ठे का शुभारंभ , देशभक्ति संगीत डाऊनलोड करें आदि . kunnublog - Means Total Entertainment पर भी इस वर्ष काफी अच्छे-अच्छे पोस्ट पढ़ने को मिले यथा मेरा नया साईट : किसी भी साईट को अनब्लोक करे , ब्लॉग/ साईट का बैक लिंक कैसे बनाएं, पेज रैंक बढायें , जी मेल का वैक अप बनाकर कंप्यूटर पर सेव करें आदि ।
तकनीकी जानकारी देने में हिंद युग्म का ई -मदद इस वर्ष काफी सक्रिय तो नहीं रहा किन्तु इस वर्ष प्रकाशित उसके दोनों पोस्ट कई अर्थों में काफी महत्वपूर्ण रहा । यथा चैट करके जानिये अंग्रेजी शब्दों के हिंदी अर्थ तथा कृतिदेव ०१० से यूनिकोड से कृतिदेव ०१० प्रवर्तक आदि ।
परिकल्पना के विश्लेषण में विगत वर्ष-२००९ में सर्वाधिक सक्रिय क्षेत्र छत्तीसगढ़ के सक्रीय शहर रायपुर के खरोरा के रहने वाले नवीन प्रकाश २४ अगस्त २००९ को अपना नया चिटठा हिंदी टेक ब्लॉग लेकर आये और ब्लॉग जगत को समर्पित करते हुए कहा कि "बस एक कोशिश है -जो थोडी बहुत जानकारियां मुझे है मैं चाहता हूँ कि आप सभी के साथ बांटी जाए। "
इस वर्ष इस चिट्ठे ने हिंदी ब्लोगिंग में पूरी दृढ़ता के साथ अपना कदम बढाया है और लगातार अपने महत्वपूर्ण विचारो /जानकारियों से हिन्दी चिट्ठाकारी को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है ।इसके अलावा इधर उधर की , ब्लॉग मदद, टेक वार्ता , ज्ञान दर्पण , तकनीकी संवाद आदि ब्लॉग की भी सक्रियता और प्रासंगिकता बनी रही है इस वर्ष ।
तकनीकी चिट्ठों की प्रासंगिकता और उद्देश्यपूर्ण सक्रियता के सन्दर्भ में तकनीकी चिट्ठाकार विनय प्रजापति का मानना है कि "हिन्दी चिट्ठाजगत से जुड़े सभी ब्लोगर हिन्दी का मान बढ़ाकर भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं जबकि अंग्रेजी कोस-कोस में व्याप्त हो चुकी है और उसके बिना तो किसी साक्षात्कार में दाल ही नहीं गलती। हिन्दी के प्रचार-प्रसार को लेकर हम जो भी कर रहे हैं, वह बहुत ही सराहनीय है पर हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो सब कुछ जानते हैं लेकिन तकनीकि सरल स्रोत उपलब्ध न होने के कारण अपने पृष्ठों पर प्रस्तुतिकरण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं, जिससे पाठक के मन से उन्हें पढ़ने की रुचि जाती रहती है और वह टिप्पणी करके या उससे भी बचकर निकल जाता है। ऐसे में तकनीकी जानकारी प्रदान करने वाले चिट्ठों की आवश्यकता महसूस होती है । तकनीकी चिट्ठों के आगमन में लगातार इजाफा हो रहा है और यह इजाफा आने वाले दिनों में हिंदी ब्लोगिंग को निश्चित रूप से समृद्ध करने में अहम् भूमिका निभाएगा , इसमें कोई संदेह नहीं है । "
यहाँ एक और प्रतिभाशाली ब्लोगर की चर्चा आवश्यक प्रतीत हो रही है वे हैं संजय वेंगाणी , जिनके ब्लॉग का नाम है जोग लिखी यानी तरकश.कॉम , इसपर भी समय-समय पर तकनिकी जानकारियाँ दी जाती रही है ।वर्तमान में भारत के अहमादाबाद (कर्णावती) शहर से मीडिया कम्पनी चला रहे हैं , हिन्दी के प्रति मोह राष्ट्रवादी विचारधारा की छाया में पनपा. इन्हें जिस काम में सबसे ज्यादा आनन्द मिलता है वे है अभिकल्पना और वेब-अनुप्रयोगों का ।
परिवर्तन दुनिया का आईना है इसलिए हर वर्ष परिस्थितियाँ बदली हुई होती है । परिस्थितियों का अंतर्द्वंद्व , सोचने-समझने का नज़रिया, वैचारिक दृष्टिकोण और कहने की शैली में बदलाव साफ़ दिखाई देता है । हमारा समाज नयी-नयी चीजें अपना तो रहा है , साथ ही बहुत पुरानी चीजें छोड़ भी रहा है । बीता हुआ २०१० भी इसका गवाह रहा है और आने वाले दिनों में भी यह दौर कायम रहेगा । कुछ लोग कहते हैं कि ब्लॉग डायरी का दूसरा रूप है और दूसरी तरफ ब्लोगर की निजता पर प्रश्न भी उठाये जाते हैं । कुछ ब्लोगर पोस्ट के माध्यम से सफल नहीं हो पाते तो अनावश्यक प्रलाप में निमग्न रहते हैं ताकि मुख्यधारा में बने रह सके । कुछ तो जानबूझकर विवाद को हवा देते हैं और कुछ अपनी सहूलियतों के हिसाब से अपने लिए पैमाने तय कर लेते हैं । यही है हिंदी ब्लोगिंग की सच्चाई ।
सदी के दूसरे दशक का पहला साल २०११ नयी उम्मीदें और उमंगें लेकर आ रहा है । इस वर्ष जनवरी में विकिपीडिया अपनी दसवीं वर्षगाँठ मनायेगा । नेट पर दुनिया के लगभग सभी देशों में उपलब्ध यह विश्वकोष पढ़ने -लिखने वालों के लिए वरदान है । मार्च में सोशल नेटवर्क ट्विटर अपने पांच साल पूरा करेगी । संयोग से उसी दिन विश्व कविता दिवस भी मनाया जाएगा । इसी महीने दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण में जुटे लोग एक घंटे तक बिजली के उपकरणों को बंद करके 'अर्थ आवर मनाएंगे । उद्देश्य होगा उर्जा की बचत करना और जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को दर्शाना । जून के महीने में 'आई बी एम ' अपनी सौवीं वर्षगाँठ मनाने के साथ हीं यह साबित कर देगी वक़्त के साथ बदलते रहना जरूरी है ।
भारतीय परिदृश्य में ब्लोगिंग की भूमिका की बात करें तो इस वर्ष के प्रारंभ में पांच राज्यों में प्रस्तावित चुनाव पर ब्लोगिंग की ख़ास नज़र देखी जा सकती है । राष्ट्रीय राजधानी के सौ साल पूरे हो रहे हैं इस पर भी हिंदी ब्लॉग की नज़र रहेगी इस वर्ष खासकर दिल्ली के ब्लोगरों की । खट्टी-मीठी यादों के साथ वर्ष-२०१० को हम सभी ने अलविदा कह दिया किन्तु भ्रष्टाचार का सवाल हमें पूरे साल सालता रहा , इस वर्ष भी यह मुद्दा ब्लॉग जगत का हिस्सा बना रह सकता है ऐसी संभावना है । मौजूदा ब्लोगिंग परिदृश्य में विरोधी पक्ष को नीचा दिखाने और उसके मुकावले ज्यादा टिप्पणियाँ बटोरने का सिलसिला अभी जारी रह सकता है , क्योंकि हिंदी ब्लोगिंग अभी पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाया है । विगत वर्ष के आखिरी क्षणों में प्याज ने लगाई महंगाई में आग , टमाटर और पेट्रोल के ऊँचे दामों से खाद्य मुद्रास्फीति १४.४४ फीसदी तक पहुंची अगले वर्ष में भी रियायत की संभावना कम है , यह भी मुद्दा छाया रहेगा अगले वर्ष ब्लोगिंग में ।
......जारी है विश्लेषण मिलते हैं एक विराम के बाद
रवीन्द्र प्रभात
परिकल्पना ब्लॉग से साभार
4 टिप्पणियां:
बढ़िया जानकारी दी है आपने पूरे साल की हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे मे
कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आए
बढ़िया जानकारी दी है ....
उपयोगी जानकारी के लिए आभार!
It's indeed an informative post.
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