.....गतांक से आगे
वर्ष-२०१० ब्लोगर गहमागहमी, ब्लोगर मिलन,ब्लोगर संगोष्ठी और ब्लॉग बबाल से भरपूर रहा । हिंदी ब्लोगिंग के चहुमुखी विकासमें भले ही अवरोध की स्थिति बनी रही पूरे वर्ष भर, किन्तु बुद्धिजीवियों का एक बड़ा तबका अपने इस आकलन को लेकर करीब-करीब एकमत है कि आने वाला कल हमारा है यानी हिंदी ब्लोगिंग का है ।
इसकों लेकर किन्तु-परन्तु हो सकता है कि हिंदी ब्लोगिंग का विकास अन्य भाषाओं की तुलना में धीमा रहा , लेकिन इसे लेकर किसी को संशय नहीं होना चाहिएकि हिंदी चिट्ठाकारी उर्जावान ब्लोगरों का एक ऐसा बड़ा समूह बनता जा रहा है जो किसी भी तरह की चुनौतियों प़र पार पाने में सक्षम है और उसने अपने को हर मोर्चे पर साबित भी किया है । वस्तुत: विगत वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि और साथ ही आशा की किरण यह रही है कि ब्लॉग के माध्यम से वातावरण का निर्माण केवल वरिष्ठ ब्लोगरों ने ही नहीं किया है , अपितु एक बड़ी संख्या नए और उर्जावान ब्लोगरों की हुई है , जिनके सोचने का दायरा बहुत बड़ा है । वे सकारात्मक सोच रहे हैं , सकारात्मक लिख रहे हैं और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल भी हो रहे हैं ।
साहित्य और पत्रकारिता से गायब हो चुके यात्रा वृतांतों ने ब्लॉग में अपनी जगह तलाशनी शुरू कर दी है । इसी तलाश के क्रम में इस वर्ष जून के महीने में ललित शर्मा लेकर आये चलती का नाम गाडी । भुखमरी पर चर्चा में अब मीडिया की दिलचश्पी भले ही न रह गयी हो किन्तु ब्लॉग में इस समस्या पर गंभीर लेखन की शुरुआत हो चुकी है यह जानकर संतोष होता है । ब्लॉग का नाम है दोस्त । सचमुच यह दोस्त है संवेदनाओं का , दोस्त है उन भूखों का जो अपनी आवाज़ उचित प्लेटफोर्म पर नहीं उठा पाते , दोस्त है उन बच्चों का जो कुपोषण के कारण हर वर्ष एक बड़ी संख्या में काल कलवित होने की स्थिति में हैं । सवालों से जूझते-टकराते इस ब्लॉग से नए वर्ष में कुछ और सार्थक पहल की उम्मीद की जा सकती है । अब तो इंटरनेट पर लहलहाने लगी है फसलें, सिखाये जाने लगे हैं गेहूं-धान आदि । शिव नारायण के ब्लॉग खेत खलियान ने विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुछ सार्थक पोस्ट दिए हैं अपने ब्लॉग पर । उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर फतहपुर से प्रवीण त्रिवेदी वर्त्तमान शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए इस वर्ष भी नज़र आये , उनका ब्लॉग 'प्राईमरी का मास्टर' कई सार्थक और सकारात्मक बहस का गवाह बनने में सफल रहा । संस्मरणों से भरी ब्लॉग की दुनिया में बेजान मुकदमों में सामाजिक प्रसंग ढुन्ढने में सफल रहा इस वर्ष भी अदालत ।
हिंदी ब्लॉग अंतर्विरोधों से भरा है, क्योंकि हम ऐसे ही हैं । एक ओर हम विदेशी संस्कृति से अपनी संस्कृति को बचा कर रखना चाहते हैं , तो दूसरी तरफ उसी को पूरी तरह अपनाने में अपना गौरव समझते हैं । ऐसे में एक ब्लॉग से साक्षात्कार सुखद रहा इस वर्ष । ब्लॉग का नाम है लोकरंग और ब्लोगर हैं गाजियावाद की प्रतिमा वत्स। वहीं अनुभवों के आधार पर बाज़ार के उत्पादों की विवेचना करता एक गृहणी का ब्लॉग 'सवा सेर शॉपर' इस वर्ष पूरी तरह अनियमित रहा । ऐसे ब्लॉग का अनियमित होना शालता रहा पूरे वर्ष भर । विगत वर्ष विश्लेषण के दौरान एक आदिवासी ब्लोगर की चर्चा हुई थी और ख़ुशी जाहिर की गयी थी कि जब एक आदिवासी ब्लोगर बन गया है तो प्राचीन मानवीय संस्कृति को ग्लोबलाईज करने में मदद मिलेगी, किन्तु हरिराम मीणा के ब्लॉग आदिवासी जगत पर केवल पांच पोस्ट ही प्रकाशित हुए । पर ये पाँचों पोस्ट आदिवासी संस्कृति को वयां करता हुआ कई महत्वपूर्ण विमर्श को जन्म देने में सफल रहा ।
इसकों लेकर किन्तु-परन्तु हो सकता है कि हिंदी ब्लोगिंग का विकास अन्य भाषाओं की तुलना में धीमा रहा , लेकिन इसे लेकर किसी को संशय नहीं होना चाहिएकि हिंदी चिट्ठाकारी उर्जावान ब्लोगरों का एक ऐसा बड़ा समूह बनता जा रहा है जो किसी भी तरह की चुनौतियों प़र पार पाने में सक्षम है और उसने अपने को हर मोर्चे पर साबित भी किया है । वस्तुत: विगत वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि और साथ ही आशा की किरण यह रही है कि ब्लॉग के माध्यम से वातावरण का निर्माण केवल वरिष्ठ ब्लोगरों ने ही नहीं किया है , अपितु एक बड़ी संख्या नए और उर्जावान ब्लोगरों की हुई है , जिनके सोचने का दायरा बहुत बड़ा है । वे सकारात्मक सोच रहे हैं , सकारात्मक लिख रहे हैं और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल भी हो रहे हैं ।
साहित्य और पत्रकारिता से गायब हो चुके यात्रा वृतांतों ने ब्लॉग में अपनी जगह तलाशनी शुरू कर दी है । इसी तलाश के क्रम में इस वर्ष जून के महीने में ललित शर्मा लेकर आये चलती का नाम गाडी । भुखमरी पर चर्चा में अब मीडिया की दिलचश्पी भले ही न रह गयी हो किन्तु ब्लॉग में इस समस्या पर गंभीर लेखन की शुरुआत हो चुकी है यह जानकर संतोष होता है । ब्लॉग का नाम है दोस्त । सचमुच यह दोस्त है संवेदनाओं का , दोस्त है उन भूखों का जो अपनी आवाज़ उचित प्लेटफोर्म पर नहीं उठा पाते , दोस्त है उन बच्चों का जो कुपोषण के कारण हर वर्ष एक बड़ी संख्या में काल कलवित होने की स्थिति में हैं । सवालों से जूझते-टकराते इस ब्लॉग से नए वर्ष में कुछ और सार्थक पहल की उम्मीद की जा सकती है । अब तो इंटरनेट पर लहलहाने लगी है फसलें, सिखाये जाने लगे हैं गेहूं-धान आदि । शिव नारायण के ब्लॉग खेत खलियान ने विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुछ सार्थक पोस्ट दिए हैं अपने ब्लॉग पर । उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर फतहपुर से प्रवीण त्रिवेदी वर्त्तमान शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए इस वर्ष भी नज़र आये , उनका ब्लॉग 'प्राईमरी का मास्टर' कई सार्थक और सकारात्मक बहस का गवाह बनने में सफल रहा । संस्मरणों से भरी ब्लॉग की दुनिया में बेजान मुकदमों में सामाजिक प्रसंग ढुन्ढने में सफल रहा इस वर्ष भी अदालत ।
हिंदी ब्लॉग अंतर्विरोधों से भरा है, क्योंकि हम ऐसे ही हैं । एक ओर हम विदेशी संस्कृति से अपनी संस्कृति को बचा कर रखना चाहते हैं , तो दूसरी तरफ उसी को पूरी तरह अपनाने में अपना गौरव समझते हैं । ऐसे में एक ब्लॉग से साक्षात्कार सुखद रहा इस वर्ष । ब्लॉग का नाम है लोकरंग और ब्लोगर हैं गाजियावाद की प्रतिमा वत्स। वहीं अनुभवों के आधार पर बाज़ार के उत्पादों की विवेचना करता एक गृहणी का ब्लॉग 'सवा सेर शॉपर' इस वर्ष पूरी तरह अनियमित रहा । ऐसे ब्लॉग का अनियमित होना शालता रहा पूरे वर्ष भर । विगत वर्ष विश्लेषण के दौरान एक आदिवासी ब्लोगर की चर्चा हुई थी और ख़ुशी जाहिर की गयी थी कि जब एक आदिवासी ब्लोगर बन गया है तो प्राचीन मानवीय संस्कृति को ग्लोबलाईज करने में मदद मिलेगी, किन्तु हरिराम मीणा के ब्लॉग आदिवासी जगत पर केवल पांच पोस्ट ही प्रकाशित हुए । पर ये पाँचों पोस्ट आदिवासी संस्कृति को वयां करता हुआ कई महत्वपूर्ण विमर्श को जन्म देने में सफल रहा ।
अंतरजाल पर कुछ वेब पत्रिकाएं हैं जो ब्लॉग को प्रमोट करने की दिशा में सक्रिय है, उसमें प्रमुख है सृजनगाथा, अभिव्यक्ति, अनुभूति, दि सन्दे पोस्ट, पाखी ,एक कदम आगे, गर्भनाल , पुरवाई, प्रवासी टुडे, अन्यथा, भारत दर्शन, सरस्वती पत्र आदि , किन्तु साहित्य कुञ्ज इस वर्ष पूरी तरह अनियमित रहा । इस वर्ष एक और वेब पत्रिका पांडुलिपि का आगमन हुआ जो अनेक साहित्यिक सन्दर्भों को प्रस्तुत करके कम समय में ही अपनी पहचान बनाने में सफल रही है । यह प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका है , जो पूरी तरह अंतरजाल पर सक्रिय नहीं हो पायी है ।
विशुद्ध साहित्यिक सन्दर्भों को सहेजने में पूरे वर्ष मशगूल रहा प्रभात रंजन का ब्लॉग जानकी पुल । बना रहे बनारस पर पूरे वर्ष गंभीर साहित्यिक सामग्रियां परोसी जाती रही , साथ ही रचनाकार ,कृत्या ,साखी ,स स्वरं ,आखर कलश,नेगचार,कांकड़,अनुसिर्जन, शब्दों का उजाला,साहित्य शिल्पी, कागद हो तो हर कोई बांचे,अनुवाद घर,गवाक्ष, सेतु साहित्य,नयी कलम उभरते हस्ताक्षर ,पंचमेल ,उद्धव जी ,पढ़ते-पढ़ते , मोहल्ला लाईव, नया ज़माना , जनपक्ष , जनशब्द , हुंकार , तनहा फलक , वटवृक्ष , पुरविया , काव्य प्रसंग , स्वप्नदर्शी , हरी मिर्च , सरगम ,हरकीरत हीर , संचिका , उदय प्रकाश , शहर के पैगंबरों से कह दो , शहरोज का रचना संसार , कतरनें , समीक्षा , हाशिया , अनकही, आलोचक , जिरह , नास्तिकों का ब्लॉग , नयी रोशनी , दिल की बात , कुछ औरों की कुछ अपनी , पुनर्विचार , हमजवान , गीता श्री , हारमोनियम , रिजेक्ट माल , मेरी डायरी, शरद कोकाश , शुशीला पुरी , दिलें नादाँ , पाल ले एक रोग नादाँ , संजय व्यास ,डा कविता किरण , मुक्तिवोध ,जिंदगी-ए-जिंदगी , हमारी आवाज़ ,जोग लिखी, नयी बात ,मेरी भावनाएं ,खिलौने वाला घर,हिंद युग्म हिंदी कविता, पद्मावली ,जिंदगी एक खामोश सफ़र, , काव्य तरंग,राजभाषा हिंदी, ज्ञान वाणी,यात्रा एक मन की, लम्हों का सफ़र,एहसास अंतर्मन के ,पलकों के सपने,अनुशील,आदत मुस्कुराने की,जज्वात ज़िंदगी और मैं,इक्कीसवीं सदी का इन्द्रधनुष, बस यूँ हीं , रसबतिया, मेरी बात, न दैनयम न पलायनम, उल्लास मीनू खरे का ब्लॉग,अमन का पैगाम,जो मेरा मन कहे,शीखा दीपक, स्वप्न मेरे ,सरोकार,आवाज़ दो हमको,दिल का दर्पण ,सच में, फुलबगिया,चाँद की सहेली, रचना रवीन्द्र, कासे कहें, कुछ मेरी कलम से, नीरज,शाश्वत शिल्प,अनामिका की सदायें , नजरिया , मेरी छोटी सी दुनिया ,हास्य कवि अलवेला खत्री, भाषा सेतु , हुंकार , काजल कुमार के कार्टून , शब्दों का सफ़र ,आखर माया,मेरा सामान ,बचपन, बेचैनआत्मा, अनवरत,कबाडखाना,आवाराहूँ,अनकहीबातें,अलफ़ाज़,ज़िन्दगीकेमेले,चवन्नीचैप,कविताएँ ,बरगद ,क्वचिदन्यतोअपि..........! , अनुनाद , कस्बा , नुक्कड़ ,कर्मनाशा आदि ब्लोग्स पर कतिपय रचनात्मक पोस्ट देखने को मिले हैं इस वर्ष ।
विशुद्ध साहित्यिक सन्दर्भों को सहेजने में पूरे वर्ष मशगूल रहा प्रभात रंजन का ब्लॉग जानकी पुल । बना रहे बनारस पर पूरे वर्ष गंभीर साहित्यिक सामग्रियां परोसी जाती रही , साथ ही रचनाकार ,कृत्या ,साखी ,स स्वरं ,आखर कलश,नेगचार,कांकड़,अनुसिर्जन, शब्दों का उजाला,साहित्य शिल्पी, कागद हो तो हर कोई बांचे,अनुवाद घर,गवाक्ष, सेतु साहित्य,नयी कलम उभरते हस्ताक्षर ,पंचमेल ,उद्धव जी ,पढ़ते-पढ़ते , मोहल्ला लाईव, नया ज़माना , जनपक्ष , जनशब्द , हुंकार , तनहा फलक , वटवृक्ष , पुरविया , काव्य प्रसंग , स्वप्नदर्शी , हरी मिर्च , सरगम ,हरकीरत हीर , संचिका , उदय प्रकाश , शहर के पैगंबरों से कह दो , शहरोज का रचना संसार , कतरनें , समीक्षा , हाशिया , अनकही, आलोचक , जिरह , नास्तिकों का ब्लॉग , नयी रोशनी , दिल की बात , कुछ औरों की कुछ अपनी , पुनर्विचार , हमजवान , गीता श्री , हारमोनियम , रिजेक्ट माल , मेरी डायरी, शरद कोकाश , शुशीला पुरी , दिलें नादाँ , पाल ले एक रोग नादाँ , संजय व्यास ,डा कविता किरण , मुक्तिवोध ,जिंदगी-ए-जिंदगी , हमारी आवाज़ ,जोग लिखी, नयी बात ,मेरी भावनाएं ,खिलौने वाला घर,हिंद युग्म हिंदी कविता, पद्मावली ,जिंदगी एक खामोश सफ़र, , काव्य तरंग,राजभाषा हिंदी, ज्ञान वाणी,यात्रा एक मन की, लम्हों का सफ़र,एहसास अंतर्मन के ,पलकों के सपने,अनुशील,आदत मुस्कुराने की,जज्वात ज़िंदगी और मैं,इक्कीसवीं सदी का इन्द्रधनुष, बस यूँ हीं , रसबतिया, मेरी बात, न दैनयम न पलायनम, उल्लास मीनू खरे का ब्लॉग,अमन का पैगाम,जो मेरा मन कहे,शीखा दीपक, स्वप्न मेरे ,सरोकार,आवाज़ दो हमको,दिल का दर्पण ,सच में, फुलबगिया,चाँद की सहेली, रचना रवीन्द्र, कासे कहें, कुछ मेरी कलम से, नीरज,शाश्वत शिल्प,अनामिका की सदायें , नजरिया , मेरी छोटी सी दुनिया ,हास्य कवि अलवेला खत्री, भाषा सेतु , हुंकार , काजल कुमार के कार्टून , शब्दों का सफ़र ,आखर माया,मेरा सामान ,बचपन, बेचैनआत्मा, अनवरत,कबाडखाना,आवाराहूँ,अनकहीबातें,अलफ़ाज़,ज़िन्दगीकेमेले,चवन्नीचैप,कविताएँ ,बरगद ,क्वचिदन्यतोअपि..........! , अनुनाद , कस्बा , नुक्कड़ ,कर्मनाशा आदि ब्लोग्स पर कतिपय रचनात्मक पोस्ट देखने को मिले हैं इस वर्ष ।
इसप्रकार सक्रियता में अग्रणी रहे श्री समीर लाल समीर और सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी चिट्ठाकारी में अपनी उद्देश्यपूर्ण भागीदारी में अग्रणी दिखे डा अरविन्द मिश्र । रचनात्मक आन्दोलन के पुरोधा रहे श्री रवि रतलामी , जबकि सकारात्मक लेखन के साथ-साथ हिन्दी के प्रचार -प्रचार में अग्रणी दिखे श्री शास्त्री जे सी फिलिप । विधि सलाह में अग्रणी रहे श्री दिनेश राय द्विवेदी और तकनीकी सलाह में अग्रणी रहे श्री आशीष खंडेलवाल । वहीं अनूप शुक्ल समकालीन चर्चा में अग्रणी दिखे और दीपक भारतदीप गंभीर चिंतन में । इसीप्रकार चिट्ठा चर्चा में अग्रणी रहे मनोज कुमार और राकेश खंडेलवाल कविता-गीत-ग़ज़ल में अग्रणी दिखे इस वर्ष । |
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महिला चिट्ठाकारों के विश्लेषण के आधार पर हम जिन नतीजों पर पहुंचे है उसके अनुसार साहित्यिक गतिविधियों को प्राण वायु देने में अग्रणी रही रश्मि प्रभा । काव्य रचना में अग्रणी रहीं रंजना उर्फ़ रंजू भाटिया वहीं कथा-कहानी में अग्रणी रहीं निर्मला कपिला , ज्योतिषीय परामर्श में अग्रणी रही संगीता पुरी । टिप्पणियों में अग्रणी रही संगीता स्वरुप वहीं रचनात्मक पहल में अग्रणी रही स्वप्न मंजूषा अदा । समकालीन सोच में अग्रणी रही डा दिव्या श्रीवास्तव यानी ZEAL और गंभीर लेखन में अग्रणी दिखी रश्मि रविजा । सांस्कृतिक जागरूकता में अग्रणी दिखी अल्पना वर्मा वहीं समकालीन सृजन में अग्रणी रही आकांक्षा यादव । डा कविता वाचकनवी सांस्कृतिक दर्शन में अग्रणी रही और नन्हे ब्लोगर की श्रेणी में अग्रणी रही अक्षिता पाखी । इसी क्रम में एक बात और बताना चाहूंगा कि अल्पना देशपांडे इस वर्ष सर्वाधिक चर्चित चित्रकार के रूप में लोकप्रिय हुई , उन्हें लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकोर्ड में स्थान मिला, साथ ही वन्दना ने चर्चा मंच के माध्यम से अपना एक अलग मुकाम बनाने में सफल रही । |
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रवीन्द्र प्रभात
परिकल्पना ब्लॉग से साभार
5 टिप्पणियां:
आज ब्लॉगजगत के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ऐसे लोगों ने
बहुत अच्छा ब्लॉग विश्लेषण ... बहुत दिन से इन्टरनेट के एरर के चलते पढ़ नहीं आप रही थी...
प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
बेहतरीन विश्लेषण !
बहुत बढ़िया विश्लेषण प्रस्तुत किया है!
रवीन्द्र प्रबात जी के श्रम को नमन!
लोहड़ी, मकर संक्रान्ति एवं उत्तरायणी की हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएँ!
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छत पर जाओ!
पतंग उड़ाओ!
This is Very very nice article. Everyone should read. Thanks for sharing. Don't miss WORLD'S BEST Game
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