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मजाज के सम्बन्ध में उनकी बहन हमीदा सालिम ने लोकसंघर्ष पत्रिका के लिये विशेष रूप से लिखा है। मजाज के तराने का संस्कृत अनुवाद प्रोफेसर परमानन्द शास्त्री व डॉ युनुस ने किया है। मजाज के तराने का संस्कृत अनुवाद प्रकाशित करने का श्रेय भी लोकसंघर्ष पत्रिका को है।
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