बुधवार, 22 जून 2011

सरशारे निगाहें नरगिस हूँ, पाबस्तए गेसुए सुन्बुल हूँ। यह मेरा चमन है, मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ

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मजाज के सम्बन्ध में उनकी बहन हमीदा सालिम ने लोकसंघर्ष पत्रिका के लिये विशेष रूप से लिखा है। मजाज के तराने का संस्कृत अनुवाद प्रोफेसर परमानन्द शास्त्री डॉ युनुस ने किया हैमजाज के तराने का संस्कृत अनुवाद प्रकाशित करने का श्रेय भी लोकसंघर्ष पत्रिका को है

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