सोमवार, 19 मार्च 2012
फागुन का मौसम आया..............................................
फागुन का मौसम आया, फूलों का दिन लाया।
खिले सरसों के पीले फूल, वसंती मौसम मन लाया॥
खेतों की हरयाली कैसी धरती को भाती है।
जब चलती मस्त हवा तन-मन महकाती है।
पेड़ों से पत्ते झरते अलबेला मौसम आया।
फागुन का मौसम आया, फूलों का दिन लाया॥
डाली से गिरते पत्तों को मन करता दौड़ पकड़ने को,
उड़ते पत्तों के संग मिल पंख लगाकर उड़ने को।
आया मधुर सुगन्धित मौसम , सपने नए जगाया।
फागुन का मौसम आया, फूलों का दिन लाया॥
तन मन को हर्षाता पौधा गेंहू का, हरियाली देता है।
हरियाली के साथ हमें, यह खाने को बाली देता है।
बालियाँ भूनकर खाने को, बच्चों का मन ललचाया।
फागुन का मौसम आया, फूलों का दिन लाया॥
सरसों, टेसू, चना, मटर, पीले, लाल, बैगनी, नीले,
होली के रंगों में रंगे सब, रंग लगकार गले मिले।
रंग बिरंगे फूलों से पेड़ों पौधों ने धरा सजाया।
फागुन का मौसम आया, फूलों का दिन लाया॥
-कपिल देव सिंह यादव
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