शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

विलक्षण अभिनय प्रतिभा के धनी थे दादामुनि

भारतीय फ़िल्मी इतिहास में जब यहाँ बोलती फिल्मो का दौर शुरू हुआ उस वक्त अभिनय में काफी लाउडनेस हुआ करती थी | इसके साथ ही उस वक्त रंगमंच का भी अच्छा दौर था जिसके कारण पारसी रंगमंच के प्रभाव के कारण संवाद अदायगी पर काफी जोर दिया जाता था | उस दौर में अशोक कुमार '' दादामुनि '' हिन्दी सिनेमा में ऐसे कलाकार के रूप में सामने आये जिनके अभिनय में सहजता और स्वाभाविकता थी |दादामुनि ने अपने अभिनय कि क्षमता से भारतीय सिनेमा को एक  स्टारडम को नया आयाम दिया अशोक कुमार ने ऐसे तमाम सामाजिक और मनोरंजन पूर्ण फिल्मे दी जो उस समय के काल परिस्थितियों कि कुरीतियों  पर जबर्दस्त चोट करती है और उनसे उबरने का सकेत और दिशा प्रदान करती है | तक्षशिला वर्तमान में बिहार के भागलपुर में गंगा के तट पर स्थित आदमपुर मुहल्ले में 13 अक्तूबर 1911 को जन्मे कुमुद लाल गांगुली उर्फ़ अशोक कुमार ने हिन्दी सिनेमा एक नया आयाम देते हुए अपने को किसी इमेज में नही बधनेदिया और उस वक्त के नायक को नई छवि दी | ऐसे वक्त में जब हीरो को अच्छाई का प्रतीक समझा जाता था , उस समय उन्होंने '' फिल्म '' किस्मत में एंटी हीरो कि भूमिका निभाते हुए उस दौर के प्रचलित मान्यताओं को खारिज कर दिया | उन्होंने ऐसे दौर में अभिनय को सम्मानजनक स्थान दिलाया जब फिल्मो को सम्मान कि नजरो से नही देखा जाता था | अपनी विलक्षण प्रतिभा से कई पीढ़ी के दर्शको के दिलो पर राज करने वाले अशोक कुमार कि रूचि अभिनय में नही थी वह फिल्म के तकनीकी पक्ष से जुड़ना चाहते थे लेकिन किस्मत ने अभिनय के क्षेत्र में ला खड़ा किया और उन्होंने अभिनय को इस कदर अपने अंदर आत्मसात कर लिया कि उनके अभिनय का जादू लोगो के सर पर चढकर बोलने लगा | '' अशोक कुमार के कैरियर कि शुरुआत बाम्बे टाकिज से हुयी वो उस वक्त एक तकनीशियन थे | उनके हीरो बनने का क़िस्सा कुछ यू है , एक बार देविका रानी के एक हीरो नजीमुल हुसैन सेट से भाग गये थे | जिस वजह से बाम्बे टाकिज के मालिक हिमांशु राय को काफी परेशानियों का सामना करना पडा उसके बाद हिमांशु राय ने अशोक कुमार को  देविका रानी का हीरो बना दिया | देविका रानी और अशोक कुमार कि जोड़ी खूब जमी |  ''अछूत कन्या '' में इन दोनों के अभिनय को लोगो ने खूब सराहा |उस वक्त देविका रानी फ़िल्मी दुनिया कि सफल नायिका थी | इस फिल्म में अशोक कुमार का आत्मविश्वास देखते ही बनता है और कही से यह प्रतीत नही होता है कि एक स्थापित नायिका के सामने एक नवोदित अभिनेता है | अशोक कुमार और देविका रानी ने '' सावित्री '' निर्मला और इज्जत में भी साथ -- साथ काम किया | बाम्बे टाकिज कि फिल्म '' किस्मत '' अशोक कुमार के लिए मील का पत्थर साबित हुई | ज्ञान मुखरी द्वारा निर्देशित '' किस्मत '' हिन्दी सिनेमा कि बहुचर्चित फिल्मो से एक है | एक ओर इसमें नायक अशोक कुमार एंटी हीरो कि भूमिका में थे वही कवि  प्रदीप के  गीतों में राष्ट्रवाद भी परोक्ष रूप से परिलक्षित हो रहा था | यह फिल्म जब प्रदर्शित हुई , उस समय दुसरा विश्व युद्ध चल रहा था और ब्रिटेन युद्ध में जर्मनी एवं जापान जैसे देशो से जूझ रहा था | इस फिल्म का एक गीत '' दूर hto   ऐ दुनियावालो हिन्दुस्तान हमारा है '' काफी सफल सिद्ध हुआ इसी गीत में आगे जर्मन और जापान का भी जिक्र आता है | दरअसल अंग्रेजो कि सख्त सेंसरशिप से बचने के लिए उन दोनों देशो का नाम लिया गया था और इसमें परोक्ष रूप से अंग्रेजो से भी भारत छोड़ कर जाने कि बात कही गयी थी | इसके बाद अशोक कुमार कि एक और चर्चित फिल्म '' महल '' आई जिसमे उन्होंने अपेक्षाकृत नई अभिनेत्री मधुबाला के साथ काम किया | अशोक कुमार उस वक्त कि ट्रेजडी नायिका मीना कुमारी के साथ भी सफलता पाई उन्होंने मीना कुमारी के साथ ' पाकीजा , बहू बेगम , आरती में काम किया इसके साथ ही चलती का नाम गाडी , आशीर्वाद , आदि शामिल है | अशोक कुमार सिर्फ एक गंभीर कलाकार ही नही थे बल्कि उन्होंने कामेडी कि दुनिया में अपने को स्थापित किया था | उम्र के बधने के साथ ही अशोक कुमार ने चरित्र भूमिकाये निभानी शुरू कर दी | इन भूमिकाओं में में भी उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी | उन्होंने कुछ एक फिल्मो में विलेन कि भूमिका कि | ऐसी ही एक चर्चित फिल्म ज्वैल थीप थी | इसका कथानक ऐसा था जिसमे आखरी क्षण तक दर्शको को यह पता नही लग पाता कि अशोक कुमार ही विलेन कि भूमिका में है |
अशोक कुमार ने दूरदर्शन धारावाहिकों में भी काम किया देश के पहले सोप ओपेरा '' हम लोग '' में वह सूत्रधार कि भूमिका में नजर आये | और चर्चित धारावाहिक '' बहादुरशाह जफर में उन्होंने वृद्ध हो चुके बादशाह कि अविस्मर्णीय भूमिका अदा करके अपने को मील का पत्थर साबित कर दिखाया | दादामुनि बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिनके शौक में पेंटिंग बनाना और होम्योपैथिक के डाक्टर भी थे दादामुनि |  अशोक कुमार ने ममता फिल्म में वो गीत  '' छुपा लो यू  दिल में प्यार मेरा  कि जैसे मंदिर में लौ दिए कि उनका यह गीत जीवन के प्रेम का अदभुत दर्शन  दे जाता है   |  आज उनका जन्मदिन है इस अवसर पर हम उनको शत शत नमन करते है |.............................
सुनील दत्ता ..पत्रकार

2 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बढ़िया है |
आभार सुन्दर -
प्रस्तुति के लिए ||

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

अशोक कुमार,दादामुनि एक बहुत उम्दा कलाकार थे,
उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्मे दी,फ़िल्मी इतिहास उनके बिना अधूरा है,,,,,

MY RECENT POST: माँ,,,

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