बाराबंकी। खालिद मुजाहिद की न्यायिक अभिरक्षा में मौत के सम्बंध में न्यायिक जांच कर रहे मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी फैजाबाद को टेलीग्राम कर जांच का कार्यस्थल बाराबंकी या लखनऊ में करने की मांग की गई।
मृतक खालिद मुजाहिद के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने एक टेलीग्राम भेजकर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी फैजाबाद से प्रार्थना कि खालिद मुजाहिद की मौत के बाद कोतवाली नगर जनपद बाराबंकी में अपराध सं0 295/2013 अन्तर्गत धारा 302, 120 बी आई0पी0सी0 का वाद दर्ज हुआ है। इसी प्रकरण में यह भी आया है कि खालिद मुजाहिद को 16 दिसम्बर 2007 को मडि़याहू बाजार जनपद जौनपुर से अपहरण किया गया था, जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 22 दिसम्बर 2007 को उसकी गिरफ्तारी रेलवे स्टेशन बाराबंकी के पास दिखाई गई थी। गिरफ्तारी के समय विस्फोटक सामग्री भी दिखाई गई थी। जिसको उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित आर0डी0 निमेष कमीशन ने गिरफ्तारी व बरामदगी फर्जी माना है। 22 दिसम्बर 2007 को बाराबंकी जेल भेजे जाने के बाद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस न्यायालय या सरकार के किस अधिकारी के आदेश से उसको लखनऊ कारागार स्थानान्तरित किया गया था और उसके बाद कई महीनों तक जनपद बाराबंकी के न्यायालय में पेश नहीं किया गया था। खालिद मुजाहिद के वाद की न्यायालय प्रक्रिया तेजी से चल रही वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने केस वापसी की प्रक्रिया भी अपना रखी थी। खालिद मुजाहिद के जेल के बाहर आते ही बड़ी संख्या में पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों को जेल जाना पड़ता। जिसमें खालिद मुजाहिद मुख्य गवाह होता। इस तरह उसकी हत्या का उद्देश्य स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। प्रार्थी व खालिद मुजाहिद के परिवार के लोग खालिद मुजाहिद की मौत/हत्या से सम्बंधित साक्ष्य व सबूत श्रीमान जी को देना चाहते हैं किन्तु एक समूह द्वारा अराजकता पूर्ण माहौल बनाकर जबरदस्त हिंसा की जा सकती है। इसलिए आवश्यक यह है कि खालिद मुजाहिद प्रकरण की न्यायिक जांच से सम्बंधित सबूत व साक्ष्य बाराबंकी या लखनऊ में ली जाए अन्यथा आप द्वारा की जा रही न्यायिक जांच में बहुत महत्वपूर्ण बाते जांच के दायरे से बाहर रह जायेंगी और खालिद मुजाहिद की मौत का कारण स्पष्ट नही हो पाएगा।
मृतक खालिद मुजाहिद के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने एक टेलीग्राम भेजकर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी फैजाबाद से प्रार्थना कि खालिद मुजाहिद की मौत के बाद कोतवाली नगर जनपद बाराबंकी में अपराध सं0 295/2013 अन्तर्गत धारा 302, 120 बी आई0पी0सी0 का वाद दर्ज हुआ है। इसी प्रकरण में यह भी आया है कि खालिद मुजाहिद को 16 दिसम्बर 2007 को मडि़याहू बाजार जनपद जौनपुर से अपहरण किया गया था, जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 22 दिसम्बर 2007 को उसकी गिरफ्तारी रेलवे स्टेशन बाराबंकी के पास दिखाई गई थी। गिरफ्तारी के समय विस्फोटक सामग्री भी दिखाई गई थी। जिसको उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित आर0डी0 निमेष कमीशन ने गिरफ्तारी व बरामदगी फर्जी माना है। 22 दिसम्बर 2007 को बाराबंकी जेल भेजे जाने के बाद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस न्यायालय या सरकार के किस अधिकारी के आदेश से उसको लखनऊ कारागार स्थानान्तरित किया गया था और उसके बाद कई महीनों तक जनपद बाराबंकी के न्यायालय में पेश नहीं किया गया था। खालिद मुजाहिद के वाद की न्यायालय प्रक्रिया तेजी से चल रही वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने केस वापसी की प्रक्रिया भी अपना रखी थी। खालिद मुजाहिद के जेल के बाहर आते ही बड़ी संख्या में पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों को जेल जाना पड़ता। जिसमें खालिद मुजाहिद मुख्य गवाह होता। इस तरह उसकी हत्या का उद्देश्य स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। प्रार्थी व खालिद मुजाहिद के परिवार के लोग खालिद मुजाहिद की मौत/हत्या से सम्बंधित साक्ष्य व सबूत श्रीमान जी को देना चाहते हैं किन्तु एक समूह द्वारा अराजकता पूर्ण माहौल बनाकर जबरदस्त हिंसा की जा सकती है। इसलिए आवश्यक यह है कि खालिद मुजाहिद प्रकरण की न्यायिक जांच से सम्बंधित सबूत व साक्ष्य बाराबंकी या लखनऊ में ली जाए अन्यथा आप द्वारा की जा रही न्यायिक जांच में बहुत महत्वपूर्ण बाते जांच के दायरे से बाहर रह जायेंगी और खालिद मुजाहिद की मौत का कारण स्पष्ट नही हो पाएगा।
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