बुधवार, 19 मार्च 2014

चन्द्रगुप्त भी तो पढता था, पटना के गुप्ता कॉलेज में

सेवेन रेसकोर्स जाना है, चढ़ना है सीढ़ी चौखट की
लेकिन बड़े अड़ंगे यारों, डगर कठिन है इस पनघट की
 अपना लाल किला बनवाकर, धूम मीडिया में मचवाकर
 कर ली सब तैयारी दल में, बड़े बुजुर्गों को नचवाकर
 गंगा में तर्पण करने को, गया सिकंदर है नालेज में
 चन्द्रगुप्त भी तो पढता था, पटना के गुप्ता कॉलेज में
जानकारियां तो हारी हैं, सूट, बूट, झंडा, गाडी है
बहुमत के चक्कर में यारों, फूट न जाए मक्खन मटकी

- डॉ. विनोद निगम
मो. 09425642597

नोट : आज हिंदी के कवि डॉ. विनोद निगम हौशंगाबाद से बाराबंकी आये और उन्होंने फेंकू चायवाला की उछल कूद पर यह कविता सुनाई

सुमन 

लो क सं घ र्ष !

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