रविवार, 13 जुलाई 2014

मुँह में राम बगल में छुरी -गोहत्या बहुत जरुरी ?

गौ हत्या के ऊपर प्रतिबन्ध लगाने के नारे के साथ बीजेपी ने  चुनाव लड़ा था. यह नारा उसका सिर्फ देश के अन्दर सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए जरूरी होता है।  जिससे कुछ लोग गौ हत्या के सवाल के ऊपर भावनात्मक तरीके से उसको वोट दे सके।  इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों में गौ रक्षा समितियों के माध्यम से जगह जगह सांप्रदायिक उन्माद्पैदा कर भोले भले लोगों का वोट ठग सके।  अधिकांश: गौ शालाएं इन्ही के लोगों के द्वारा संचालित होती हैं और गायों के भोजन पर मिलने वाली राशि का उपयोग यह लोग अपने लिए करते हैं और दिनभर गौ हत्या पाप है का नारा लगाते हैं। इनके कई नेता गौ वध निवारण अधिनियम में देश के विभिन्न हिस्सों में गिरफ्तार भी हो चुके हैं। 
आज मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के एमएलए आरिफ अकील ने पिछले दिनों अशासकीय संकल्प के माध्यम से एक प्रस्ताव पेश किया। वह चाहते थे कि गाय की मौत हो जाने के बाद बाद उसे जला या दफना दिया जाए और साथ ही उसके अंगों की बिक्री पर रोक लगा दी जाए। मगर सरकार इस संकल्प को पास करने से बचती रही और आखिरकार मत विभाजन की वजह से संकल्प पास नहीं हो सका। इस अशासकीय संकल्प ने भारतीय जनता पार्टी की कलई खोल दी। 
अकील ने कहा, 'गाय को गौ माता कहा जाता है और इसे मां का दर्जा दिया गया है। बावजूद इसके बूढ़ी गायों को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। गाय की हड्डियों, चर्बी और चमड़ी के लिए उसे मार दिया जाता है।' उन्होंने कहा कि इस कारोबार पर रोक लगनी चाहिए और गाय की मौत पर सरकारी खर्च पर उसेक अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जानी चाहिए।
 अकील ने  कहा कि बीजेपी ने इस मुद्दे पर चुनाव लड़ा है और अब वह पीछे हट रही है।
आखिरकार इस अशासकील संकल्प पर पहले ध्वनिमत कराया गया, लेकिन इससे स्थिति साफ नहीं हो पाई कि इसका विरोध करने वालों की संख्या ज्यादा है या समर्थन करने वालों की। इसके बाद वोटिंग की गई। साफ हुआ कि 55 सदस्यों ने इस संकल्प के विरोध में वोट डाले, जबकि समर्थन में सिर्फ 30 वोट पड़े। इस तरह यह संकल्प गिर गया। 

भाजपा ने गौ हत्या के ऊपर प्रतिबन्ध लगाने को लेकर चुनाव लड़ा था।  इस कार्य से जो देश के अंदर सांप्रदायिक उन्माद या आये दिन झगडे होते हैं वह बंद हो जाएंगे लेकिन भाजपा की मंशा साफ़ नहीं है उसके समर्थक किसी भी प्रकार के मुनाफे वाली चीज को बंद होते हुए बर्दाश्त नही कर सकते हैं।  
 अगर उसमें जरा भी ईमानदारी है तो अविलम्ब गौ वध के ऊपर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए अन्यथा उसके लिए यह नारा काफी  फायदेमंद है- मुँह में राम बगल में छुरी -गोहत्या बहुत जरुरी ?
 
-सुमन
 लो क सं घ र्ष !



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