अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के बाद भी पाकिस्तान कुलभूषण जाधव के मामले में हठधर्मिता पूर्ण रवैया अपना रहा है। वहीं हर बात पर ट्विट करने वाले प्रधानमंत्री मोदी चुप हैं।
वहीँ पाकिस्तान ने कहा कि उसने भारत को शुक्रवार को कुलभूषण जाधव तक मिलने की सुविधा प्रदान की है।
लेकिन भारत ने कहा कि वह अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुसार प्रस्ताव का मूल्यांकन कर रहा है और राजनयिक माध्यम से जवाब देगा।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा, "हमने भारतीय उच्चायोग को इस शुक्रवार को कांसुलर एक्सेस देने की पेशकश की है। हमे भारत की तरफ से जवाब का इंतजार है।"
पाकिस्तान ने कहा कि एक जिम्मेदार राज्य के कारण , वह जाधव को "पाकिस्तानी कानूनों के अनुसार" कांसुलर एक्सेस प्रदान करेगा, जिसके लिए तौर तरीकों पर विचार किया जा रहा है।
पाकिस्तान के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर, भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा: "हमें पाकिस्तान से एक प्रस्ताव मिला है। हम अभी, प्रस्ताव का मूल्यांकन कर रहे हैं. हम राजनयिक माध्यम के जरिए पाकिस्तान को जवाब देंगे। '
पिछले महीने, हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को जाधव की सजा और सजा पर "प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार" करने का आदेश दिया और इसे बिना किसी देरी के कांसुलर एक्सेज प्रदान करने के लिए कहा।
कांसुलर एक्सेस क्या होता है...
वियना कन्वेंशन-1961
दुनिया के आजाद देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधों को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ। इसके तहत कन्वेंशन में शामिल देशों ने एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसमें राजनियकों को विशेष अधिकार दिए गए। इस संधि में राजनियकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया। इस संधि के तहत मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनियकों को खास दर्जा देता है। इस संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था और 1964 में यह संधि लागू हुई।
फरवरी 2017 में इस संधि पर कुल 191 देशों ने हस्ताक्षर किया है। इस संधि के तहत कुल 54 आर्टिकल हैं। संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। साथ ही राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगेगा। इंटरनेशनल कोर्ट में इटली के नौसेना के अफसरों को भारत द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मामला इसी संधि के तहत चला था।
अगर पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को कांसुलर एक्सेज का दर्जा प्रदान कर दे तो
कुलभूषण जाधव रिहा हो जाएंगे और उनके ऊपर कोई पाकिस्तानी अदालत कार्रवाई नहीं कर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के बाद भी उसको लागू न करवा पाना मोदी की कूटनीतिक विफलता है।
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