'पेशे से वकील होने के नाते आप की विचारधारा कठोर है क्योंकि आप क्रिमिनल केस लड़ते हैं जो विभिन्न अदालतों में अलगाववादियों के खिलाफ विचाराधीन है।
' विषय है.... आप बार एसोसिएशन का दुरुपयोग कर रहे हैं जिससे संवैधानिक प्रणाली में दिए गए दर्जे के मुताबिक सम्मान के साथ माना जाता है।'
जम्मू और कश्मीर सरकार ने 4 अधिवक्ताओं को पुराने कानून पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत उक्त आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अधिवक्ताओं में जम्मू हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम भी शामिल हैं अन्य अधिवक्ताओं में नाजिर अहमद रोंगा, अनंतनाग बार एसोसिएशन के अध्यक्ष फयाज अहमद सोदागर तथा बारामूला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल सलीम राठेर शामिल है।
नाजिर अहमद रोंगा मुरादाबाद सेंट्रल जेल मियाँ अब्दुल कयूम को आगरा सेंट्रल जेल में बंद कर रखा गया है।
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35 ए की कार्रवाई के बाद भारी संख्या में अधिवक्ताओं, राजनेताओं, लेखकों, पत्रकारों को गिरफ्तार कर देश की विभिन्न जेलों में कैद रखा गया है। लोकतंत्र, स्वतंत्रता, संविधान को जम्मू और कश्मीर में जिस तरीके से परिभाषित कर लागू किया जा रहा है वह भारतीय संविधान कि गोडसे वादी व्याख्या तो हो सकती है लेकिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान जिसे 26 जनवरी को भारतीय गणतंत्र में लागू किया गया था। वह संविधान नहीं हो सकता है। भारतीय संविधान का रक्षक उच्चतम न्यायालय मौन हैं। यही लोकतंत्र का दुर्भाग्य है।
' विषय है.... आप बार एसोसिएशन का दुरुपयोग कर रहे हैं जिससे संवैधानिक प्रणाली में दिए गए दर्जे के मुताबिक सम्मान के साथ माना जाता है।'
जम्मू और कश्मीर सरकार ने 4 अधिवक्ताओं को पुराने कानून पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत उक्त आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अधिवक्ताओं में जम्मू हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम भी शामिल हैं अन्य अधिवक्ताओं में नाजिर अहमद रोंगा, अनंतनाग बार एसोसिएशन के अध्यक्ष फयाज अहमद सोदागर तथा बारामूला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल सलीम राठेर शामिल है।
नाजिर अहमद रोंगा मुरादाबाद सेंट्रल जेल मियाँ अब्दुल कयूम को आगरा सेंट्रल जेल में बंद कर रखा गया है।
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35 ए की कार्रवाई के बाद भारी संख्या में अधिवक्ताओं, राजनेताओं, लेखकों, पत्रकारों को गिरफ्तार कर देश की विभिन्न जेलों में कैद रखा गया है। लोकतंत्र, स्वतंत्रता, संविधान को जम्मू और कश्मीर में जिस तरीके से परिभाषित कर लागू किया जा रहा है वह भारतीय संविधान कि गोडसे वादी व्याख्या तो हो सकती है लेकिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान जिसे 26 जनवरी को भारतीय गणतंत्र में लागू किया गया था। वह संविधान नहीं हो सकता है। भारतीय संविधान का रक्षक उच्चतम न्यायालय मौन हैं। यही लोकतंत्र का दुर्भाग्य है।
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