शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

बलात्कारी के रथ पर बैठ कर अपहरणकर्ता का वध


मनुष्य और मनुष्यता का कोरोना काल में नाश हो रहा है मानव मूल्यों का पतन दिखाई दे रहा है बड़ी- बड़ी बातें करने वालों की कलई खुल रही है वहीं मजदूर किसान मेहनत कस जनता संकट काल में सीना तान कर काम कर रही है। कार्पोरेट सेक्टर के लोग सरकारी मदद मांग रहे हैं वहीं किसान मजदूर मानव जाति की रक्षा करने के लिए खेतों में काम कर रही है। वहीं राक्षसी प्रवृत्ति के शैतान जाति और धर्म की राजनीति कर रहे हैं। बीमार लोगों के धर्म पर राजनीति,प्रवासी मजदूरों को भूखों मरने लिए मजबूर कर दिया गया है। आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों को हरिद्वार और वाराणसी से सैकड़ों बसों से घर भेजना विदेश में रह रहे लोगों को विशेष विमान से देश में लाना
यह सब महत्वपूर्ण घटना क्रम मानवीय मूल्यों के पतन के कारण है। हम अब देखेंगे कि कोरोना से मृत्यु होने वाले मृतकों के साथ क्या हो रहा है - पद्य श्री भाई  निर्मल सिंह हजूरी रागी श्री दरबार साहिब के संस्कार के लिए कोई भी व्यक्ति आगे नहीं आया था। बाबा बलदेव सिंह की  मौत के बाद उनकी अस्थियों का कोई वारिस सामने ही नहीं आया र
 है। पंजाब के जिला नवांशहर के गांव पठलावा में उनकी मौत के 18 दिन बाद तक श्मशानघाट में पड़ी उनकी अस्थियों को उठाया नहीं गया।इससे पूर्व लुधियाना में महिला की मौत के बाद उसके शव को कोई एंबुलैंस में ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस महिला के शव को मशक्कत के बाद आधी रात 2 बजे जलाया गया।

मोहाली के गांव नयागांव के बुजुर्ग, जिनकी कोरोना से पी.जी.आई. में मौत हो गई थी, के संस्कार को लेकर कंधा तक नसीब नहीं हुआ।
उ प्र की राजधानी लखनऊ के ऐशबाग कब्रिस्तान में मृतक शव दफन करने के लिए परिवारजन और पुलिस ने काफी प्रयास किया, लेकिन आरोपितों ने उनकी एक न सुनी। इसके बाद दूसरे स्थान पर शव लेकर घरवाले गए, जहां देर रात करीब तीन बजे लक्ष्मणगंज स्थित सुप्पा रौस कब्रिस्तान में शव को दफन कर दिया गया।
रांची कोरोना सेंटर में भर्ती बुजुर्ग की मौत 12 अप्रैल को सुबह 9:05 में हुई थी। लगभग तीन घंटे बाद शव को बाहर एंबुलेंस में रखा गया। लेकिन शव को दफनाने को लेकर स्थानीय लोगों के विरोध के कारण कब्रिस्तान तय नहीं हो पा रहा था। इस कारण देर शाम तक शव ट्रॉमा सेंटर के बाहर ही रखा रहा। 12 बजे सूचना मिली कि शव को बड़गाई स्थित कब्रिस्तान में मिट्टी दिया जाएगा। उसके बाद पता चला जोड़ा तालाब में, फिर वहां भी विरोध होने के बाद रातू रोड के कब्रिस्तान ले जाने की बात चली। दो घंटे बैठक के बाद वहां ले जाने पर सहमति बनी। लेकिन स्थानीय लोगों ने वहां भी विरोध कर दिया। जिसके कारण ट्रॉमा सेंटर परिसर में ही एम्बुलेंस में शव पड़ा रहा।
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मृत 65 वर्षीय व्यक्ति के परिजनों ने गुरुवार को आरोप लगाया कि उपनगर मलाड में कब्रिस्तान के न्यासियों द्वारा शव दफनाने से मना करने के बाद उसे जलाना पड़ा। मृतक मालवाणी के कलेक्टर परिसर में रहता था और जोगेश्वरी स्थित बीएमसी के अस्पताल में 15 अप्रैल तड़के उसकी मौत हुई थी।
चिरागाेड़ा: कोरोना के संदेह पर शव दाह संस्कार करने काे लेकर विवाद हुआ है।
वही देश द्रोही का प्रमाण पत्र जारी करने वाले लोग जमा खोरी काला बाजारी शराब की तस्करी कर कौन सी मनुष्यता का परिचय दे रहे हैं।बलात्कारी के रथ पर  बैठ कर अपहरणकर्ता का वध कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
-रणधीर सिंह सुमन



1 टिप्पणी:

Bijender Gemini ने कहा…

कोरोना पर सार्थक लेख ने मिशाल पेश की है । ऐसे लेख से जागरूकता बढती हैं
- बीजेन्द्र जैमिनी
bijendergemini.blogspot.com

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