पार्टी ने बयान में यह भी कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 50 ऐसे लोगों के नाम उजागर किए हैं जिन्होंने 68607 करोड़ रुपये का कर्ज बैंक से लिया था लेकिन उसे 30 सितंबर 2019 को बट्टे खाते में डाल दिया गया। भाकपा महासचिव ने यह भी कहा है कि जब पूरा देश कोरोना संकट से गुजर रहा है तो ऐसे में सरकार कॉर्पोरेट जगत के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके बैंक लोन को बट्टे खाते में डाल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपीए- एक के काल में बैंकों से डूबा हुआ धन 51 हजार 500 करोड़ पर था जबकि यूपीए-दो के काल में 45000 करोड़ था लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के काल में यह बढ़कर 216000 करोड़ रुपए हो गया लेकिन राजग-दो के कार्यकाल में 2019 में यह बढ़कर 740000 करोड़ रुपए हो गया।
वाम नेता ने यह भी कहा कि 31 मार्च 2018 को संसद में दिए गए एक जवाब के अनुसार कुल 943 लोग थे जिन्होंने 122018 करोड़ रुपएका कर्ज बैंकों को चुकता नहीं किए थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर और अधिक हो गई होगी। उन्होंने यह भी कहा की विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे आर्थिक अपराधी आज तक वापस नहीं लाए गए और उनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी इसलिए यह जरूरी हो गया है कि ऐसे आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कड़ा कानून बनाया जाए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही मांग करती रही है की आर्थिक अपराधियों को रोकने के लिए कानून और कड़े किये जाए ताकि बैंक के खातों को डूबने से बचाया जा सके।
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