शनिवार, 26 नवंबर 2022

लव जेहाद

बताया गया था कि हादिया लव जिहाद की शिकार है और उसे आईएसआईएस में भर्ती किया जायेगा. परन्तु हादिया ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में साफ़-साफ़ कहा कि उसने अपने जीवनसाथी और अपने नए धर्म का चुनाव अपनी मर्ज़ी से किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सन 2018 में हादिया के अपने धर्म से बाहर शादी करने के अधिकार को वैध ठहराया. इसी तरह का दुष्प्रचार देश के अन्य क्षेत्रों में भी किया गया और किया जा रहा है. पिछले कुछ महीनों में कर्नाटक, असम, हरियाणा और गुजरात – जहाँ भाजपा या भाजपा ने नेतृत्व वाले गठबंधन सत्ता में हैं - के मुख्यमंत्रियों ने लव जिहाद से निपटने के लिए कानून बनाने की बात कही है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में पहले से ही ऐसे कानून हैं जो विवाह हेतु धर्मपरिवर्तन को अपराध घोषित करते हैं. सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में राष्ट्रीय महिला आयोग ने 11 नवंबर 2020 को कहा था कि, "आयोग द्वारा 'लव जिहाद' की श्रेणी के अंतर्गत शिकायतों से सम्बंधित कोई आंकडें संधारित नहीं किये जाते". इसका अर्थ यह है कि 'लव जिहाद' के होने का कोई प्रमाण नहीं है. केरल पुलिस ने भी आरटीआई के अंतर्गत पूछे गए प्रश्न का यही जवाब दिया था. यह उत्तर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को दिया गया था. आयोग ने केरल पुलिस से कहा था कि वह सीरियाई-मलाबार चर्च द्वारा 14 जनवरी 2020 को उसे की गई शिकायत की जांच करे. इस शिकायत में कहा गया था कि, "यह एक तथ्य है कि केरल में लव जिहाद हो रहा है और सुनियोजित तरीके से ईसाई लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है." भाजपा के कई नेता आफताब-श्रद्धा मामले को लव जिहाद से जोड़ रहे हैं. हाल में रिलीज़ हुई फिल्म "केरला स्टोरीज" ने तो सारी हदें पार कर लें हैं. फिल्म में यह दावा किया गया है कि केरल की 32,000 युवतियों को मुसलमान बनाकर सीरिया, यमन इत्यादि ले जाया गया है! यह आंकड़ा पूरी तरह से अविश्वसनीय स्त्रोतों पर आधारित है और ऐसा लगता है कि फिल्म निर्माता ने तार्किकता को तिलांजलि दे दी है. आज ज़रुरत इस बात की है कि हम लव जिहाद के दुष्प्रचार, जो देश की फिजा में ज़हर घोल रहा है, का मुकाबला करें. आज ज़रुरत इस बात की है कि वैवाहिक और प्रेम संबंधों में दुःख भोग रही लड़कियों और महिलाओं को हेल्पलाइन और अन्य प्रकार की सहायता उपलब्ध हो. हमें यह समझना होगा कि इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए हमें उन्हें साम्प्रदायिकता के रंग में रंगने से कुछ हासिल नहीं होगा. राम पुनियानी

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