सोमवार, 29 जनवरी 2024

दो सांडों की आधुनिक कथा

दो सांडों की आधुनिक कथा दो सांड थे। एक उत्तर टोला में रहता था,तो दूसरा दक्खिन टोला। दोनों में बहुत दोस्ती थी। एक सांड बलशाली था,तो दूसरा फुर्तीला। गांव में घूम-घूमकर दोनों साथ में भोजन की तलाश करते और रात को अपने अपने टोले में आराम। बलशाली सांड ध्यान बंटाता ,तो फुर्तीला सांड दुआरे रखी फसल पर मुंह मार देता। दोनों की जुगलबंदी के कारण दोनों को खाने पीने की कभी कमी न होती। कभी यहां किसी का खेत चर लिया तो कभी किसी का खलिहान। उनके कारनामों की चर्चा दूसरे गांव में भी होने लगी। दोनों के दिन अच्छे कट रहे थे। लेकिन एक बार पत्तियों के बंटवारे को लेकर दोनों में गजब की खींचतान हुई। और बात सींग अड़ाने तक पहुंच गई। फुर्तीले सांड ने ऊंची आवाज में कहा,' तू धोखेबाज हैं। आज से हमारी तुम्हारी दोस्ती खत्म! उत्तर टोले की तरफ भूल से मत देखियो! वरना मुझसे बुरा कोई न होगा!' बलशाली सांड ने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया। वह फुर्तीले सांड से गुस्से से बोला,'चल लालची कहीं का!आज से दक्खिन टोला के रास्ते तेरे लिए हमेशा के लिए बंद। आया तो सींग तोड़कर तेरे गले में लटका दूंगा! पुरानी दोस्ती का लिहाज कतई न करूंगा!' इस घटना के बाद दोनों अलग हो गए। दोनों की मित्रता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो गई। यह खबर पूरे गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई। गांव वालों ने राहत की सांस ली। कहा कि चलो इसी बहाने उनके आतंक में कुछ कमी तो होगी! घर का माल-रसद,खेत-खलिहान तो सुरक्षित रहेगा। दोनों अपने अपने इलाके में चरने लगे। यूं तो दोनों का काम एक दूसरे के बिना भी चल ही रहा था,पर दोनों को ही मजा नहीं आ रहा। दोनों के साथ रहने से सुरक्षा के साथ अधिक माल उड़ाने में सहूलियत होती थी। किसी तरह अकेले-अकेले दोनों के कुछ दिन बीते। मौसम भी बदला। शीत से बसंत का आगमन हो गया। फुर्तीला सांड अकेले में बैठा सोचता कि जब कभी वह घिरता तो बलशाली सांड उसको कैसे कवर, बैकअप देता था। तो वहीं बलशाली सांड लेटे सोचता कि फुर्तीला सांड क्या मूव बनाता था,कितनी तेजी से चकमा देता था,कोई समझ ही नहीं पाता था। एक सुबह लोगों ने देखा कि दोनों लिपटे-चिपटे गले लगे साथ चले आ रहे हैं। यह दृश्य देखकर गांव वाले हतप्रभ रह गए। फुर्तीला सांड एक बूढ़े को देखते हुआ बोला,'देख रहे हैं चच्चा! बहुत बाहुबली बन रहे थे,देखिए तुड़वा दिए न संकल्प!' बूढ़ा सुनकर मुस्कराया। उसने बलशाली सांड को देखा और कहा,'और तुम! तुम तो कहते थे कि इसको दक्खिन टोला में घुसने नहीं दोगे! सींग तोड़कर गले में लटका दोगे! क्यों!' 'हां तो हम अपनी बात पर कायम रहे। न हम उत्तर टोला गए, न ये दक्खिन टोला आया...' 'फिर!' बढ़े ने पूछा। 'इसलिए हम दोनों पच्छू (पश्चिम) में जाकर मिले हैं।' बलशाली सांड गर्दन हिलाता हुआ बहुत अदा से बोला। फुर्तीला सांड हँसा पड़ा। बलशाली सांड ने भी हँसने में उसका साथ दिया। उनके जाने के बाद एक नौजवान ने बूढ़े से पूछा,' काका! ई का चमत्कार भवा! इनके तेवर देखकर हमें लगा कि ई ससुरे फिर कभी न एक होंगे!' 'अरे कुछ नहीं रे! दोनों विशुद्ध राजनीतिज्ञ हैं। उधर देखा! सब उसका चमत्कार है!' बूढ़े ने खेत की ओर इशारा किया। नौजवान ने देखा कि खेत में खड़ी नई फसल लहलहा रही थी। अनूप मणि त्रिपाठी

2 टिप्‍पणियां:

C.p.i aituc rajy krmchri mahsang sambeda outsorsing srmik mhasang ने कहा…

राजनैतिकशोषकमुनाफाखोरकारपोरेटकेसभीसाॅडआपसमेलडरहेखेतकिसानोकाहीचररहेहैऔरधौजफसलहीरहेहै।

बेनामी ने कहा…

वर्तमान समय पर बहुत सटीक बैठती हैं ये दो सांडों की कहानी।

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