मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024
ईरान की खुफिया एजेंसी का चीफ मोसाद का एजेंट था
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान में हैरान करने वाला कारनामा कर दिखाया है। मोसाद ने ईरान की खुफिया एजेंसी के शीर्ष स्तरों पर सफलतापूर्वक घुसपैठ करने में सफलता हासिल कर ली थी। ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अमहदीनेजाद ने ये खुलासा किया है। न्यूयॉर्क सन की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व ईरानी राष्ट्रपति का कहना है कि इजरायल की जासूसी के लिए बनाया गया ईरान के जासूसों का समूह को मोसाद ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। ईरानी जासूस मोसाद के लिए डबल एजेंट के रूप में काम कर रहे थे।
ईरानी खुफिया यूनिट का हेड बना इजरायली एजेंट
अमहदीनेदाज ने दावा किया कि मोसाद ने एक ईरानी खुफिया एजेंसी के प्रमुख के रूप में अपने आदमी को बैठा दिया था, जो सारी जानकारी इजरायल को दे रहा था। अहमदीनेजाद ने सीएनएन से तुर्की भाषा के सहयोगी सीएनएन तुर्क के साथ ही दिए एक इंटरव्यू में ये दावे किए हैं। अमहदीनेजाद ने दावा किया कि मोसाद के ऑपरेशन का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी चुराना था।
अहमदीनेजाद ने आउटलेट को बताया कि ईरानी खुफिया मंत्रालय में काउंटर-इजरायल यूनिट का प्रमुख एक इजरायली एजेंट था। पूर्व राष्ट्रपति ने दावा किया कि मोसाद ने एक बेहद ही जटिल ऑपरेशन के लिए ईरानी खुफिया सेवाओं में घुसपैठ की। इसमें महत्वपूर्ण परमाणु दस्तावेज चुराना भी शामिल है।
ईरानी खुफिया में दो दर्जन जासूस
तुर्किएटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदीनेजाद ने बताया कि ईरान की खुफिया में लगभग दो दर्जन ईरानी मोसाद के लिए जासूस के तौर पर काम कर रहे थे। यह पहली बार नहीं है, जब इजरायल की मोसाद के ईरान के भीतर मिशन के लिए अपने ऑपरेटिव एक्टिव किए हैं। छह साल पहले 2018 में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की थी कि इजरायल ने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम से संबंधित फाइलों का खजाना प्राप्त किया है।
जब मोसाद ने आधी रात को चलाया अभियान
छह साल पहले एक बेहद ही साहसी जासूसी अभियान में मोसाद के एजेंटों ने आधी रात को तेहरान में ऑपरेशन चलाकर ईरान के परमाणु हथियारों के विकास का विवरण देने वाले 100,000 से अधिक दस्तावेज चुरा लिए। 6 घंटे तक चले ऑपरेशन में दो दर्जन से अधिक एजेंटों ने दस्तावेजों तक पहुंचने के लिए गोदाम में तिजोरियों को काट दिया। बाद में नेतन्याहू ने तेल अवीव में इन दस्तावेजों को दुनिया के सामने रखा, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया।
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