बुधवार, 23 अक्टूबर 2024
बहराइच हिंसा पूर्व नियोजित और पुलिस ने दो घंटे की छूट दी थी
बहराइच हिंसा; उपद्रवी बोले- 2 घंटे पुलिसवाले हट गए थे:लोगों ने गद्दारी की, नहीं तो महराजगंज खत्म हो गया होता
दो एजेंसी जल गईं। गाड़ियां जल गईं। दुकानें जल गईं। कई महंगी-महंगी गाड़ियां फूंक दी गईं। कई बंदे एकसाथ गए थे, जरूरी नहीं कि हम ही फूंकेंगे। जिसका नंबर आ आएगा, वही फूंक देगा। कुछ लोगों ने गद्दारी कर दी, नहीं तो पूरा महराजगंज खत्म हो जाता। पुलिस वालों ने टाइम दिया था 2 घंटे। सारे पुलिस वाले हट भी गए थे।
दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर यह कबूलनामा है बहराइच हिंसा में शामिल उपद्रवियों का। बहराइच के महराजगंज में हिंसा में कौन लोग शामिल थे? इसे रोकने में पुलिस क्यों फेल हुई? क्या यह सब कुछ पहले से प्लान्ड था? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने 5 दिन तक महराजगंज और उसके आसपास के गांवों में इन्वेस्टिगेशन किया। हमने 3 उन महत्वपूर्ण किरदारों को ढूंढा।
महराजगंज से 5 किलोमीटर दूर बेडवा गांव की सड़क पर हमें दो युवक मिले। हमने जानना चाहा कि क्या वे हिंसा में शामिल थे? शुरू में तो उन्होंने इनकार किया, लेकिन काफी देर बातचीत हुई तो उन्होंने उपद्रव को सिलसिलेवार तरीके से बताया।
युवक सबूरी मिश्रा ने कहा- कल (14 अक्टूबर को) हम लोग महराजंगज में थे। रिपोर्टर ने सवाल किया कि तुम लोगों ने फूंका था। इस पर युवक कहता है- हां-हां और क्या? गाड़ियां जल गईं। दुकानें जल गईं। कई महंगी-महंगी गाड़ियां फूंक दी गईं। कई बंदे एक साथ गए थे, जरूरी नहीं कि हम ही फूंकेंगे, जिसका नंबर आ आएगा, वही फूंक देगा। दूसरे युवक प्रेम मिश्रा ने कहा कि कुछ लोगों ने गद्दारी कर दी, नहीं तो पूरा महराजगंज खत्म हो जाता। पुलिस वालों ने टाइम दिया था 2 घंटे। इस पर पहले युवक ने कहा कि तभी तो सारे पुलिस वाले हट भी गए थे।
दोनों युवक जिस उपद्रव की बात बता रहे हैं, वो 14 अक्टूबर को हुआ था। उस दिन रामगोपाल मिश्रा की शव यात्रा निकाली गई। आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। इस दौरान महराजगंज में विशेष वर्ग के घरों और दुकानों पर धावा बोल दिया। यहीं पर हीरो बाइक की एजेंसी में आग लगा दी गई। उसमें 25 से 30 गाड़ियां जलकर राख हो गईं। ये एजेंसी अरुण शुक्ला के नाम से है, लेकिन इसमें पैसा सिराज का लगा है। भीड़ में शामिल लोगों को यह बात पता थी। इसी के बगल में लखनऊ सेवा अस्पताल भी फूंक दिया गया। यह भी एक मुस्लिम का ही था।
विधायक की इजाजत बिन पुलिस मामूली FIR भी दर्ज नहीं करती एनकाउंटर के बाद जब घायल सरफराज और तालीम को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो वहां भारी फोर्स तैनात की गई। हमारी टीम की मुलाकात हरदी थाने में तैनात रहे एक पुलिस अफसर से हुई। इनकी हम पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं। पुलिस अफसर ने विधायक को लेकर बड़ा खुलासा किया। बताया, विधायक से पूछे बिना आसपास के 4 थानों में 151 (मामूली केस) तक में FIR दर्ज नहीं होती। विधायक जी का पूरे जिले में होल्ड है। डीएम-एसपी उनकी ही बात सुनती हैं।
पुलिस अफसर ने बताया- मुझे सूचना मिली है कि रामगोपाल मिश्रा की पहले से ही अब्दुल हमीद के परिवार से टशल थी। अब्दुल का बेटा, जिसने गोली मारी है, वह बदमाश है। अगर दोनों में विवाद नहीं होता, तो राम गोपाल सिर्फ अब्दुल के घर का ही झंडा नहीं उखाड़ता। वहां तमाम मुस्लिमों के घर हैं, जिन पर झंडे लगे हैं।
एक आया, हाथ से इशारा किया, छत से तीन लोगों ने भी हाथ हिलाया हमने इस हिंसा में लापरवाही पर हटाए गए तत्कालीन थाना प्रभारी एसके वर्मा से मोबाइल पर बात की। उन्होंने बताया- महराजगंज कस्बे में विसर्जन के लिए 15 से ज्यादा मूर्तियां मौजूद थीं। पूरी यात्रा साधारण चल रही थी। इस घटना (14 अक्टूबर) का पूरा विवाद हाथ हिलाकर इशारा करने के बाद शुरू हुआ।
घटना वाली छत (जहां राम गोपाल की हत्या की गई) से भी 3 लोगों ने हाथ हिलाया था। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। मैंने उसी समय कहा था, मुकदमा लिखवा दे रहा हूं। लेकिन, अब गाना बजाने की बात सामने आ रही है। मुझे नहीं पता, गाना बजाने की बात कहां से सामने आई है? जुलूस में बवाल होने से पहले एक व्यक्ति आए और निकल गए, इसके बाद में चीजें बढ़ने लगीं।
यह घटना पहले से प्लांड लग रही है। अचानक से हुई कोई भी घटना इतने लंबे समय तक नहीं चलती। इससे पहले मैं कई बार देवीपाटन मेले का प्रभारी रह चुका हूं।
अब विधायक ने क्या कहा- हमने महसी से भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह से बात की। सवाल किया कि आपकी मर्जी से थानों में FIR तक दर्ज नहीं होती? क्या उपद्रव की जानकारी आपको नहीं थी? इस पर विधायक ने कहा कि महसी पुलिस चौकी की पूरी जिम्मेदारी है। वहीं सिपाही से हेड मोहर्रिर हो गए और फिर दरोगा हो गए। पूरी जिम्मेदारी थाना प्रभारी और सीओ की है।। थाने से 500 मीटर दूर हंगामा होता है, इन्हें पता ही नहीं चलता। हमने हटाने के लिए शिकायत भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
घटना शुरू हुई, जिसमें विसर्जन में आचार्य संदीप का गाना बज रहा था। उसमें पाकिस्तान मुर्दाबाद की बात कही जा रही थी। क्या पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाना गलत है? पाकिस्तानियों को ही आपत्ति हो सकती है। डीजे की लीड निकाल ली गई थी। इंस्पेक्टर खड़े थे, चौकी इंचार्ज खड़े थे। उनको ले जाकर थाने बैठा लेते, तो बात ही आगे नहीं बढ़ती।
पूर्व विधायक बोले- रात 12 बजे के बाद घटना की हुई प्लानिंग, दो-दो किमी पर लगाई आग
हम इसी क्षेत्र के पूर्व विधायक और सपा नेता केके ओझा से मिलने पहुंचे। ओझा महसी विधानसभा से बसपा के विधायक रह चुके हैं। साल 2022 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने बताया- लड़का उनकी (अब्दुल हमीद) छत पर चढ़ कर झंडा फाड़ रहा था, जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। यह केवल एक घटना थी।
रात 12 बजे डेडबॉडी जिला अस्पताल में थी और भीड़ इकट्ठी हो रही थी। इसी बीच जनता ने विधायक जी (सुरेश्वर सिंह) को खदेड़ दिया। जब उन्होंने देखा मेरा विरोध हो रहा है, तो वह दंगाइयों के साथ हो गए। उसके बाद कुछ गांवों में ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया। दो-दो किमी पर आग लगाई गई।
क्या पुलिस फोर्स कम थी? हम थाना हरदी पहुंचे, जहां थाने में तैनात मुंशी मिले। मुंशी से हमने हिडन कैमरे पर बात की। उन्होंने कहा- इस विसर्जन के दौरान महराजगंज कस्बे में पुलिस बल की कमी थी। केवल हमारे एक थाने का पुलिस बल मौजूद था।
उन्होंने कहा- हमारे क्षेत्र में कुल 4 जगह मूर्ति विसर्जन होता है। जिसमें महाराजगंज पहले से सेंसटिव रहता है। हम लोगों ने जिले से अतिरिक्त पुलिस बल मांगा था, लेकिन वह नहीं मिला।
इससे पहले हम लोगों को अतिरिक्त पुलिस बल मिलता था। हम अपने थाने और चौकी की पुलिस के साथ पूरे कार्यक्रम को करवा रहे थे। चूंकि कस्बे में 15 से अधिक मूर्तियां थीं, उसी तरीके से पुलिस बल जगह-जगह पर मौजूद था।
एसडीएम बोले- आरोपी के पास 4 लाइसेंसी हथियार, महराजगंज में कोई मजिस्ट्रेट नहीं तैनात था अब हम महसी तहसील के एसडीएम अखिलेश सिंह (अब हटा दिए गए) से मिलने पहुंचे। वह भी इस घटना में चोटिल हुए थे। हमने उनसे इस कार्यक्रम में हुई तैयारियों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया- पुलिस की कमी थी या नहीं, यह हमारे विभाग की बात नहीं है। हमने अपनी तहसील क्षेत्र में दो मजिस्ट्रेट तैनात किए थे। महराजगंज में परंपरागत तरीके से मूर्तियां विसर्जन के लिए पहले से जाती हैं। इसमें कोई नई प्रथा नहीं है।
हमने महराजगंज कस्बे में किसी मजिस्ट्रेट को तैनात नहीं किया था। इस घटना के आधे घंटे बाद हम खुद मौके पर पहुंचे थे। आरोपी अब्दुल हमीद के परिवार में 4 लाइसेंसी असलहे हैं। अगले दिन 14 अक्टूबर को जब हिंसा भड़की, तो हमने अपनी तरफ से पूरी तैयारियां करके रखी थीं। पोस्टमॉर्टम हाउस से एसडीएम सदर खुद डेडबॉडी लेकर मृतक के घर पहुंचे थे। तहसील पर एडीएम साहब फोर्स लेकर खुद मौजूद थे।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें