रविवार, 9 मार्च 2025

अंधभक्तों को कोबरा सांपों' की सख्त जरूरत महसूस होने लगी है

1925में आरएसएस द्वारा बोए गए घृणा फैलाऊ साम्प्रदायिक विष बीजों से उगाई गई विषबेलों में फल फूलकर परिपक्व हो चुकी अंधभक्तों की सेना का नया कारनामा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोलकाता में हुई चुनावी रैली में उस मिथुन चक्रवर्ती के, खुद को जहरीला कोबरा सांप बताने के रूप में सामने आया है जिसे बीजेपी में लाने के लिए खुद आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत को मिथुन चक्रवर्ती के घर जाना पड़ा था। असहमति की आवाज़ों को देशद्रोही आवाज़ें बताते बताते थक चुकी अंधभक्तों की सेना और उनके सेनानायकों को अब मिथुन चक्रवर्ती जैसे 'कोबरा सांपों' की सख्त जरूरत महसूस होने लगी है जो विपक्ष को काट खाये और उनकी लाशें सीधे श्मशान में जाकर गिरें! स्वामी रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महापुरुषों की धरती को अब कोबरा सांपों से पाट देने के लिए ही भाजपा इस बार प. बंगाल का विधानसभा चुनाव लड़ रही है। --विनोद कोचर (9-3-2021)

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