शुक्रवार, 27 जून 2025

आजादी के क्रांतिकारी

लाल रंग वाले कम्युनिस्ट आजादी आंदोलन में क्या कर रहे थे? ------------‐------------------------------------------------------ लाल रंग वाले कम्यूनिस्टों की भूमिका और जबाब १. मुजफ्फर अहमद: मेरठ षड्यंत्र मामले में ब्रिटिश सरकार द्वारा उम्र कैद। जेल में कटी पूरी जवानी। कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य। २.गणेश घोष: चटगांव शस्त्रागार की लूट के नायक, जलालाबाद के पहाड़ों में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ सूर्य सेन के नेतृत्व मे लड़ाई। 16 साल सेलुलर जेल में कैद। छूटने के बाद 1952,1957 और 1962 में कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक और 1967 में माकपा के सांसद। ३.कल्पना दत्त: सूर्य सेन और प्रितीलता वाद्देदार की सहयोगीनी, चटगांव विद्रोह के प्रमुख चेहरों में से एक। कालापानी की सजा मिली। 6 साल सेलूलर जेल में । मुक्ति के बाद कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से चुनाव में उम्मीदवार बनी। कम्युनिस्ट पार्टी के पहले महासचिव पूरणचंद जोशी की जीवनसंगीनी। ४. सुबोध रॉय: चटगांव शस्त्रागार की लूट और जलालाबाद की मुक्ति संग्राम के युवा सैनिक। सेलुलर जेल में 10 साल सश्रम कैद। मुक्ति के बाद 1940 से मृत्यु पर्यंत कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य। माकपा के पश्चिम बंगाल राज्य समिति सदस्य। ५. अंबिका चक्रवर्ती: चटगांव विद्रोह के लिए 16 साल सेलुलर जेल में कैद। 1947 मे मुक्ति के बाद कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य। 1952 मे भाकपा से पश्चिम बंगाल के विधायक। ५. अनंत सिंह: चटगांव विद्रोह के लिए सेलुलर जेल में 20 साल की कैद। 1946 मे मुक्ति के बाद वह कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। ६.शिव वर्मा: भगत सिंह के सहयोगियों में से एक। लाहौर षड्यंत्र मामले में भगत सिंह के साथ गिरफ्तारी। भगत को फांसी और शिव सिंह वर्मा आजीवन के लिए अंडमान सेलुलर जेल में निर्वासित्। मुक्ति के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव रहे। ७.हरेकृष्ण कोनार: ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के लिए 6 साल, अंडमान सेलुलर जेल में कैद। जेल में क्रांतिकारियों के साथ कम्युनिस्ट ग्रुप का गठन किया। बाद में, कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य नेतृत्व में से एक रहे। 1957,1962, 1967, 1969 व 1971 मे पश्चिम बंगाल के विधायक चुने गए। बंगाल मे भूमि सुधार आंदोलन के जनक। 1967 और 1969 मे भूमि व राजस्व मंत्री के कार्यकाल मे जमींदारो की लाखो एकड़ बेनामी जमीन अधिग्रहित की जो बाद मे 24 लाख भूमिहीन और गरीब किसानो मे बांटी। ८. लक्ष्मी सहगल: नेताजी आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजिमेंट की कप्तान। इम्फाल और कोहिमा फ्रंट में ब्रिटिश फौज से लडी। मृत्यु पर्यंत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य। माकपा से राज्यसभा सदस्य रही। ९. जयदेव कपूर: भगत सिंह के सहयोगी। आजीवन के लिए अंडमान सेलुलर जेल में निर्वासित्। मुक्ति के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल। १०. अजय घोष: लाहौर मामले में भगत सिंह के साथ। अंडमान में आजीवन कारावास की सजा। जेल मे ही 1931 मे वह कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं में से एक। पार्टी के महासचिव भी बने। ११.किशोरी लाल: भगत सिंह के सहयोगी। लाहौर षड्यंत्र मामले को एक साथ गिरफ्तार किया गया और आजीवन कारावास की सजा। जेल मे ही 1942 मे वह कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। 1946 मे मुक्ति के बाद पार्टी के निर्देश पर मजदूर संगठन का नेतृत्व। 1952 मे गोवा मुक्ति आंदोलन मे हिस्सेदारी। माकपा के पंजाब राज्य समिति सदस्य। १२.सतीश पाकडाशी: कोलकाता मेछुआ बाजार बम मामले में 10 साल की सजा के साथ सेलुलर जेल भेजे गए। मुक्ति के बाद कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक। १३. पूरणचंद जोशी: मेरठ षड्यंत्र मामले में आजीवन कारावास। कम्युनिस्ट पार्टी के पहले महासचिव। १४.अरुणा आसफ अली: 1942 मे भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत का तिरंगा फहराने वाली नायिका। 1946 की नौसेना विद्रोह के आयोजकों में से एक। कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में 66 युद्ध पोतों और 10,000 नौसेना बलों की ब्रिटिश विरोधी सेना की नायिका। भारत रत्न से सम्मानित। १५. बीटी रणदिवे: 1925 से 1942 तक अपने सर ब्रिटिश सरकार के गिरफ्तारी वारंट के साथ सत्रह वर्ष किसानों और श्रमिकों को संगठित किया। साम्राज्यवाद के खिलाफ नौसेना विद्रोह के समर्थन में, पूरे भारत ने पहली हड़ताल का आयोजन किया। कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख चेहरे में से एक। माकपा के पहले पोलिटब्यूरो के सदस्य। १६. ईएमएस नंबूदिरीपाद: 1934 से 1942 तक उन्होंने लगभग अपनी पूरी जवानी ब्रिटिश सरकार के गिरफ्तारी वारंट के साथ भूमिगत कार्य दिया। बाद में, केरल में भारत की पहली कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री बने। १७. हरकिशन सिंह सुरजीत: 14 साल की उम्र मे भगत सिंह के नौजवान भारत सभा मे शामिल। 16 साल की उम्र मे होशियारपुर कचहरी पर यूनियन जैक उतार तिरंगा फहराया। गिरफ्तार होकर अदालत लाए गए तो नाम पूछने पर अपना नाम लंदन तोड़ सिंह बताया। जेल की सजा हुई। 1936 मे कम्युनिस्ट पार्टी मे शामिल। दसवी की परीक्षा के फॉर्म मे अपनी जन्मतिथी भगत सिंह के शहादत की तिथी 23 मार्च लिखवाई। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश राज के खिलाफ भूमिगत रहकर आंदोलन तो 1940 मे गिरफ्तार। लाहौर लाल किले मे एकांत कारावास। अग्रणी कम्युनिस्ट नेता। माकपा के पहले पोलिटब्यूरो के सदस्य। १८.वीरेन्द्रनाथ दासगुप्ता: छात्र के रूप मे जर्मनी जाने के बाद भारतीय क्रांतिकारियों को हथियार भेजा तो हिटलर की टुकड़ी द्वारा गिरफतार कर कारावास की सजा दी गई। बाद में आजीवन कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य। १९.सौरीन्द्रनाथ ठाकुर: जब छात्र थे तब ही जर्मनी भाग गए। भारतीय स्वतंत्रता लीग के बर्लिन इंडिपेंडेंट लीग के सदस्य के रूप में, उन्होंने भारत के क्रांतिकारियों को हथियार देने का कार्यभार संभाला। हिटलर की नाजी सेना ने कब्जा कर लिया और कैद किया। कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। २०. शौकत उस्मानी: मेरठ षड्यंत्र मामले में मुख्य आरोपी। कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य। आजादी की लड़ाई के दौर मे प्रमुख षड्यंत्र मामलो- पेशावर षड्यंत्र मामला, लाहौर षड्यंत्र मामला, मेरठ षड्यंत्र मामला, कानपुर षड्यंत्र मामला और कोलकाता (मेछुआ बाजार) षड्यंत्र मामले मे लगभाग सभी अभियुक्त कम्युनिस्ट थे। इन मामलो के सरकारी आरोप पत्र बार बार इस बात की तसदीक करते है की ब्रिटिश हुकूमत को ये कम्युनिस्ट षड्यंत्रकारी उखाड़ फेंकना चाहते है। लाहौर मामले मे अभियुक्त शिव वर्मा, जयदेव कपूर, किशोरीलाल आजीवन कालापानी भेजे गए। रिहा होने के बाद ये सभी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को फांसी हुयी। अगर ये जीवित रहते तो निश्चित ही यह तीनों भी कम्युनिस्ट पार्टी मे ही शामिल होते। अंडमान सेलूलर जेल मे कैद की सजा पाए गणेश घोष, हरेकृष्ण कोनार, कल्पना दत्त, सुबोध रॉय, अंबिका चक्रवर्ती, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, अजय घोष, किशोरी लाल, सतीश पाकडाशी आदि ने सेल्युलर जेल मे कम्युनिस्ट ग्रुप बनाकर आगे का रास्ता तय किया। इनमे अधिकांश देश की आजादी के बाद ही छूटे। बीसियों और ऐसे है जो जेल मे ही कालकलवित हो गए,

कोई टिप्पणी नहीं:

Share |