शनिवार, 28 सितंबर 2024

पुरुष होकर पुरुष से सहकर्म करो-यही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है

बीवी को परित्यक्ता बनाओ! पुरुष जीवनसाथी को छोड़ दो! पहली बीवी को ब्याहता छोड़ दूसरी कर लो! सहेली के घर घुसकर उसे सौत बना लो! बिना ब्याह के सत्ता सुख भोगते बेटियों को उनके कमरों में घुसकर पुलिसिया लाठियों से पिटवाओ ! छिपकली जैसा चेहरा लेकर साध्वी कहलाती हिंदू स्त्रियों को दर्जन भर बच्चे पैदा करने की मशीन कहो ! किसी सभ्य हिंदू स्त्री को कुतिया कहो! पुरुष होकर पुरुष से सहकर्म करो ! हर हाल में मंत्री ,सांसद , पदाधिकारी बनते रहो! हे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद तुम्हारा इंद्रधनुष जल्द ही डूबेगा न ? - कनक तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद भविष्य में भी उत्साह बढाते रहिएगा.... ..

सुमन
लोकसंघर्ष