रविवार, 22 दिसंबर 2024

झूठा विश्व गुरू

भारत की दशा और दिशा ******************************* देश में झूठ या सच सिर्फ एक व्यक्ति ही बोल सकता है, और किसी को बोलने का अधिकार नहीं होगा। झूठ को प्रतिष्ठापित किया जायेगा और सच बोलने वाले को दंडित किया जाएगा। सच बोलना सबसे बड़ा अपराध होगा। प्रधानमंत्री अब राजा होगा, जिसका हर आदेश कानून होगा। उसकी मर्जी ही देश का कानून होगा। वर्तमान संविधान की जगह मनुस्मृति भारत का संविधान होगा। सारा देश राजा की जय-जयकार करेगा और स्तूतिगान करेगा। भ्रष्टाचार, आत्मप्रचार और आत्मप्रशंसा करने तथा स्वयं को अवतार घोषित करने का अधिकार सिर्फ राजा को होगा। अगर दूसरे ऐसा करते पाये जायेंगे, तो उनका सिर कलम कर दिया जायेगा। आठ हजार करोड़ रुपए के वायुयान पर सवार होकर विदेशों में भ्रमण सिर्फ वही कर सकता है। दुनिया की सबसे अच्छी और महंगी वस्तुओं का वह उपभोग करेगा। भारतीय इतिहास में उससे महान आजतक कोई भी व्यक्ति नहीं हुआ है। वह भारत का महानतम शासक है। चंद्रगुप्त, अशोक, बुद्ध, महावीर, अकबर, गांधी, नेहरू और अंबेडकर उनके पैरों के तलवे चाटेंगे। देश को लूटने और लूटाने, देश को कौड़ियों के मोल बेचने, देश को बर्बाद करने और कर्ज लेकर मलाई खाने का भी उसे अधिकार होगा। देश उसका है, और वह जो और जैसा चाहे करेगा। देश में कोई भी व्यक्ति उससे आंख से आंख मिलाकर बात नहीं करेगा। कोई उससे सवाल नहीं करेगा, कोई उसकी आलोचना नहीं करेगा, उसका विरोध नहीं करेगा, और न ही ऊंची आवाज में बात करेगा। वह गरीबों और बहुसंख्यक मेहनतकशों को गुलाम बनायेगा, और उन्हें सिर्फ किसी तरह जीने का हक देगा। उनके मुंह से कभी कोई शिकायत नहीं निकलेगी। पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों को देश की सारी संपत्ति, संपदा और प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही सरकारी उपक्रमों, कंपनियों, निगमों, एयरपोर्ट, एयरवेज, स्टेशन, रेलवे, बंदरगाह, हाईवे, एक्सप्रेस वे, और जो कुछ भी वे चाहें, मुफ्त में मिलेगा। संसद, न्यायपालिका, ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग और चुनाव आयोग सिर्फ उसकी बात मानेंगे। चुनाव आयोग को ईवीएम के माध्यम से चुनाव में हेराफेरी करने का अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट सरकार के कामों और निर्णयों में कोई दखल नहीं देगा। बदले में इनाम के रूप में उन्हें राज्यसभा का सदस्य, राज्यपाल या फिर किसी न्यायिक आयोग का चेयरमैन बनाया जायेगा। देश के सभी नागरिकों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे उनकी मन की बात सुनें। नहीं सुनने वाले को राष्ट्रद्रोही घोषित किया जायेगा। सिर्फ राजा, उसके संगठन और उसके दल को ही देश को लूटने और भ्रष्टाचार करने का अनन्य अधिकार होगा। वह झूठ बोलेगा और भ्रष्टाचार करेगा, पर उसके झूठ और भ्रष्टाचार पर कोई उंगली नहीं उठायेगा। वह देश का इतिहास नये सिरे से लिखवायेगा, जिसे लिखने वाले सभी मूर्ख और अज्ञानी होंगे। सुनहरे अतीत की काल्पनिक कहानियों और पात्रों को इतिहास की सच्चाई माना जायेगा। मृत मुगलों को सबक सिखाने के लिए देश के सारे मस्जिदों को खोदवाया जायेगा और मंदिरों का पता लगाया जाएगा। देश के पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों को देश लूटने, बैंकों से बेहिसाब कर्ज लेने और कर्ज लेकर विदेशों में भागने का अधिकार होगा। देश के पूंजीपति और कारपोरेट घराने बैंकों के कर्ज से अपनी तिजोरी भरेंगे, और फिर सरकार उस कर्ज को माफ कर देगी या सब्सिडी भी देगी। देश पर इतना विदेशी कर्ज का भार हो जायेगा कि एक दिन पूरा देश ही गिरवी रख दिया जायेगा, या दिवालिया घोषित कर दिया जायेगा। देश के मुट्ठीभर लोगों के पास देश की सारी संपत्ति होगी और बाकी लोगों के हाथों में भीख का कटोरा होगा और वे भीख मांगकर खायेंगे। भारत मूर्खों, अज्ञानियों, जाहिलों, अंधभक्तों, रोगियों, साधु-संतों, महंतों, पुजारियों, नागाओं, धर्माचार्यों, शंकराचार्यों, ज्योतिषियों, हस्तरेखा विशेषज्ञों, गुंडों, लंपटों, मवालियों, दलालों, ठेकेदारों, तस्करों और माफियाओं का देश होगा, और यही लोग एक दिन भारत को विश्वगुरु बनायेंगे। जयहिंद। -राम अयोध्या सिंह

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

समाजवाद की लाश लेकर घूम रहे लोग

समाजवाद की अंत्येष्टि ******************************* समाजवाद के साथ ही कट्टर राष्ट्रवाद का ढोल भी समाजवादियों ने खुब पीटा है। डा. राममनोहर लोहिया तो इसके चैंपियन ही थे। राष्ट्रवाद और पौराणिक कथाओं के धालमेल के साथ समाजवाद का जो तड़का उन्होंने भारतीय राजनीति में लगाया, उसमें राष्ट्रवाद और प्रतिक्रियावाद तो रह गये, पर समाजवाद सिरे से गायब हो गया। हां, समाजवाद की लाश लेकर घूमते रहे, और लोगों को जाति के नाम पर समझाते, लुभाते और फुसलाते रहे कि समाजवाद अभी जिंदा है। कभी गैर-कांग्रेसवाद, कभी संविद सरकार, कभी सामाजिक न्याय और कभी मंडल के नारे के साथ समाजवाद को जिंदा करने की कोशिश तो होती रही, पर लाश भी कहीं जिंदा होती है? अंततः समाजवाद अपनी सभी धाराओं और उपधाराओं सहित ब्रह्मा के कमंडल में समाहित हो गया। अब भला कोई भी नदी समुद्र में मिलने के बाद अपनी स्वतंत्र इयत्ता कहां बचा पाती है। एक बार सागर में मिलने के साथ ही उसका अस्तित्व हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। वैसे समाजवाद की मर्सिया पढ़ने वाले अभी भी तट पर इंतजार कर रहे हैं कि एक न एक दिन समाजवाद संघ की गोद से उतरकर भारत में अपना जलवा दिखलायेगा। कांग्रेस और कम्युनिस्टों के प्रति घोर संदेह और घृणा के कारण समाजवादी चाहकर भी संघ और भाजपा की गोद से बाहर नहीं निकल सकते। पर, अभी भी वे समाजवाद के विभिन्न झंडे तले समाजवाद की गुहार लगा रहे हैं, मानो पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान कर रहे हों। मायावती, नवीन पटनायक, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार, रामबिलास पासवान और उनके पारिवारिक कुनबे, जीतनराम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा के साथ ही अनगिनत समाजवादी जुठे पत्तल चाटने के लिए संघ और भाजपा की ओर टकटकी लगाए देखते रहे हैं, और आज भी देख रहे हैं। रोटी के टुकड़े के लिए ये आपस में तो लड़ सकते हैं, पर आपस में मिलकर संघ और भाजपा से लड़ नहीं सकते। जातीय और क्षेत्रीय अस्मिता के आधार पर आखिर कब-तक ये लोग समाजवाद की दुहाई देते रहेंगे। सचमुच ही भारतीय राजनीति को इस दुर्दशा और पतनशीलता के स्तर तक लाने में समाजवादियों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज भी समाजवादियों का बड़ा समूह किसी न किसी रूप में भाजपा और मोदी सरकार से जुड़ा हुआ है और उसी में अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित देख रहा है। भारत को दयनीयता की इस स्थिति तक पहुंचने की अपनी जिम्मेदारी से समाजवादी चाहकर भी बच नहीं सकते। ऐसे ही अवसरवादी समाजवादियों के सहारे जर्मनी में हिटलर आया था, और भारत में भी मोदी जैसे फासीवादी को लाने का श्रेय भी इन्हीं समाजवादियों को ही है। इनके पास समाजवाद का सिर्फ चोला है, पर वैचारिक स्तर पर ये किसी भी रूप में फासीवाद से अलग नहीं है। समाजवादी दल मूलतः पूंजीपतियों का वैसा दलाल है, जो दुनिया में मेहनतकश मजदूरों की एकता को तोड़ने के लिए यूरोप में पूंजीपतियों ने स्थापित किया था। आज भी इनकी वही भूमिका है। -राम अयोध्या सिंह

भागवत की सारंगी - मौत की सौदागर हैं

भागवत की सारंगी - मौत की सौदागर हैं गुरु गोरखनाथ की शिक्षाओं के प्रचार प्रसार में सारंगी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है लेकिन हिंदुत्व उड़ीसा ब्रांण्ड सारंगी मौत का सौदागर है या सारंगी जब बजरंग का नेता था तब उड़ीसा के मयूरभंज जनपद की चर्च में आग लगाकर ग्राहम स्टेन्स और उनके नाबालिक बच्चों को जिंदा जला दिया था और उस महत्वपूर्ण योगदान के लिए उसे हिंदुत्व के ठेकेदारों ने सांसद बना दिया था आज जब सर्व समाज के मसीहा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का उपहास करने के मामले में जनता का ध्यान भटकाने के लिए फर्जी तरीके से अस्पताल में भर्ती होकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है वहीं कर्नाटक विधानसभा में हर सीट पर अंबेडकर की फोटो लगा दी गई लगा दी गई तो मनुस्मृति के समर्थक हिंदुत्व के पैरोकार विधानसभा छोड़कर भाग गए कहां गुरु गोरखनाथ की सारंगी दुनिया में शांति और एकता पैदा कर रही थी लेकिन उनके चेलों ने और हिंदुत्व के ठेकेदारों ने उसे सारंगी को दलितों पिछड़ों की आवाज और सर्व समाज के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के खिलाफ सारंगी बजा रहे हैं। अदम ने बहुत पहले ही लिख था कि अब सबके अर्थ बदल दिए गए हैं - अदम के शब्दों में देखिए - गंगाजल अब बुर्जुआ तहज़ीब की पहचान है। तिश्नगी को वोदका के आचमन तक ले चलो।।

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

अपराधिक किस्म के है प्रताप सारंगी

. प्रताप सारगी कौन हैं सांसद प्रताप चंद्र सारंगी? प्रताप सारंगी ओडिशा के बालासोर से बीजेपी सांसद है प्रताप सारंगी ने घटना के बारे में दावा किया, ''मैं सीढ़ियों पर था. उस समय राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का मारा और वह मुझ पर गिर पड़े. इससे मुझे चोट लग गई.'' प्रताप सारंगी एक आपराधिक किस्म के नेता है साल 1999 में ओडिशा के क्योंझर में ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों की हत्या हुई थी. इस हत्या का आरोप बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लगा था. तब प्रताप सारंगी बजरंग दल की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे. मामले में सारंगी गवाह बने थे और उन्होंने कहा था कि मुख्य अभियुक्त दारा सिंह का बजरंग दल से कोई संबंध नहीं है. लंबे समय तक ट्रायल के बाद 2003 में दारा सिंह और 12 अन्य लोगों को दोषी ठहाराया गया था. साल 2002 में ओडिशा पुलिस ने सारंगी को दंगा, आगजनी, हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. उस समय बजरंग दल सहित हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने ओडिशा विधानसभा पर हमला किया था.

बुल्डोजर सरकार के अधिकारी ने युवक के शव को पैंतीस किलोमीटर घसीटा

बुल्डोजर सरकार के अधिकारी ने युवक के शव को पैंतीस किलोमीटर घसीटा उत्तर प्रदेश के बहराइच में भयानक सड़क हादसा सामने आया है. ननपर्टा तसहीलदार की गाड़ी ने पहले एक बाइक सवार युवक को टक्कर मार दी. उसके बाद युवक को 35 किलोमीटर तक घसीटते हुए नानपारा तहसील ले गए. नानपार तहसीलदार की गाड़ी से कुचलकर युवक की मौत बहराइच में नानपारा तहसीलदार की गाड़ी ने एक युवक को कुचल दिया एक्सीडेंट के बाद तहसीलदार की गाड़ी ने युवक के शव को 35 किमी तक घसीटा नायब तहसीलदार शैलेश अवस्थी को निलंबित करने की संस्तुति और एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. गुरुवार रात बहराइच में पीसीएस परीक्षा केंद्रों की जांच कर वापस लौट रहे नायब तहसीलदार की गाड़ी से बाइक सवार की टक्कर हुई थी. टक्कर के बाद युवक का शव 35 किलोमीटर तक घिसटता रहा. जानकारी में मुताबिक बहराइच नानपारा लौटते वक्त गुरुवार देर रात रामगांव थाना क्षेत्र में तहसीलदार की गाड़ी से एक्सीडेंट हो गया. एक्सीडेंट के बाद बाइक सवार तहसीलदार की गाड़ी में फंसकर गया. आरोप है कि जिस वक्त हादसा हुआ नायब तहसीलदार शैलेश अवस्थी गाड़ी में बैठे थे. उन्होंने गाड़ी रोकने की वजाय गाड़ी तेज स्पीड से दौड़ा दी गई. जब गाड़ी नानपारा तहसील पहुंची तो शव के टुकड़े और गाड़ी से खून गिरने पर मामले का खुलासा हुआ. शव को पहचानना मुश्किल था मृतक के परिवार वालों की शिकायत के आधार पर गाड़ी के ड्राइवर पर केस दर्ज हुआ. मामले का संज्ञान डीएम मोनिका रानी ने लेते हुए नायब तहसीलदार शैलेश अवस्थी को निलंबित कर दिया. उधर मृतक के परिवार में कोहराम मचा हुआ है. जानकारी के मुताबिक पयागपुर थाना क्षेत्र के कृष्णा नगर कॉलोनी निवासी नरेंद्र कुमार हालदार (35) अपनी भांजी प्रियंका को लखीमपुर खीरी के गोला स्थित घर से छोड़कर लौट रहे थे. रामगांव थाना क्षेत्र में तहसीलदार की गाड़ी ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी. जिसके बाद नरेंद्र कुमार गाड़ी में फंस गए. ड्राइवर ने गाड़ी को रोकने की बजाय तेजी से भगा दिया. इससे नरेंद्र के शरीर के चीथड़े उड़ गए. शव को पहचानना मुश्किल था. मृतक की पत्नी शोभारानी ने बताया कि उसके दो बेटे और एक बेटी है. सभी अनाथ हो गए.

घोर कलयुग है - 377का मुकदमा लिखवा दिया होता

घोर कलयुग है - 377का मुकदमा लिखवा दिया होता अभी तक फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र छोटे छोटे सरकारी अस्पताल में बनते लेकिन सरकार एनकाउंटर के मामलों में फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनवाती रहती थी लेकिन अब उच्च शिखर पर बैठे हुए लोग फर्जी चोटें बनवा रहे हैं। गांवों में फर्जी बलात्कार के केस लिखवाने की प्रथा है। अब सांसद जैसे महत्वपूर्ण व्यक्ति जो कैमरे की नजर में है फर्जी भर्ती होकर फर्जी मेडिकल बनवा रहे हैं। यह कहिए कि चड्डी गैंग ने अपनी सुविधा के लिए धारा 377 समाप्त करवा ली है अन्यथा 377 का मेडिकल करवा कर उसका मुकदमा लिखवा दिया होता।

बुल्डोजर बाबा ने जिस संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री है उसी संविधान का अपमान कर रहे हैं

बुल्डोजर बाबा ने जिस संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री है उसी संविधान का अपमान कर रहे हैं याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीएम योगी ने जस्टिस शेखर यादव के बयान का समर्थन किया जो मुख्यमंत्री पद की शपथ का उल्लंघन है. उन्होंने भारत के संविधान के प्रति अपनी आस्था को तोड़ा है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुर्सी पर खतरा? हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, की ये मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. ये याचिका पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की यूपी शाखा की ओर से दाखिल की गई है जिसमें सीएम योगी द्वारा हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के समर्थन में की गई टिप्पणी का विरोध किया गया है और उन्हें पद से हटाने की मांग की है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की यूपी शाखा की ओर से दाखिल की याचिका में कहा गया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा की गई टिप्पणी का खुलकर समर्थन किया था, जो धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के विरुद्ध है और मुख्यमंत्री के पद की शपथ का उल्लंघन है क्योंकि उन्होंने भारत के संविधान के प्रति अपनी आस्था और निष्ठा को तोड़ दिया है. इसलिए सीएम योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई है. सीएम योगी पर लगाया ये आरोप याचिका में आरोप लगाया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने आठ दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल की ओर से हाईकोर्ट बार के लाइब्रेरी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ टिप्पणी की थी. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर ध्यान दिया है और इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है. यूपी के मुख्यमंत्री ने जस्टिस शेखर कुमार यादव की टिप्पणी का समर्थन किया जो मुख्यमंत्री के पद की शपथ का उल्लंघन है. क्योंकि उन्होंने भारत के संविधान के प्रति अपनी आस्था और निष्ठा को तोड़ दिया है इसलिए उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए. बता दें कि जस्टिस शेखर ने समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए कहा था कि ये हिन्दुस्तान है और हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा. सीएम योगी ने जस्टिस शेखर के बयान का समर्थन किया और कहा कि भारत ऐसा देश है जहां बहुसंख्यक समाज सिर्फ समान नागरिक कानून मांग रहा है जिसमें कोई बुरी बात नहीं हैं. जस्टिस शेखर ने सिर्फ यूसीसी का समर्थन ही तो किया लेकिन विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग का नोटिस दे दिया.

गुरुवार, 19 दिसंबर 2024

मोदी सांसदों को डंडे से लैस कराकर विपक्षी सांसदों के साथ धक्का-मुक्की करवाते हैं

मोदी सांसदों को डंडे से लैस कराकर विपक्षी सांसदों के साथ धक्का-मुक्की करवाते हैं. भाजपा सांसद डंडे लगे प्लेकार्ड संसद में कैसे लाए? संसद परिसर में विपक्षी सांसदों और भाजपा सांसदों के बीच हुई झड़प के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी सांसदों ने उन्हें धक्का दिया, जबकि भाजपा ने राहुल गांधी को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है. खरगे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच की मांग की है. संसद परिसर में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच हुई धक्का-मुक्की के बाद आरोपों का दौर चल रहा है. बीजेपी घटना के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहरा रही है. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीएम मोदी बीजेपी सांसदों को प्लेकार्ड वाले डंडे से लैस कराकर इंडिया गठबंधन के सांसदों को रोकने के लिए धक्का-मुक्की करवाते हैं. खरगे ने एक्स पर लिखा, ‘डॉ आंबेडकर का घोर अपमान करने के बाद पीएम मोदी संसद की गरिमा का तिरस्कार भी करवाते हैं. बीजेपी सांसद को मोटे डंडे वाले प्लेकॉर्ड्स से लैस कर इंडिया गठबंधन के सांसदों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए धक्का-मुक्की करवाते हैं. जिससे डॉ आंबेडकर, संसद, संविधान और लोकतंत्र के प्रति उनकी दुर्भावना एक्सपोज ना हो. पर हम डटे रहेंगे, आंबेडकर पर निंदनीय टिप्पणी को नहीं सहेंगे. पूरे देश के सभी लोग बीजेपी-RSS का जमकर विरोध करेंगे.’ खरगे ने और क्या आरोप लगाया? मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर दावा किया कि संसद भवन के मकर द्वार के निकट बीजेपी के सांसदों ने उन्हें धक्का दिया जिसके कारण उनका संतुलन बिगड़ गया और वह जमीन पर बैठने को मजबूर हो गए. उन्होंने यह आग्रह भी किया कि मामले की जांच कराई जाए क्योंकि यह न केवल उन पर, बल्कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला था. खरगे ने बिरला को लिखे पत्र में कहा, ‘आज सुबह इंडिया गठबंधन के घटक दलों के सांसदों ने प्रेरणा स्थल स्थित डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा से मकर द्वार तक मार्च निकाला. यह मार्च 17 दिसंबर, 2024 को राज्यसभा में अपने भाषण में केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा आंबेडकर पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में निकाला गया था. जब मैं विपक्षी सांसदों के साथ मकर द्वार पहुंचा तो बीजेपी सांसदों ने मेरे साथ धक्का-मुक्की की. मैं अपना संतुलन खो बैठा और मकर द्वार के सामने जमीन पर बैठने को मजबूर हो गया. उन्होंने कहा, इससे मेरे घुटनों पर चोट आई, जिनकी पहले ही सर्जरी हो चुकी है. उन्होंने कहा, मैं आपसे इस घटना की जांच का आदेश देने का आग्रह करता हूं जो न केवल मुझ पर, बल्कि राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला है.

हिन्दी के महाविद्वान - सिर्फ अपने मुख के विद्वान है

हिन्दी के महाविद्वान - सिर्फ अपने मुख के विद्वान है आचार्य रामचंद्र शुक्ल का निबंध बताकर 70 साल से पढ़ाया जा रहा अनुवाद यूपी बोर्ड के आठवीं और 10वीं कक्षा में हिंदी की पुस्तक में मौलिक निबंध की तरह पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम हिंदी में अनुवादित हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल की मूल रचना की तरह पिछले 70 साल से छात्रों को यह पुस्तक पढ़ाई जा रही है। इसका खुलासा नागरी प्रचारिणी सभा के दस्तावेजों की जांच के बाद हुआ है। निबंध की भाषा सरस होने के कारण यह किसी को अंदाजा नहीं हुआ कि यह किसी अंग्रेजी कृति को आधार बनाकर रचा गया है। पाठ्यक्रम निर्धारण समिति ने उस समय इसका ध्यान नहीं दिया और वह गलती आज भी चली आ रही है। आठवीं और 10वीं कक्षा के पुस्तक में शामिल है आचार्य रामचंद्र शुक्ल का निबंध यूपी बोर्ड में कक्षा आठ की हिंदी पाठ्य पुस्तक प्रज्ञा में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का निबंध आत्मनिर्भरता पिछले 70 साल से पाठ्यक्रम में शामिल है। वह आचार्य शुक्ल का मौलिक निबंध नहीं है, अनुवादित रचना है। ऐसे ही हाईस्कूल की हिंदी-पुस्तक में मित्रता शीर्षक नाम से निबंध है। वह निबंध भी भारतीय दृष्टि से अनूदित है, लेकिन यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में पिछले 70 बरस से वह मूल निबंध की तरह शामिल है। पाठ्यपुस्तक में लिखी है ये बात पाठ्यपुस्तक में लिखा है कि यह निबंध आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंधों के संग्रह चिंतामणि से लिया गया है, लेकिन वह चिंतामणि के चारों खंडों में से किसी में भी नहीं है। यह दोनों निबंध अंग्रेजी पुस्तक अंग्रेजी लेखक थेडोर थॉर्टन मंगेर की रचना प्लेन लिविंग एंड हाई थिंकिंग : ए न्यू ईयर होमली का भारतीय दृष्टि से अनुवादित पुस्तक आदर्श जीवन से लिए गए हैं। इसी में दोनों मजमून हैं जिनके अनुवादों को मित्रता और आत्मनिर्भरता शीर्षक से कक्षा 10 और कक्षा 8 की पाठ्य पुस्तकों में मौलिक निबंधों की तर्ज पर पढ़ाया जाता है। नागरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल ने बताया कि हम सब लोगों ने उन निबंधों को आचार्य शुक्ल के मौलिक निबंध मानकर पढ़ा क्योंकि पाठ्य-पुस्तक हमें यह नहीं बताती कि ये किस विदेशी ग्रंथ को आधार बनाकर लिखे गए हैं। आजादी के बाद इसे यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया और तब से अनवरत हर साल बोर्ड-परीक्षा में मित्रता वाले पाठ से जरूर सवाल पूछे जाते हैं। पूरे संसार की निगाह में उनका मौलिक निबंध है और पूरा संसार उसे मित्रता के ही नाम से पढ़ता-जानता आया है लेकिन दस्तावेजों की जांच के बाद सामने आया है कि वह दोनों निबंध निरे अनुवाद नहीं थे। श्रेष्ठ रचना और अच्छे से अच्छे विचारों का हिंदी भाषा में रूपांतरण थे। 1897 में पहली बार प्रकाशित हुई थी अंग्रेजी पुस्तक अंग्रेजी की प्रसिद्ध पुस्तक के शीर्षक प्लेन लिविंग एंड हाई थिंकिंग : ए न्यू ईयर होमली ने हिंदी में महान मुहावरे सादा जीवन उच्च विचार को जन्म दिया। यह किताब सन 1897 में पहली बार प्रकाशित हुई थी और अंग्रेजी साहित्य में इसका ओहदा बहुत ऊंचा था। संसार की अनेक भाषाओं में इसके अनुवाद भी प्रकाशित हुए। यह किताब तमाम ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। साल 1914 में यह पुस्तक हिंदी में भी पहली बार प्रकाशित हुई और इसका नाम आदर्श जीवन था। हिंदी पुस्तक अंग्रेजी मजमून का शब्दश: अनुवाद नहीं थी बल्कि अंग्रेजी की किताब के आधार पर लिखी गई एक लगभग स्वतंत्र पुस्तक थी। इसका प्रकाशन नागरीप्रचारिणी सभा और लेखक-अनुवादक आचार्य रामचंद्र शुक्ल थे। विदेशी पुस्तक को आधार बनाकर लिखी गईं कई पुस्तकें इस पुस्तक के माध्यम से नागरी प्रचारिणी सभा ने मनोरंजन पुस्तकमाला नामक एक बेहद दिलचस्प और शिक्षाप्रद शृंखला की शुरुआत की थी। इस शृंखला में शामिल अनेक पुस्तकें पाठ्यक्रमों में रखी गईं। आगे चलकर मनोरंजन पुस्तकमाला में ऐसी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुईं जो किसी मशहूर विदेशी पुस्तक को आधार बनाकर लिखी गई थीं और उनका हुबहू अनुवाद नहीं थीं। ये सभी अनुवाद निरे अनुवाद नहीं थे। श्रेष्ठ रचना और अच्छे से अच्छे विचारों का अपनी भाषा में रूपांतरण थे। अंग्रेजी में मूल पुस्तकों का सम्मान यथावत है वे उपलब्ध हैं और लोग उन्हें पढ़ रहे हैं, लेकिन हिंदी में उन विदेशी ग्रंथों की महान पुनर्रचनाएं हाशिये पर चली गई हैं।

हरिश्चंद्र के अवतार मोदी का भाषण 'बांग्लादेश के लिए मैं जेल गया था

हरिश्चंद्र के अवतार मोदी का भाषण 'बांग्लादेश के लिए मैं जेल गया था ■ पीटीआई, ढाका: बांग्लादेश पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस देश की आजादी का संघर्ष, उनके जीवन के पहले आंदोलनों में से एक था। बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, 'बांग्लादेश के मेरे भाइयों और बहनों को, यहां की नौजवान पीढ़ी को मैं एक और बात बहुत गर्व से याद दिलाना चाहता हूं। बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था।' उन्होंने कहा, 'मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था और इसके समर्थन में अपनी गिरफ्तारी भी दी थी।' मोदी ने कहा कि बांग्लादेश के लिए मैंने जेल की यात्रा भी की है। इस बीच, मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के गठन में इंदिरा गांधी के योगदान का सब सम्मान करते हैं बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती कार्यक्रम पर बांग्लादेश पहुंचे PM मोदी करते हैं। इस देश के गठन में उनका प्रयास न भूलने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मैं भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तियुद्ध में बांग्लादेश के भाइयों-बहनों के साथ खड़े हुए थे।' उन्होंने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के बारे में कहा कि उनके नेतृत्व ने यह तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को गुलाम नहीं रख सकती।

अतुल सुभाष के मामले में पुलिस जज रीता कौशिक की भूमिका की जांच करेगी

एक जज को सबसे ज्यादा शक्तिशाली बनाती है उसका विवेक लेकिन वर्तमान में देखने में मिल रहा है कि जज विवेक हीन हो रहे हैं जैसे जैसे हिन्दुवत्व का प्रभाव बढ रहा है विवेकहीनता बढती जा रही है। जज रीता कौशिक ने अतुल सुभाष के साथ जो व्यवहार किया है उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पडेगा। सुसाइड नोट के अनुसार वह अपराधी की कोटि में आ गई है 9 दिसंबर को बेंगलुरु के घर में अतुल सुभाष का शव मिला था। वह 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट और करीब डेढ़ घंटे लंबा वीडियो भी था, जिसमें उन्होंने पत्नी निकिता, उनकी मां निशा, भाई अनुराग और अंकल सुशील सिंघानिया का जिक्र किया था। अतुल सुभाष पर हंसने वालीं जज रीता कौशिक भी घिरेंगी! बड़े ऐक्शन की तैयारी में पुलिस जज रीता पर लगे गंभीर आरोप अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में बेंगलुरु पुलिस सुसाइड नोट में किए गए आरोपों की गहराई से जांच कर रही है। इसमें जज रीता कौशिक पर रिश्वत लेने और आत्महत्या के मामले में अप्रत्याशित व्यवहार करने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ IPS अधिकारी ने पुष्टि की है कि सुसाइड नोट में शामिल सभी आरोपों की जांच की जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कानूनी सलाह के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। अतुल ने सुसाइड नोट में 21 मार्च 2024 की एक घटना का जिक्र किया है, जब वह और उनकी पत्नी निकिता जज रीता कौशिक के चेंबर में थे। सुसाइड नोट में अतुल ने लिखा कि निकिता ने जज से कहा, "तुम सुसाइड क्यों नहीं कर लेते," और इस पर जज कौशिक हंसने लगीं। इसके बाद, अतुल ने जज से कहा था, "मैम, अगर आप एनसीआरबी का डेटा देखें तो लाखों लोग झूठे केस की वजह से सुसाइड कर रहे हैं।" कानूनी कार्रवाई और परिवार की चिंताएं निकिता और उनके परिवार के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बाद अब यह मामला जांच के केंद्र में है। बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है,
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