कहेगा कैसे भला कोई वे अमाँ हमको।
की जब नवाज़ रहा है ये आसमां हमको ।
कोई ठिकाना नही है जुनूपरस्तों का
फ़िर आप ढूंढेंगे आख़िर कहाँ कहाँ हमको ।
गुलो का खार जमीं को फलक पड़े कहना
इलाही कर दे हमको इस आलम में बेजबाँ हमको ।
जमीन क्या है मुन्नवर है जिनसे अर्शेवारी
खुशनसीब मिला उनका आसमां हमको।
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '
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