हमारे देश की आबादी एक अरब से ऊपर है जिसमे 85 करोड लोगो का खर्च 6 रुपये से लेकर 20 रूपए प्रतिदिन है। इसी में 26 प्रतिशत यानि लगभग 28 या 30 करोड लोगो को दो जून की रोटी नसीब नही है। करोडों लोग प्रतिवर्ष बिना अनाज के दम तोड़ देते है और करोडों बच्चे कुपोषण का शिकार है। 90 प्रतिशत लोग अपने बच्चो का दाखिला डाक्टरी इंजीनियरिंग में नही करा पाते । मैनेजमेंट संस्थानों द्वारा अवैध तरीके से फीस बढायी गई है। इनमे अपने बच्चे पढाने वाले कितने लोग है। सस्ती शिक्षा इस चुनाव का मुद्दा नही है।
खेती - बाडी के हालत ख़राब है। राजग सरकार से संप्रंग सरकार तक 8 रूपए प्रति लीटर बिकने वाला ङीज़ल ३६ रूपए तक बिका । अब चार या पाँच रूपए कम हुआ है, जबकि अंतर्राष्टीय कीमत के हिसाब से यह 18 रूपए प्रति लीटर होना चाहिए । खाद की कीमतों में अबाध वृद्धि हुई परन्तु अनाज की कीमते अब बहुत कम है। उस घाटे की खेती के फलस्वरूप किसानो ने पूरे देश में आत्महत्याएं की वामपंथियों के दबाव के चलते कुछ कर्जा माफ़ किया गया परन्तु किसानो के हालत में कोई सुधर नही हुआ । यह भी सवाल चुनाव सेगायब है।
आज उत्तर प्रदेश के बनाराश इलाके में लाखो कारीगर बेरोजगार हो गए है क्योंकि बनारस के साड़ी बनने वाले दस्तकारों के पास काम नही है। बनारसी साड़ी उद्योग संकट में है । सूखे के कारण जो पैकेज बुंदेलखंड इलाके को दिया गया था वह बंदरबांट का शिकार हो गया और बड़े विज्ञापन अखबारों में देकर बेशर्मी से फोटो खिंचवाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है । राष्ट्रीय स्तर पर के हालात सुधारने के लिए सस्ती , सिंचाई ,खाद,बीज की कोई कारगर नीति बनाने की आवशकता है ,परन्तु यह मुद्दा भी चुनाव का मुद्दा नही।
आज सपा , बसपा ,कांग्रेस या भाजपा की सरकारें और इनके पुलिस प्रशासनिक अफसर ,माफिया,नेताओं, नेताओ के गठजोड़ ने आम नागरिक का जीना दूभर कर रखा है। भ्रष्टाचार का बोलबाला
है ,और आम आदमी को नाच नचा रहे है । न मालूम कितने लोगो की जमीन इस गठजोड़ की भेट चढ़ चुकी है । सड़के मानक के हिसाब से नही बनती है। न नहरों की सफाई होती है,जनता की गाढी कमी की टैक्स की रकम यह गठजोड़ खाए जा रहा है। परन्तु सब जानते हुए भी यह लोग अखबारों में झूंठा प्रचार करके जनता को गुमराह कर रहे है।
डॉक्टर राम गोपाल वर्मा
क्रमश :
लोकसंघर्ष पत्रिका के चुनाव विशेषांक में प्रकाशित ॥
1 टिप्पणी:
the facts are astonishing and it really pinches the innermost nerves of brain, when the true picture is portrayed before us.
Good work
kanishka kashyap
एक टिप्पणी भेजें