खूंटा पूँजीवाद के ,बंधी स्वराजी नाव ।
कितनेव केवट बदलिगे ,नाव ठांव की ठांव ॥
नाव ठांव की ठांव ,तकै जनता मन मारे।
खेवन हार हारिगे हिम्मत,नाव न लागि किनारे ।
कह बृज़ेश बर्राय ,सकल दल साहस टूटा-
शान्ति अस्त्र चलि रहे, दनादन तनिक न हाला खूंटा ॥
(शान्ति अस्त्र का तात्पर्य धरना , प्रदर्शन , भूख हड़ताल )
बृज़ेश भट्ट 'बृज़ेश '
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