प्रजातंत्र पत्ता अ़स हालै,सत्ता बंटाधार;
देश का कोई न जिम्मेदार।
भूखन मरैं करैं हड़तालै , कोई न सुनै पुकार;
डंडा -लाठी -गोली, बरसे परै करारी मार;
अत्याचार अनाचारों का,होइगा गरम बाजार;
रोज बने कानून कायदा,नेतन कै भरमार ;
चोरी,डाका,कतल,राहजनी ,कोई न रोकनहार ;
दारु- पैसा बांटिक जीते,गुण्डे चला रहे सरकार;
चोर -ड़कैतन की रक्षा मा खड़े हैं ,थानेदार;
वकील-डॉक्टर-शिक्षक ,बालक जेल मा करें विहार;
देश का कोई न जिम्मेदार।
बृजेश भट्ट बृजेश
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