मरे बादि करनी जगी ,जैहो बैठि विमान ।
सिंघासन आसन मिली,द्याहैं अपसरा पार।
द्याहैं अपसरा पान ,थार सोने का लइहैं
भोजन विविध प्रकार जेवैइहैं चँवर ङोलइहैं।
कह बृज़ेश वर्राय गरीबवउ मरौ पेटू पकरे
पूंजीवादी धरमजाल मा,सिगरे सुख पैइहौ मरे ।
-बृजेश भट्ट बृजेश
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