रविवार, 3 मई 2009

आजाद भारत में ब्राहमणवाद का कफ़स

अधिकांशत : ऐसे गावों में ब्राहमण ही शिक्षा के लिए नियुक्त होते है और वे हमेशा अपने पूजा-पाठ का धंधा चलाते है । पढ़ने में कोई गंभीर रुचि नही लेते। ब्राहमण समाज की यह विशेषता है की ज्ञान राशि से वह अपने को भी दूर रखता है और बाकि समाज को भी इस देश में बौद्धों को छोड़कर प्राचीनकाल में भी ब्राहमणों ने एक भी गंभीर विचार की किताब कभी नही लिखी जो सबसे बड़े विचारक आदि शंकराचार्य थे उन्होंने भी मौलिक किताब कोई नही लिखी । आधुनिक काल में भी ज्ञान विज्ञान का कोई भी काम ब्राहमण ने इस देश कभी नही किया आज भी नही
समूचे देश पर हिन्दी थोप दी गई जिसे ब्राहमणों ने उर्दू की नक़ल पर गढ़ लिया था ख़ुद हिन्दी का यह चरित्र है कि आज भी उसमें ज्ञान -विज्ञान का कोई काम नही हो रहा है आगे भी होना नही है हिन्दी का अर्थ ही अन्धकार और जहालत है
पेरियार ने हिन्दी का विरोध इसलिए किया था की हिन्दी ब्राहमणों की भाषा है और हिन्दी सिर्फ़ ब्राहमणों के लिए ही नही। यह दुर्भाग्य है कि सारे देश में हिन्दी फैलाने की कोशिश की जाती रही और इस तरह दूसरी भाषाओ की हत्या की जाती रही । हिन्दी का वर्चश्व ही इस बात का जिम्मेदार है कि दूसरी भाषा में भी ज्ञान -विज्ञान का काम नही होता ।
अंग्रेजी माध्यम से हुआ इस देश में आइंस्टीन या हाकिंग जैसे महान वैज्ञानिको के बराबर इस देश में अगर कोई काम किया गया तो वह अंग्रेजी माध्यम से गैर ब्राहमणों ने किया । इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए की दुनिया में अभी हाल ही में लार्ज हाइड्रोजन कोलैङर नाम की जो एक विराट मशीन तैयार हुई उस मशीन के जरिये जिस परमाणु का परिक्षण किया जाना है उसका लक्ष्य बोजोन नाम का परमाणु हथियार है । पिछली सदी की शुरुआत में सत्येन बोस ने जो खोज की थी उसके आधार पर ही बोजोन शब्द (बोस से बोजोन ) विदेशी वैज्ञानिको ने दिया था और उस वक्त आइंस्टीन का भी कहना था कि यह काम अगर पहले सामने आ जाता तो नोबल पुरस्कार बोस को उनसे पहले मिल जाता।
इलहाबाद में शिक्षण देने वाले अशोक सिन्हा ने सुपर स्ट्रिंग सिद्धांत पर काम किया है दुनिया विचार कर रही है और माना यह जा रहा है की न्यूटन से लेकर आइन्स्टीन तक सारे के सारे अनुसंधान सिरे से ही इस सिद्धांत पर खारिज हो जायेंगे । सुपर स्ट्रिंग का यह काम अब पूरी दुनिया में चल रहा है और यह काम डॉक्टर सिन्हा ने हिन्दी नही अंग्रेजी के माध्यम से किया । ब्राहमणों की भाषा हिन्दी उनके इस काम को समझ पाने योग्य भी नही है । आज समूचा हिन्दी विचार संस्कार और रचना जगत सिर्फ़ ब्राहमण पंथ की वजह से दुनिया में सबसे ख़राब स्तिथि में है । अब तो भारत के कला जगत के कुछ कलाकार दुनिया में जाने जाने लगे है लेकिन वह सिर्फ़ इसलिए की इन चित्रकारों ने अपने को ब्राहमण के पुरातन पंथ से मुक्त करके दुनिया के स्तर पर काम शुरू किया और दुनिया के कला इतिहास से जुड़े । इस देश में अगर आज भी लोकतंत्र मजबूत नही हुआ और वरुण गाँधी जैसा ब्राहमण परिवार का लड़का निहायत बेहूदी बातें कह सकता है तो वह इस बात का प्रमाण है की ब्राहमण ने मानवीय विवेक से देश को पूरी तरह काट रखा है ।
इस देश में उसे एक समूची राजनीतिक पार्टी भाजपा का खुला समर्थन है इस देश में आज भी हिटलर के बाद सबसे बड़ा नरसंहार करने वाले लोग सत्ता में हैचाहे वे सिख संहार करने वाले हो चाहे मुसलमानों का संहार करने वाले हो
मोदी, तोगडिया आदित्यनाथ जैसे लोग राजनीति में है सत्ता है उनके हाथो में। ये सिर्फ़ इसी वजह से की समूचे देश के इतिहास पर ब्राहमण हावी है। हिंसा, अन्याय ,और ग्रहण ,गैरबराबरी जैसे घृणित विचार पूरी दुनिया में खास हो चुके है उनका खुला समर्थन कोई नही करता जबकि हिंदू समाज इसी धारा पर चलता है। मनुष्य के सत्ता या आर्थिक बराबरी सबसे शिक्षित दर समाज से अगर कोई खारिज करता है तो वह ब्राहमण हिंदू समाज है । ब्राहमण पंथ को खुश करने के लिए ख़ुद सोनिया गाँधी भी मन्दिर में पूजा - पाठ और हवन मीडिया के सामने करती है ताकि पता लग जाए की वो हिंदुत्व का सबसे ज्यादा सम्मान करती है और यही वजह है की देश की राजनीति सोनिया गाँधी जैसी महिला भी अल्पसंख्यको को न्याय नही दिला सकती। यद्यपि भयावह नरसंहार के दिनों में सत्ता में नही थी ।
देश में लगभग 350 चर्च ध्वस्त किए गए या जलाये गए उसके विरूद्व उन्होंने कोई शब्द नही कहा क्योंकि वो भी हिंदुत्व की भली बनी रहना चाहती है इस देश से जब तक ब्राहमणपंथ को और उसके द्वारा रचित हिंदुत्व को सत्ताचुत नही किया जाएगा और देश को जबतक हिंदुत्व और ब्रहमणवाद से मुक्त नही कराया जाएगा तबतक इस देश की बेहतरी कतई नही हो सकेगी उत्तर प्रदेश में यह देखा जा सकता है की किस तरह ब्राहमण ने दलित का अधिकार भी अपने हाथो में ले लिया है उसमें दलितों के नारे तक को बदलवा दिया है । आज बहुजन समाज पार्टी सर्वजन समाज जैसा शब्द बोलती है । हाथी नही, गणेश है ब्रम्हा -विष्णु- महेश है जैसा नारा पसंद करती है। बहुजन की बेहतरी बुद्ध का शब्द था वे सर्वजन नही कहते थे । सर्वजन हिताय का मतलब बहुत भ्रष्ट होता है सर्वजन में ठग ,हत्या , बलात्कारी , बेईमान और भ्रष्टाचारी भी शामिल होता है इन सबको मिलाकर सर्वजन बनता है और सर्वजन का भला कहने का मतलब है अन्याय के इन प्रतीकों को भी सामाजिक स्वीकृति दे बुद्ध ने जब बहुजन की बेहतरी की थी तो यह मानकर की थी की अत्याचारी , ठग और भ्रष्टाचारी से जो समाज है वो बेहतर बने । न की डकैतों गुंडों और चोरो को भी बेहतरी के काम में शामिल किया सर्वजन हिताय का मतलब सीधा गुंडों, चोरो ,बलात्कारीयों और धोखेबाजों का भी हित हो , जबकि जरूरी है की उनका अहित हो। बाकी समाज का हित सर्वजन समाज का नारा दलित नेतृत्व में सिर्फ़ ब्राहमणों के प्रभाव में ही अपनाया है सर्वजन हिताय का मतलब चोरो और डकैतों को भी सामाजिक मान्यता दिलाना है एक महान नारे को इतना भ्रष्ट कर देना सिर्फ़ ब्राहमण के प्रभाव के कारण ही सम्भव हुआ है । बहुत लोग यह नही देखना चाहते कि भारत में बौद्धों का पतन क्यों हुआ ? यह पतन तब हुआ जब बौद्धों के एक बड़े वर्ग ने ब्राहमणों के कर्म कांड अपना कर महायान बना दिया था । उन्होंने बुद्ध को भी मन्दिर में मूर्ति के रूप में स्थापित कर दिया था । ब्राहमण पर मैं अपनी किताबो मैं विस्तार से लिख चुका हूँ और यह मानता हूँ की ब्राहमण अपने को छोड़कर बाकि किसी की बेहतरी नही चाहता है वो चाहता है की दुनिया के लोग बदहाल बने रहे । ब्राहमण उनकी बदहाली से लाभ उठाये यानि वो जा कर कहे हम तुम्हे बदहाली से मुक्त कराएँगे और तुम हमे भेंट दो और इस तरह वो उनकी लंगोटी तक छीन लेइस देश को अगर गैर बराबरी मानवीय अत्याचार , अज्ञान और सांप्रदायिक हिंसा जैसी चीजो से अगर मुक्त करना है तो हिन्दी और हिंदुत्व इन दोनों से मुक्ति दिलानी होगी

मुद्राराक्षस
फ़ोन :0522-6529461
लोकसंघर्ष पत्रिका के चुनाव विशेषांक में प्रकाशित ॥

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