रविवार, 3 मई 2009

http://yaadonkaaaina.blogspot.com/2009/05/blog-post_2546.html#comments जवाब

श्रीमानजी ,
बड़े सम्मान के साथ कहना चाहूँगा की गाय घास खाकर दूध देती है यह सत्य लेकिन साँप दूध पीता है यह ब्रहाम्णवादी भ्रम है और असत्य हैइतिहास से कडुवाहट नही पैदा होती है सबक लिया जाता है ।श्री मुद्रारक्षस जी इस देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार है और इस देश के शुभचिन्तक है और जहाँ तक मेरी जानकारी है लेख के लेखक जाति व्यवस्था के तहत दलित नही है और न ही मै ही दलित हूँ लेकिन यह भी सत्य है की जिस थाली में कुत्ता और सुवर खा लिए वह थाली नापाक नही होती है लेकिन भारतीय समाज व्यवस्था में दलित किसी थाली में खा ले तो वह थाली फेक दी जाती रही है । यह विषय यथार्थ का विषय है और इस पर गंभीर चिंतन और मनन की जरुरत है क्योंकि पहले ब्रिटिश सम्रज्यवादियों ने इसी असंतोष का लाभ उठाया और देश गुलाम हुआ ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट राजा , राजवाडे, महाराजा, जमींदार, तालुकदार, तथा अभिजात वर्ग के लोग थे और आज भी अमेरिकन साम्राज्यवाद इस देश को गुलाम बनाना चाहता है ।उसकी तरफदारी अभिजात्य वर्ग के ही लोग कर रहे है यह वही लोग है महात्मा गाँधी की हत्या,इंदिरा गाँधी की हत्या ,राजीव गाँधी की हत्या इन्ही तबको की सोच का परिणाम है जब कांग्रेस ने प्रिवी पर्सेज़ को जब्त किया था और बैंको का राष्ट्रियकरण किया था तब कांग्रेस के इन कदमो का विरोध भी वही अभिजात्य वर्ग के लोग कर रहे थे जो आज हिंदुत्व की पैरोकरी कर रहे है ।और विश्व आर्थिक मंदी के दौर में भारत आज अगर मजबूत है तो अपनी सार्वजानिक क्षेत्र की आर्थिक मजबूती के कारण है ।गोधरा से लेकर पूरे देश मेंभारतीय नागरिको का नरसंहार तथा सिखों का नरसंहार इसका स्पष्ट उदाहरण है हे शब्दों के सौदागरों भारतीय संविधान आज प्रमुख है या इस संविधान को बदल कर हिंदुत्व का शासन लागू किया जाए ।हिंदुत्व का शासन लागू होने का मतलब उस समाज व देश में दलितों कोई मतलब नही होगा और पिछ्डी जातियों को आज भी सवर्ण चारपाई पर बैठने नही देते है ।यह समाज आप को चाहिए । भारत एक बहुधर्मीय ,बहुजातीय ,धर्मनिरपेक्ष देश है हमारी सबकी भलाई इसी में की इस स्वरूप को बनाये और बचे रखा जाए ।अन्यथा न लीजियेगा स्नेह बनाये रखियेगा ।
सादर

सुमन

loksangharsha.blogspot.com

2 टिप्‍पणियां:

shyam gupta ने कहा…

गोधरा व सिख दन्गों में जिनको आप दोषी कह रहे हें, वे भी तो भारतीय नागरिक ही हैं। वास्तव में यह भारतीय ना गरिक की बात नहीं अपितु , भटके हुए अपराधी तत्वों की कहानियां हैंजिन्हें आप जैसे भतके हुए लोग कभी हिन्दु, कभी ब्रह्मण आदि आदि गाते रहते हैं ।

Sushant Singh ने कहा…

bahut accha likha hai ..ab lagta hai logo ko sacchai pata chalegi ki kya karte hai ye brahman , aaj bhi jaipur high court me manu ki lagi hui pratima (murti) iska jeeta jagta swaroop hai .

dhanyvad maja aa gaya, likhte rahiye

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