भारतीय समाज में जाति व्यवस्था एक मजबूत कारक है। किसी थाली में कुत्ता अगर खा ले तो उस थाली को साफ़ कर खाना खा लिया जायेगा लेकिन उसी थाली को अगर कोई दलित पिछड़ी जाति का छू ले तो एक सामाजिक उफान आ जाता है। जब दुनिया चाँद पर बस्तियां बसाने की बात सोच रहा है तो भारतीय सामाजिक व्यवस्था जाति व्यवस्था को बनाये रखने व बचाए रखने में ही व्यस्त है। उत्तर प्रदेश के कन्नोज जनपद में बहादुरपुर मझिगवां जूनियर हाईस्कूल में मिड डे मील दलित महिला रसोइये के द्वारा बनाये जाने पर ग्रामीणों ने जूनियर हाईस्कूल पहुंचकर मार-पीट, दंगा-फसाद किया खाना बनाने के बर्तन फ़रनीचर तोड़ डाले। शिक्षकों को भी बंधक बना लिया गया और स्तिथि तब बदतर हो गयी जब शिक्षकों को छुडाने के लिए सी.ओ छिबरामऊ समेत कई पुलिस वाले भी बंधक बना लिए गए। सी.ओ व प्रधान को मुक्त कराने के लिए पुलिस को फायरिंग तक करनी पड़ी। हेडमास्टर ने घबड़ाकर ख़ुदकुशी करने की कोशिश की। भारतीय समाज में यह स्तिथि तब है कि जब प्रदेश की मुख्यमंत्री एक दलित महिला है।
भारतीय समाज व्यवस्था में आदमी की कोई कीमत नहीं है। जाति के नाम पर आज भी उत्पीडन जारी है। कुत्ते बिल्ली सियार को रसोई में खूब टहलाया जायेगा लेकिन आदमी उसके नजदीक पहुँच गया तो उसकी खाल उतार ली जाएगी। कहने के लिए भाषण बाजी करने के लिए बहुत सारी थोथी बातें लोग करेंगे। चिट्ठाकार जगत में भी एक से बढ़कर एक हिन्दू एकता की बात करेंगे लेकिन वास्तविक जीवन में वह लोग यही कर रहे हैं। लेकिन किसी स्वार्थ के लिए अगर खाना खाना पड़ गया तो घर आ कर गंगाजल पीने व स्नान करने की परंपरा आज भी जारी है लेकिन कोई अफसर अगर दलित है और महान जातियों के लोगो को फायदा है तो उसके पैर धोकर भी पी लेंगे। एक बड़ा तबका विभिन्न ग्रंथों के माध्यम से सामाजिक एकता की थोथी बात करता है लेकिन प्रायोगिक स्तर पर कुछ नहीं करता है इसलिए सच बात तो यही है कि इंसान से बड़ा कुत्ता है।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
सुमन
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2 टिप्पणियां:
सच्चाई को दर्शाती एक सुंदर रचना , बधाई
बिलकुल सही कहा है आज का इन्सान इन्सान कहाँ रहा? धन्यवाद।
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