आप को याद होगा कि एक ईरानी वैज्ञानिक के अपहरण के मामले को लेकर कुछ समय से ईरान एवं अमेरिका के बीच आरोप प्रत्यारोप का अभियान चल रहा था, लोग इस मसले को पूरी तरह नहीं समझ पा रहे थे कि सच्चाई क्या है। ईरान जो भी कहता था अमेरिका उसको नकारता था।
ईरानी वैज्ञानिक सऊदी अरब गया था और वहां से गायब हो गया। इसके बाद तरह-तरह की बातें हुईं, कई दिन पूर्व वैज्ञानिक अमीरी ने अमेरिका में स्तिथ पाकिस्तानी दूतावास में किसी तरह आकर शरण ली फिर वहां से वह ईरान लाया गया।
अब जो तथ्य सामने आये उससे अमेरिकी करतूत का पर्दाफाश हुआ।
ईरान लौटने के बाद अमीरी ने अपनी व्यथा सुने तथा यह बताया कि पिछले साल के अपहरण के बाद उसे अमेरिकी जांच कर्ताओं के हाथों मानसिक व शारीरिक उत्पीडन का सामना करना पड़ा।
'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी.आई.ए ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की गुप्त जानकारी देने के बदले उसे करीब 23 करोड़ रुपये देने का वादा किया। परन्तु सारा अमेरिकी मंसूबा ध्वस्त हो गया तथा ईरानी आरोप की पुष्टि भी हो गयी।
पूरी दुनिया में अमेरिका इसी प्रकार के खेल खेलता रहता है। जिससे उसकी किरकिरी होती है। शायद यही सब कारण है कि स्वयं अमेरिका की जनता अपने नए राष्ट्रपति ओबामा से खिन्न है तथा ए.बी.सी द्वारा हाल में कराये गए सर्वे के अनुसार 60 फीसदी मतदाताओं का विश्वास अब उन पर नहीं रहा।
आगे ईराक, ईरान, कोरिया , अफगानिस्तान, इजराइल, फिलिस्तीन आदि पर यदि वे सही फैसले न ले सके तो स्तिथि यह होगी-
ईरानी वैज्ञानिक सऊदी अरब गया था और वहां से गायब हो गया। इसके बाद तरह-तरह की बातें हुईं, कई दिन पूर्व वैज्ञानिक अमीरी ने अमेरिका में स्तिथ पाकिस्तानी दूतावास में किसी तरह आकर शरण ली फिर वहां से वह ईरान लाया गया।
अब जो तथ्य सामने आये उससे अमेरिकी करतूत का पर्दाफाश हुआ।
ईरान लौटने के बाद अमीरी ने अपनी व्यथा सुने तथा यह बताया कि पिछले साल के अपहरण के बाद उसे अमेरिकी जांच कर्ताओं के हाथों मानसिक व शारीरिक उत्पीडन का सामना करना पड़ा।
'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी.आई.ए ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की गुप्त जानकारी देने के बदले उसे करीब 23 करोड़ रुपये देने का वादा किया। परन्तु सारा अमेरिकी मंसूबा ध्वस्त हो गया तथा ईरानी आरोप की पुष्टि भी हो गयी।
पूरी दुनिया में अमेरिका इसी प्रकार के खेल खेलता रहता है। जिससे उसकी किरकिरी होती है। शायद यही सब कारण है कि स्वयं अमेरिका की जनता अपने नए राष्ट्रपति ओबामा से खिन्न है तथा ए.बी.सी द्वारा हाल में कराये गए सर्वे के अनुसार 60 फीसदी मतदाताओं का विश्वास अब उन पर नहीं रहा।
आगे ईराक, ईरान, कोरिया , अफगानिस्तान, इजराइल, फिलिस्तीन आदि पर यदि वे सही फैसले न ले सके तो स्तिथि यह होगी-
एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है
-डॉक्टर एस.एम हैदर
1 टिप्पणी:
अच्छी प्रस्तुति।
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