जिंदगी एवं मौत का सम्पूर्ण अधिकार सर्वशक्तिमान में निहित है, लेकिन हमारे कुछ भ्रष्टाचारी बन्धुवों ने इस 'पावर' को भी अपने हाथ में ले लिया है, यह कोई हवाई बात नहीं है, प्रमाण हेतु कुछ उदहारण सेवा में प्रस्तुत है -
विधान परिषद् सत्र में मायावती सरकार के समाज कल्याण मंत्री इन्द्रजीत सरोज ने शिक्षक दल के विधायक सुभाष चन्द्र शर्मा के प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार किया कि जे.पी नगर में 897 वृद्धावस्था पेंशन लाभार्थी जीवित दिखाए जा रहे थे तथा पेंशन प्राप्त कर रहे थे। जो सत्यापन में मृतक पाए गए ।
इसी सदन में जिन्दों को मुर्दा बनाया जाना भी स्वीकार किया गया, यह घपले स्वार्थवश राजस्व विभाग के अधिकारीयों व कर्मचारियों ने अंजाम दिए। सदन में सपा के सदस्य डॉक्टर राकेश सिंह राना के सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री फागु सिंह चौहान ने माना कि ऐसे मामले सरकार के संज्ञान में हैं, जिन पर कार्यवाही विचाराधीन है।
अब एक घटना यह देखिये कि एक जिन्दा दलित महिला को पुलिस ने मृतक मान कर अदालती कार्यवाही भी कर दी, वह आश्चर्यजनक रूप से जीवित हाजिर हो गयी।
घटना यह बताई जा रही है कि ग्राम हथौंधा सोहिलपुर, थाना राम सनेहीघाट जिला बाराबंकी के निवासी शिव शंकर कौशल ने अपनी पुत्री कृष्णा के अपहरण की प्राथमिकी २००७ में दर्ज कराई। बाद में बरेली के कुतुबखाना के मोहन होटल में जब एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली तो इसी की शिनाख्त कृष्णा के रूप में करके कसे को हत्या की धाराओं में परवर्तित किया गया तथा थानाध्यक्ष, सब इन्स्पेक्टर , उप निरीक्षकों, कुल पांच पुलिसजनो की टीम ने कसे की विवेचना करके आठ लोगों को हत्यारोपी करार दिया जो पकड़ कर जेल भी भिजवाये गए जहाँ लम्बे समय तक बंद रहे।
स्तिथि उस समय बदल गयी जब वह अपने दो बच्चों के साथ अदालत में प्रस्तुत हुई। अदालत ने पांचों पुलिसजनो को हाजिर होने की तारिख निश्चित कर दी है।
मृतिका कृष्णा ने, जिसे अब जीवित कहा जायेगा, अपनी शिनाख्त हेतु तथा जीवित होने के साबुत हेतु प्रधान का प्रमाण पत्र तथा पढाई के अंकपत्रों सहित अन्य अभिलेख प्रस्तुत किये हैं। अच्छा यह हुआ कि वह सीधे अदालत पहुंची कहीं पुलिस वालों को पहले भनक लग जाती तो वह उसे जरूर ठिकाने लगा देते - कहते तब न सही तो अब सही। अब जो सुनता है यही कहता है -
विधान परिषद् सत्र में मायावती सरकार के समाज कल्याण मंत्री इन्द्रजीत सरोज ने शिक्षक दल के विधायक सुभाष चन्द्र शर्मा के प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार किया कि जे.पी नगर में 897 वृद्धावस्था पेंशन लाभार्थी जीवित दिखाए जा रहे थे तथा पेंशन प्राप्त कर रहे थे। जो सत्यापन में मृतक पाए गए ।
इसी सदन में जिन्दों को मुर्दा बनाया जाना भी स्वीकार किया गया, यह घपले स्वार्थवश राजस्व विभाग के अधिकारीयों व कर्मचारियों ने अंजाम दिए। सदन में सपा के सदस्य डॉक्टर राकेश सिंह राना के सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री फागु सिंह चौहान ने माना कि ऐसे मामले सरकार के संज्ञान में हैं, जिन पर कार्यवाही विचाराधीन है।
अब एक घटना यह देखिये कि एक जिन्दा दलित महिला को पुलिस ने मृतक मान कर अदालती कार्यवाही भी कर दी, वह आश्चर्यजनक रूप से जीवित हाजिर हो गयी।
घटना यह बताई जा रही है कि ग्राम हथौंधा सोहिलपुर, थाना राम सनेहीघाट जिला बाराबंकी के निवासी शिव शंकर कौशल ने अपनी पुत्री कृष्णा के अपहरण की प्राथमिकी २००७ में दर्ज कराई। बाद में बरेली के कुतुबखाना के मोहन होटल में जब एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली तो इसी की शिनाख्त कृष्णा के रूप में करके कसे को हत्या की धाराओं में परवर्तित किया गया तथा थानाध्यक्ष, सब इन्स्पेक्टर , उप निरीक्षकों, कुल पांच पुलिसजनो की टीम ने कसे की विवेचना करके आठ लोगों को हत्यारोपी करार दिया जो पकड़ कर जेल भी भिजवाये गए जहाँ लम्बे समय तक बंद रहे।
स्तिथि उस समय बदल गयी जब वह अपने दो बच्चों के साथ अदालत में प्रस्तुत हुई। अदालत ने पांचों पुलिसजनो को हाजिर होने की तारिख निश्चित कर दी है।
मृतिका कृष्णा ने, जिसे अब जीवित कहा जायेगा, अपनी शिनाख्त हेतु तथा जीवित होने के साबुत हेतु प्रधान का प्रमाण पत्र तथा पढाई के अंकपत्रों सहित अन्य अभिलेख प्रस्तुत किये हैं। अच्छा यह हुआ कि वह सीधे अदालत पहुंची कहीं पुलिस वालों को पहले भनक लग जाती तो वह उसे जरूर ठिकाने लगा देते - कहते तब न सही तो अब सही। अब जो सुनता है यही कहता है -
जाको राखै साइयाँ , मार सके न कोय
-डॉक्टर एस.एम हैदर
2 टिप्पणियां:
... लगता है इस पोस्ट समाचार को कहीं और भी पढ चुका हूं ... सार्थक अभिव्यक्ति !!!
हैदर साहब… अब तो भगवान के बंदे जमीन पर बईठकर कागज के अंदर लोगो को जिंदा मुर्दा बनाते रहते हैं..होता है शबोरोज़ तमाशा मेरे आगे!!
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