मंगलवार, 7 सितंबर 2010

राहुल : आप के अनुसार विचारधाराएं भी सड़ी-गली होने लगी

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल गाँधी ने कलकत्ता के अन्दर बोलते हुए कहा कि साम्यवादी विचारधारा सड़ी-गली विचारधारा है और इससे बंगाल का भला नहीं होने वाला हैराहुल गाँधी को साफ़-साफ़ देश को बताना चाहिए कि आर्थिक, राजनैतिक विदेश नीति के मोर्चे पर उनकी कौन सी राजनैतिक विचारधारा है या वह आराज़नैतिक विचारधारा के मानने वाले हैइस समय कांग्रेस की विदेश नीति में जबरदस्त परिवर्तन करके अमेरिकन साम्राज्यवाद के समर्थन में देश को ले जाकर खड़ा कर दिया गया है जबकि उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गाँधी अमेरिकन साम्राज्यवाद के खिलाफ जीवनपर्यंत रहीं और उन्ही के समय भारत गुट निरपेक्ष आन्दोलन का नेता रहाआज की कांग्रेस नेहरु के आर्थिक विकास मॉडल को भी नहीं मानती और ही कांग्रेस आर्थिक मोर्चे पर उसकी क्या नीतियाँ हैं स्पष्ट ही करती हैआपकी पार्टी के केन्द्रीय शासन के अंतर्गत महंगाई जैसे मुद्दे पर कोई बात नहीं आती हैजमाखोरों, भ्रष्टाचारियों और दलालों का एक बड़ा समूह केंद्र की सत्ता पर काबिज हैआप ने बेरोजगारी के मोर्चे के ऊपर कोई भी बयान या कोई भी नीतिगत बात आज तक नहीं कही हैमाननीय उच्चतम न्यायलय ने आपकी पार्टी द्वारा शासित दिल्ली सरकार को फटकारा है कि वह ठेके पर कर्मचारियों को रखकर राज्य के कल्याणकारी स्वरूप को बदल रही है
आप इस ग़लतफहमी में हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पुनर्स्थापित होने जा रही हैतमिलनाडु में तो संभव ही नहीं हैआपकी केंद्र सरकार सभी मोर्चों पर पूर्णतया विफल है
आपकी सभाओं में जनता जुटाने के लिए और उसका सम्पूर्ण खर्चा जो लगभग करोडो रुपये होता है उसका खर्चा कौन सी बहुराष्ट्रीय कंपनी उठा रही है, उसको भी स्पष्ट करें और जरा सा राष्ट्रमंडल खेलों से लेकर आप के आस पास रहने वाले जितने भी लोग हैं वह कितने घोटालों में लिप्त हैं जरा उस पर भी ध्यान दीजिये

सुमन
लो क सं घ र्ष !

6 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सुंदर!

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!

Suyash Deep Rai ने कहा…

प्रशंशनीय !! उत्तम विचार !

Unknown ने कहा…

राहुल बाबा भले ही भोंदू हों, लेकिन जो वामपंथी सिर्फ़ और सिर्फ़ भाजपा और मोदी को कोसते थे, कम से कम अब कुछ समय (बंगाल चुनाव तक) राहुल बाबा की ओर ध्यान केन्द्रित करेंगे…

हालांकि हम तो काफ़ी पहले से कह रहे हैं कि कांग्रेस से ज्यादा नीच और गिरी हुई पार्टी और कोई नहीं है, लेकिन वामपंथी जब-तब केन्द्र में कांग्रेस से गलबहियाँ करते रहते हैं… अब यही कांग्रेस लाल झण्डे को बंगाल में और केरल में धक्का देगी…

मैं भोली और निरर्थक उम्मीद करता हूं कि जब मुस्लिम वोट बैंक को लेकर कांग्रेस-वामपंथी दोनों घमासान करेंगे और (अब तक न उभर पाया हुआ) हिन्दू वोट बैंक निर्णायक स्थिति में आ जाये… (वैसे उम्मीद तो कम ही है)

ममता बैनर्जी चाहे जितनी बुरी हों, कांग्रेस चाहे जितनी भ्रष्ट और निकम्मी हो… बंगाल में वामपंथी हार काफ़ी सुकून देने वाली होगी…

फ़िलहाल भाजपा केरल में और बंगाल में कतई प्रभावशाली नहीं है, इसलिये यह समय आराम से दूर बैठकर मजे लेने का है, वामपंथियों (जो हमेशा केन्द्र में कांग्रेस के मित्र रहे हैं और भाजपा-संघ-मोदी के विरोधी रहे हैं) की चुनावी उलटबांसियाँ देखने-सुनने में बड़ी मजेदार होंगी… आने वाले कुछ माह (बिहार चुनाव छोड़कर) बहुत राजनैतिक कॉमेडी लेकर आने वाले हैं…

दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA ने कहा…

आज कल सबका यही हाल है खासकर नेताओं का - अगर खुद कुछ नहीं कर पा रहे तो मूंह में अंगूठा डाल के कहिये - वो भी(बाकी सब ) तो नहीं कर रहे . खुद कि कालिख को नज़रंदाज़ करते हुए दुसरे के बारे में अनाप शनाप बकना ..ये अब कि रीत है ,जिसे अच्छे बच्चे कि तरह राहुल निभा रहे हैं !

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

इसी विचार धारा के आधार पर उनके परदादा पं० जवाहर लाल नेहरू, दादी श्रीमती इंदिरा गाँधी और उनके पिता श्री राजीव सत्ता में रहे थे। आज वे उसे अप्रासांगिक बता रहे हैं। जब-जब उत्पादन का लाभांश पूंजीपतियों की तिजोरियों में कै़द होने लगता है तो आम जनता के जीवन-संकट बढ़ते हैं। और जब उत्पादन का लाभांश देश की जनता में वितरित होता है तो जनता में अमन-चैन और खुशहाली आती है। जमीनी हकी़कत से अनजान, अनुभवहीन लोग ऐसे ही बयान देते रह्ते हैं। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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