उत्तर प्रदेश में आये दिन न्यायलय परिसरों में मारपीट की घटनाएं हो रही हैं। कहने के लिए यह न्याय का मंदिर है लेकिन जब न्याय के मंदिर में प्रवेश करते ही पिटाई शुरू हो जाए तो उस व्यक्ति को न्याय क्या मिलेगा। राजधानी लखनऊ में एक भारी संख्या में साइकिल स्टैंड, स्कूटर स्टैंड, चाय आदि की दुकान चलवाने वाले, प्रापर्टी डीलर्स, बिल्डर्स व संगीन अपराधी काला कोट धारण कर अपने हितों की रक्षा के लिए घंटा दो घंटा न्यायलय परिसरों में देखे जाते हैं। यह लोग अब इतने ताकतवर हो गए हैं कि वास्तविक प्रैक्टिसिंग अधिवक्ता को भी डराने धमकाने लगे हैं कि कौन सा केस करना है और कौन सा नहीं करना है। अधिवक्ता समाज की इज्जत को यह इस्तेमाल करते हैं। अपनी अपराधिक गतिविधियों में, मकान दुकान खाली करने से लेकर जमीनों के ऊपर कब्ज़ा करने का कार्य करने लगे हैं। कथित आतंकियों की गिरफ्तारी के सवाल पर एस.टी.एफ के उकसावे पर भी न्यायलय परिसरों में अधिवक्ताओं की पिटाई हो चुकी है किन्तु अब बाराबंकी जनपद जैसे छोटे शहरों में उसी तर्ज पर न्यायलय परिसर में वादकारियों की पिटाई होने लगी है। तहसील रामनगर से लेकर बाराबंकी तक अधिवक्ताओं का एक गिरोह जमीन कब्ज़ा करने से लेकर हत्या करने की भी सुपारी लेने लगा है। वोट के चक्कर में जिला बार एसोशीएसन ऐसे अपराधी तत्वों के समर्थन में कार्य बहिस्कार करने लगती है। जिनसे ऐसे अपराधी तत्वों को मदद मिलती है। जिला प्रशासन भी अपराधी वकीलों के खिलाफ कार्यवाई करने में अपने को असहाय महसूस करता है।
माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ में अधिवक्ता प्रशांत गौड़ ने प्रार्थना पात्र देकर न्यायलय से गुहार की ऐसे तत्वों से न्यायपालिका को बचने की जरूरत है। जिस पर माननीय न्यायलय ने ऐसे काली कमाई करने वाले अपराधी अधिवक्ताओं के खिलाफ आयकर अधिकारीयों व केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को जांच के आदेश दिए और एक टीम बनाकर संपत्ति की जब्ती की कार्यवाई का भी आदेश दिया है। माननीय उच्च न्यायलय ने इंटेलीजेंस ब्यूरो के संयुक्त निदेशक को भी आदेश दिया की मामले की जांच कर रिपोर्ट को एक बंद लिफ़ाफ़े में देने को कहा है। सी.बी.आई के निदेशक को भी आदेशित किया है कि संयुक्त निदेशक स्तर का अधिकारी अगली सुनवाई 25 अक्टूबर के दिन उपस्थित रहे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ में अधिवक्ता प्रशांत गौड़ ने प्रार्थना पात्र देकर न्यायलय से गुहार की ऐसे तत्वों से न्यायपालिका को बचने की जरूरत है। जिस पर माननीय न्यायलय ने ऐसे काली कमाई करने वाले अपराधी अधिवक्ताओं के खिलाफ आयकर अधिकारीयों व केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को जांच के आदेश दिए और एक टीम बनाकर संपत्ति की जब्ती की कार्यवाई का भी आदेश दिया है। माननीय उच्च न्यायलय ने इंटेलीजेंस ब्यूरो के संयुक्त निदेशक को भी आदेश दिया की मामले की जांच कर रिपोर्ट को एक बंद लिफ़ाफ़े में देने को कहा है। सी.बी.आई के निदेशक को भी आदेशित किया है कि संयुक्त निदेशक स्तर का अधिकारी अगली सुनवाई 25 अक्टूबर के दिन उपस्थित रहे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
5 टिप्पणियां:
ये बहुत अच्छी शुरुआत हुई है
लगाम तो इन अपराधियों पर भी जरूरी है न
jaisa ki aapne bataya agar aisa hone laga to .gunahgaron avm in logon me bhed kaise kar payega koi aam aadmi ...atit me bhi kafi vakilon ka nam is field me barabanki ka nam roshan kar chuke hain,,jinme ak doctor sahab bhi mashahoor the ...badhiya jankari aabhar
sumanji,
kahan nahin hain ye maphiya, vakeelon ke vesh men. adhyapakon ke vesh men, pulis ke vesh men aur sabase bade rajnetaon ke vesh men aur usase bade unake chamachon ke vesh men .
kahan tak aur kaise ankush lagaya ja skata hai.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोsस्तु ते॥
महाअष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
स्वरोदय महिमा, “मनोज” पर!
इस पर लगाम केवल अधिवक्ता ही लगा सकते हैं। इस के लिए वास्तविक अभ्यासी अधिवक्ताओं को अपना पृथक संगठन निर्माण करना चाहिए।
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