अब जरा आरएसएस के दस्तावेजो की रौशनी में इस दावे को भी परखें कि भाजपा आरएसएस से स्वतन्त्र एक राजनीतिक दल है। आरएसएस के केन्द्रीय प्रकाशन संस्थान का नाम सुरुचि प्रकाशन है। इस प्रकाशन ने 1997 में एक पुस्तक छापी जिसका शीर्षक था " परम वैभव के पथ पर"। इस किताब की भूमिका में इस प्रकाशन के महत्व को इन शब्दों में बयान किया गया है -
स्वयं सेवक जितने प्रकार के कार्य करते हें उनके परिचय के बिना संघ का कार्य अपूर्ण है इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वयंसेवकों द्वारा किये जा रहे विविध कार्यों की संक्षिप्त जानकारी इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसमें वर्णित संगठनात्मक स्तिथि 1996 तक की है। किसी स्थायी कार्य को प्रारम्भ किये बिना जो जो सामायिक महत्त्व के कार्य स्वयंसेवकों ने किये हें, पुस्तक के अंत में उन्हें भी सम्मिलित किया गया है। विश्वास है कि स्वयंसेवकों के साथ जो संघ को समझना चाहते हैं, यह पुस्तक उनके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
इस पुस्तक में आर एस एस द्वारा खड़े किये गए 30 से ज्यादा संगठनो का वृत्तान्त है। इन संगठनो में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद्, सेवा भारती, स्वदेशी जागरण मंच और हिन्दू जागरण मंच के साथ-साथ तीसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी को रखा गया है। आरएसएस ने 1951 में भाजपा के पहले रूप जनसंघ को एक राजनैतिक दल के रूप में किस तरह खड़ा किया, इसका भी विश्लेषण इस पुस्तक में किया गया है। भाजपा आरएसएस की छत्रछाया में जिस तरह काम करती रही है इसे इन शब्दों में बयान किया गया है:
भाजपा ने कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर राष्ट्रव्यापी जनजागरण करने की दृष्टि से समय-समय पर रथ यात्राओं का सफल आयोजन किया है। इनमें प्रमुख हें श्री लाल कृष्ण अडवानी की 1990 की 'राम रथ यात्रा', डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी की 1991 की 'एकता यात्रा' (श्रीनगर यात्रा)। इन यात्राओं ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को जन-जन तक पहुँचाने का और जनता में राष्ट्रभाव-जागरण का कार्य किया है।
-आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
स्वयं सेवक जितने प्रकार के कार्य करते हें उनके परिचय के बिना संघ का कार्य अपूर्ण है इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वयंसेवकों द्वारा किये जा रहे विविध कार्यों की संक्षिप्त जानकारी इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसमें वर्णित संगठनात्मक स्तिथि 1996 तक की है। किसी स्थायी कार्य को प्रारम्भ किये बिना जो जो सामायिक महत्त्व के कार्य स्वयंसेवकों ने किये हें, पुस्तक के अंत में उन्हें भी सम्मिलित किया गया है। विश्वास है कि स्वयंसेवकों के साथ जो संघ को समझना चाहते हैं, यह पुस्तक उनके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
इस पुस्तक में आर एस एस द्वारा खड़े किये गए 30 से ज्यादा संगठनो का वृत्तान्त है। इन संगठनो में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद्, सेवा भारती, स्वदेशी जागरण मंच और हिन्दू जागरण मंच के साथ-साथ तीसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी को रखा गया है। आरएसएस ने 1951 में भाजपा के पहले रूप जनसंघ को एक राजनैतिक दल के रूप में किस तरह खड़ा किया, इसका भी विश्लेषण इस पुस्तक में किया गया है। भाजपा आरएसएस की छत्रछाया में जिस तरह काम करती रही है इसे इन शब्दों में बयान किया गया है:
भाजपा ने कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर राष्ट्रव्यापी जनजागरण करने की दृष्टि से समय-समय पर रथ यात्राओं का सफल आयोजन किया है। इनमें प्रमुख हें श्री लाल कृष्ण अडवानी की 1990 की 'राम रथ यात्रा', डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी की 1991 की 'एकता यात्रा' (श्रीनगर यात्रा)। इन यात्राओं ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को जन-जन तक पहुँचाने का और जनता में राष्ट्रभाव-जागरण का कार्य किया है।
-आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
1 टिप्पणी:
बाल दिवस की शुभकामनाएँ!
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