कालक्रम के सम्बन्ध में प्रो0 मंडल ने बताया कि ए0एस0आई0 ने अपनी रिपोर्ट में 18परतों के जमाव को नौ कालों में इस प्रकार विभाजित किया है-
NBPW, SUNGA, KUSHANA, GUPTA, POST GUPTA RAJPUT, EARLY MEDIEVAL SULTANATE, MEDIEVAL, MUGHAL rFkk LATE & POST MUGHAL कालक्रम की इस निरंतरता से प्रो0 मंडल सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार- ‘‘चार कालों के पश्चात यह पुरास्थल एक लम्बे समय के लिए वीरान हो गया। कालों की निरंतरता भंग हुई। इस सम्बन्ध में सांस्कृतिक अन्तराल का स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध है।’’ चैथे अर्थात गुप्त काल में (4-6 शताब्दी ए0डी0) दो बार बाढ़ आई, दूसरी बाढ़ के बाद यह स्थान लम्बे समय तक त्याग दिया गया। इस बाढ़ जमाव के ऊपर-‘‘जिस संस्कृति के अवशेष मिलते हैं, वे इस्लामिक काल के हैं। ह्युमस जमाव के ऊपर के परतों से गलेज्ड वेयर, ग्लेज्ड टाइल्स, जानवरों की हड्डियाँ तथा चूना एवं सुर्खी से निर्मित फर्शों के अवशेष का मिलना इस तथ्य के अकाट्य प्रमाण हंै।’’
गुप्तकाल के बाद ही, जमाव के ऊपर तेरहवीं सदी (अर्थात सल्तनत काल) के साक्ष्य मिले हैं। अतः 9 के बजाय पूरे जमाव को 5 कालों में ही विभक्त किया जाना चाहिए अर्थात गुप्तकाल के बाद एक लम्बा अन्तराल, फिर इस्लामिक काल। यहाँ मुग़लकाल का आरम्भ, बाबरी मस्जिद निर्माण के साथ होता है।
पुरास्थल के पश्चिमी किनारे पर उत्तर दक्षिण दिशा मुखी 50 मीटर लम्बी, अकेली दीवार नं0 16 है। इसमें ताकों के भी अवशेष हैं, यहाँ-‘‘तीन ताकों के शीर्ष मेहराबदार होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती।’’ (पृष्ठ-25)
‘‘इस अकेली दीवार में, संभवतः मेहराबदार ताको़ं का सम्बद्ध होना स्पष्ट रूप से ईदगाह की ओर संकेत करते हैं। (पृष्ठ-26)
स्तम्भों तथा दीवार आदि पर अनेक पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर विस्तृत बहस के निष्कर्ष के रूप में प्रो0 मंडल का यह कथन महत्वपूर्ण है-
‘‘साक्ष्यों के आलोक में यहाँ मंदिर की परिकल्पना निश्चित रूप से निराधार प्रमाणित होती है।‘‘ (पृष्ठ-25)
यह भी बताया कि खुदाई के अनेक साक्ष्य छुपाए गए। डे-टू-डे रजिस्टर में प्रविष्टियाँ एक माह बाद क्यों की गई?
अभी तक जो चर्चा हुई वह प्रो0 मंडल के हलफनामे की प्रकाशित 46 पृष्ठ की पुस्तिका पर आधारित है। अब अलग से यह बात भी बताने योग्य है कि खुदाई के समय केन्द्र में एन0डी0ए0/भाजपा सरकार थी तथा ए0एस0आई0 जिस केन्द्रीय मंत्रालय के अन्तर्गत कार्य करता है, उसके मंत्री श्री जगमोहन थे।
विजय प्रताप सिंह (एडवोकेट)
मोबाइल- 09415461192
समाप्त
NBPW, SUNGA, KUSHANA, GUPTA, POST GUPTA RAJPUT, EARLY MEDIEVAL SULTANATE, MEDIEVAL, MUGHAL rFkk LATE & POST MUGHAL कालक्रम की इस निरंतरता से प्रो0 मंडल सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार- ‘‘चार कालों के पश्चात यह पुरास्थल एक लम्बे समय के लिए वीरान हो गया। कालों की निरंतरता भंग हुई। इस सम्बन्ध में सांस्कृतिक अन्तराल का स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध है।’’ चैथे अर्थात गुप्त काल में (4-6 शताब्दी ए0डी0) दो बार बाढ़ आई, दूसरी बाढ़ के बाद यह स्थान लम्बे समय तक त्याग दिया गया। इस बाढ़ जमाव के ऊपर-‘‘जिस संस्कृति के अवशेष मिलते हैं, वे इस्लामिक काल के हैं। ह्युमस जमाव के ऊपर के परतों से गलेज्ड वेयर, ग्लेज्ड टाइल्स, जानवरों की हड्डियाँ तथा चूना एवं सुर्खी से निर्मित फर्शों के अवशेष का मिलना इस तथ्य के अकाट्य प्रमाण हंै।’’
गुप्तकाल के बाद ही, जमाव के ऊपर तेरहवीं सदी (अर्थात सल्तनत काल) के साक्ष्य मिले हैं। अतः 9 के बजाय पूरे जमाव को 5 कालों में ही विभक्त किया जाना चाहिए अर्थात गुप्तकाल के बाद एक लम्बा अन्तराल, फिर इस्लामिक काल। यहाँ मुग़लकाल का आरम्भ, बाबरी मस्जिद निर्माण के साथ होता है।
पुरास्थल के पश्चिमी किनारे पर उत्तर दक्षिण दिशा मुखी 50 मीटर लम्बी, अकेली दीवार नं0 16 है। इसमें ताकों के भी अवशेष हैं, यहाँ-‘‘तीन ताकों के शीर्ष मेहराबदार होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती।’’ (पृष्ठ-25)
‘‘इस अकेली दीवार में, संभवतः मेहराबदार ताको़ं का सम्बद्ध होना स्पष्ट रूप से ईदगाह की ओर संकेत करते हैं। (पृष्ठ-26)
स्तम्भों तथा दीवार आदि पर अनेक पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर विस्तृत बहस के निष्कर्ष के रूप में प्रो0 मंडल का यह कथन महत्वपूर्ण है-
‘‘साक्ष्यों के आलोक में यहाँ मंदिर की परिकल्पना निश्चित रूप से निराधार प्रमाणित होती है।‘‘ (पृष्ठ-25)
यह भी बताया कि खुदाई के अनेक साक्ष्य छुपाए गए। डे-टू-डे रजिस्टर में प्रविष्टियाँ एक माह बाद क्यों की गई?
अभी तक जो चर्चा हुई वह प्रो0 मंडल के हलफनामे की प्रकाशित 46 पृष्ठ की पुस्तिका पर आधारित है। अब अलग से यह बात भी बताने योग्य है कि खुदाई के समय केन्द्र में एन0डी0ए0/भाजपा सरकार थी तथा ए0एस0आई0 जिस केन्द्रीय मंत्रालय के अन्तर्गत कार्य करता है, उसके मंत्री श्री जगमोहन थे।
विजय प्रताप सिंह (एडवोकेट)
मोबाइल- 09415461192
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